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8.11.11

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

जोशी के बारे में हरवंश के बहुचर्चित भाषण के कारण क्या फोर लेन की गेंद जोशी ने नाथ के पाले में डाल दी?

क्या छिंदवाड़ा में जोशी के लिये दिये गये हरवंश सिंह के चर्चित भाषण ने ही फोर लेन की मांग को दरकिनार करवा दिया? और जोशी ने बात कमलनाथ के पाले में डालकर मुक्ति पा ली। कमलनाथ को कातिल बताने वालों को उनके दरबार में ले जाकर हरवंश सिंह ने नाथ को खुश करने का जो प्रयास किया उसके कारण कमलनाथ एक बार फिर जिले में विवादित बना दिये गये हैं। प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष एवं सिवनी विधायकनीता पटेरिया के समर्थक माने जाने वाले नगर भाजपा अध्यक्ष प्रेम तिवारी की इंका विधायक हरवंश सिंह के मामले में अपनाये गये तीखे तेवर सियासी हल्कों में चर्चित हैं। फलाने नेता के आर्शीवाद से और फलाने नेता की अनुशंसा से पद मिलने पर बधायी छपने का चलन तो आज कल हर पार्टी में आम हो गया हैं। ऐसे में गीता सिंह को प्रदेश कांग्रेस का महामंत्री बनाये जाने पर इंकाइयों की चुप्पी के तरह तरह के अर्थ लगाये जा रहें हैं। प्रदेश और जिले के स्थापना दिवस समारोहों में बुलाये गये नेता और पहुचने वाले नेताओं की ओर यदि गौर फरमायें तो कुछ नये समीरकरण स्थापित होते भी दिख रहें हैं। नीता अतिथि बननेे पर भी नहीं पहुचीं जबकि नरेश बिना अतिथि बनाये ही पहुंच गये थे जबकि समारोह के मुख्य अतिथि हरवंश सिंह थे।

फोर लेन का हरवंशी खेल चर्चित-“ दादा ठाकुर हरवंश सिंह बड़े मेहनती, जमीनी,किसानों के हितेषी और पट (बैल जोड़ी दौड़ प्रतियोगिता)के शौकीन नेता हैं। हालांकि वे एक बार 1990 में सिवनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गये थे थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पट के विशेषज्ञ की तरह दान बदल कर केवलारी से चुनाव लड़े और आज हमारे सामने विधानसभा उपाध्यक्ष के रूप में यहां मौजूद हैं।“ किसी सार्वजनिक सभा में इंका विधायक हरवंश सिंह का कोई समर्थक यदि ऐसा भाषण देने के बाद अपनी मांग रखे तो आप ही सोचिये कि उसकी मांग का क्या हश्र होगा ? जोश की शान में कुछ इसी अंदाज में कसीदे गढ़ते हुये इंका विधायक हरवंश सिंह ने छिंदवाड़ा की आम सभा में भाषण दिया था। उल्लेखनीय है कि श्री सी.पी.जोशी राजस्थान में विस चुनाव केवल एक वोट से हार गये थे और उसके बाद सांसद बनने के बाद भू तल परिवहन मंत्री के रूप में छिंदवाड़ा आये थे जहां सिवनी के इंकाइयों का एक जत्था फोर लेन की समस्या को लेकर गया हुआ था। अपने भाषण की ऐसी शुरूआत करने के बाद हरवंश सिंह ने जिले की फोर लेन की बात रखी और जोशी ने बात कमलनाथ के पाले में डालकर मुक्ति पा ली। किसी की यह भी हिम्मत नहीं थी कि वेा यह बता सकता कि फोर के कातिल के रूप में जिले की जनता कमलनाथ को ही जवाबदार मानती हैं। उनसे ही समय लेकर आने की बात से जिले में कांग्रेस के खिलाफ ही संदेश जायेगा और कमलनाथ एक बार फिर विवाद में आ जायेंगें। फोर लेन विवाद में लंबे अर्से तक चुप्पी साधने वाले जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह का सुप्रीम कोर्ट से मामला निपटने के लंबे समय बाद आयी सक्रियता को लेकर राजनैतिक हल्कों में तरह तरह की चर्चायें जारी हैं। इस मामले में प्रारंभ से ही सक्रिय रहें इंका नेता आशुतोष वर्मा का इस प्रतिनिधि मंड़ल में ना जाना भी चर्चित हैं। नागरिक मार्चे के नेताओं को भी हरवंश सिंह ने ले जाने का प्रयास किया था जो कि सफल नहीं हो पाया। दूसरी ओर कमलनाथ को फोरलेन का कातिल बताने वाले जनमंच के बचे खुचे नेताओं और लखनादौन के मुनमुन राय का छिंदवाड़ा जाकर ज्ञापन देना भी चर्चित हैं। इंकाई हल्कों में जारी चर्चाओं पर यदि विश्वास किया जाये तो ये मानना पड़ेगा कि कमलनाथ के यहां अपने गिरते ग्राफ से चिंतित हरवंश ने नाथ को खुश करनें के लिये यह राजनैतिक खेल खेला और यह बताने की कोशिश की है कि जनमंच के जो लोग आपको फोर लेन का कातिल बताने पर तुले हुये थे उन सबको आपके दरबार में हाजिर कर दिया हूॅं। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि कमलनाथ के यहां अपना ग्राफ बढ़ाने के चक्कर में हरवंश सिंह ने कमलनाथ को एक बार फिर जिले में विवादित बनाने का काम भी कर डाला हैं। फोर लेन का मामला तो सुप्रीम कोर्ट की न्यायायिक बाधा समाप्त हो जाने के बाद हल होना ही हैं लेकिन इसकी प्रक्रिया में कुछ समय और लग सकता हैं। साथ ही वन एवं पर्यावरण विभाग के यहां से अपना प्रोजेक्ट पूरा कराने के लिये भू तल परिवहन मंत्रालय तो लगा ही है और प्रयास वहां करने की जरूरत हैं। लेकिन इस सबके बाद भी छिंदवाड़ा गये इंकाइयों को इस बात जवाब देना मुश्किल हो रहा हैं कि आखिर वहां उन्हें हासिल क्या हुआ?

