तंग न करना । (गीत ।)
प्यार में तुम्हारे तेवर, कभी तंग न करना..!!
अंतरा-१.
बस में कहाँ है तेरे, किसी ओर का होना..!!
ये ठीक नहीं की समझो, दिल को एक खिलौना..!!
उठेगा तूफाँ, तक़दीर से कभी जंग न करना ।
प्यार में तुम्हारे तेवर, कभी तंग न करना..!!
अंतरा-२.
अगर मेल नहीं है तो, हम से जुदाई भी कहाँ..!!
शीशा-ए-दिल टूटा कहाँ, बात निभाई भी कहाँ..!!
नाज़ुक है मामला, इस में सुरंग न करना ।
प्यार में तुम्हारे तेवर, कभी तंग न करना..!!
अंतरा-३.
गैर से रिश्ते - नाते, बहुत ज़्यादती है सनम..!!
जुदा होने की बात, कहाँ से उठती है सनम..!!
जुदाई के बहाने तुम, अनूह तरंग न करना ।
प्यार में तुम्हारे तेवर, कभी तंग न करना..!!
(अनूह = बिना सोचे समझे )
अंतरा-४.
हसीं हो तुम, जवाँ भी, कई चाहने वाले होंगे..!!
हम तो जाँ लुटा चुके, कई और लुटाते होंगे..!!
मासूम जवानी को, इतनी भी दबंग न करना ।
प्यार में तुम्हारे तेवर, कभी तंग न करना..!!
(दबंग = असरदार, कारगर, प्रभावी)
ठुकरा कर हमें सनम, कभी बेरंग न करना ।
प्यार में तुम्हारे तेवर, कभी तंग न करना..!!
मार्कण्ड दवे । दिनांक-२६-११-२०११.
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