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10.11.11

जलधि विशाल | कविता

जलधि विशाल | कविता: जलधि विशाल तरंगित उर्मी
नीलांचल नाद झंकृत धरणी
कल-कल झिन्झिन झंकृत सरिता
पारावार विहारिणी गंगा

1 comment:

Shikha Kaushik said...

BAHUT SUNDAR .BADHAI