प्रेम तिवारी की बयानबाजी चर्चित-प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष एवं सिवनी विधायकनीता पटेरिया के समर्थक माने जाने वाले नगर भाजपा अध्यक्ष प्रेम तिवारी की इंका विधायक हरवंश सिंह के मामले में अपनाये गये तीखे तेवर सियासी हल्कों में चर्चित हैं। पहले पेंच परियोजना और अब फोर लेन मामले को लेकर उनके प्रकाशित बयानों पर राजनैतिक क्षेत्रों में तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। पिछले कई बरसों से इंका नेता हरवंश सिंह के साथ किजला भाजपा के आला नेताओं की नूरा कु श्ती के चर्चे दोनो ही पार्टी के कार्यकर्त्ता तक आपस में करते रहते हैं। ऐसी चर्चाओं के चलते यदि तीखी बयानबाजी चालू हो जाये तो उसके चर्चे होना स्वभाविक ही हैं। अब यह तो समय ही बतायेगा कि प्रेम की इस बयान बाजी को नीता की स्वीकृति है या नहीं? या कहीं कुछ दवाब बनाने के लिये वे ऐसी बयानबाजी करवा रहीे हैं। इंका प्रवक्ता ओमप्रकाश तिवारी की विज्ञप्ति में इस बात के स्पष्ट उल्लेख के बाद कि जिला भाजपा अध्यक्ष और भाजपा के सुलझे हुये कुछ नेताओं की लताड़ के बाद भी प्रेम तिवारी ऐसी बचकाना विज्ञप्तियां जारी करना बंद नहीं कर रहें हैं। इन सब गतिविधियों को देखकर ऐसा लगता है कि इंका और भाजपा के नेताओं के बीच नूरा कुश्ती का दौर पहले की तरह अब भी जारी है फर्क है तो सिर्फ इतना कि पहले के दौर औ अब के दौर में कुछ पात्र बदलते जरूर दिख रहें हैं।

गीता के प्रदेश कांग्रेस महामंत्री बनने पर इंकाइयों की चुप्पी क्यों?-पूर्व कांग्रेस विधायक स्व. ठा. दीप सिंह की प्रपोत्र बहू,विधायक स्व. ठा. सत्येन्द्र सिंह की पुत्र वधू और विधायक स्व. रणधीर सिंह की पत्नी श्रीमती गीता सिंह को प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर नवाजा गया। लेकिन आज के दौर में जैसे किसी की किसी वार्ड स्तर के पद पर भी नियुक्ति होंती होती हैं तो जैसी विज्ञापनों और बधाइयों के दौर चालू हो जाते हैं वैसा दौर गीता की नियुक्ति के बाद कांग्रेस में नहीं दिखा। जिस परिवार की तीन पीड़ियों ने जिले में कांग्रेस के लिये काम किया हो उसकी ऐसी उपेक्षा समझ से परे हैं। वरना फलाने नेता के आर्शीवाद से और फलाने नेता की अनुशंसा से पद मिलने पर बधायी छपने का चलन तो आज कल हर पार्टी में आम हो गया हैं। ऐसे में इंकाइयों की इस चुप्पी के तरह तरह के अर्थ लगाये जा रहें हैं।

स्थापना दिवस समारोह मे स्थापित होते दिख रहे हैं नये राजनैतिक समीकरण -प्रदेश और जिले के स्थापना दिवस समारोहों में बुलाये गये नेता और पहुचने वाले नेताओं की ओर यदि गौर फरमायें तो कुछ नये समीरकरण स्थापित होते भी दिख रहें हैं। जिला मुख्यालय के मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह थे जबकि विशिष्टि अतिथि नीता पटेरिया थीं। लेकिन समारोह में हरवंश सिंह के साथ नीता पटेरिया के बजाय महाकौशल विकास प्राधिकरण के केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर उस समारोह में शामिल हुये जबकि वे अतिथि भी नहीं बनाये गये थे। इसी तरह नपा द्वारा आयोजित स्थापना दिवस समारोह में नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने नरेश दिवाकर का नाम अतिथि के रूप में प्रकाशित करा दिया था जबकि नरेश का दो दिन का नरसिंहपुर और छिंदवाड़ा प्रवास का कार्यक्रम पहले ही घोषित हो चुका था। लेकिन एक दूसरे को फूंटी आंख ना सुहाने वाले दोनों भाजपा नेता समारोह में एक साथ दिखे। इन सबको देखकर राजनैतिक विश्लेषकों का ऐसा माना है कि स्थापना दिवस पर आयोजित इन समारोहों में स्थापना दिवस के ये कार्यक्रम जिले की राजनीति में भविष्य में स्थापित होने वाले नये राजनैतिक समीकरणों का पूर्वाभास तो नहीं हैं?



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