टीम अन्ना के सदस्य अरविन्द केजरीवाल ने गाजियाबाद में शनिवार को जो बयान दिया था उसमें खरी
सच्चाई है .पूरा देश जानता है की वर्तमान में संसद के मंदिर में १६३ सांसदों के खिलाफ जघन्य अपराध
के मामले चल रहे हैं.
नेताजी को अपना गुनाह भी पुण्य लगता है !जो नेता खुद के गुनाह को गुनाह कबूल करते हैं वे तो
वास्तव में जनसेवक हैं क्योंकि उनमे छोटी सी उम्मीद की किरण दिखाई देती है की वे खुद को सुधारने
के लिए प्रयत्न करेंगे और उनको तो टीम अन्ना के सदस्य केजरीवाल या देशवासी गाली नहीं दे रहे हैं
मगर यदि स्वच्छ छवि के जनसेवक को गुनाहगार सांसदों को दी हुई कडवी सच्ची बात बुरी लगती है तो
फिर वो लोग भी स्वच्छ जनसेवक कैसे हुए ? हमारे लोकतंत्र की यह कमजोरी है की हमारा कानून चुनाव
में उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र भरने की अनुमति आपराधिक लोगों को दे देता है.
अपराधी लोग आज तो १६३ हैं यदि ये बहुमत में आ जाए तो संसद कैसी होगी ?कैसे कानून बनेंगे?
क्या अपराधी लोग जनहित की बात सोचेंगे ?
सवाल यह उठता है की ऐसे लोगों को चुनता कौन है और क्यों चुन कर भेजता है ?
हमारे देश में शिक्षा का अभाव ,जातिगत समीकरण,धन से वोटो की खरीद ,मतदान के प्रति अनुत्साह,
बाहुबल ,मतदान केन्द्रों पर कब्जा आदि कारण हैं जिनके कारण अपराधी तत्व सांसद और विधायक
बन जाते हैं .
किसी अपराधी के सांसद या विधायक चुन लिए जाने मात्र से क्या उसका अपराध ख़त्म हो जाता है ?
क्या कुकर्मी भगवा वस्त्र पहन लेने या हज कर आने से पवित्र हो जाता है ? क्या अपराधी सांसद
या विधायक संसद की गरिमा को बढाते हैं ? क्या किसी अपराधी ने साम ,दाम ,दंड या भेद किसी भी
कारण से चुनाव जीत लिया है तो जनता उसके दोषों को नजर अंदाज कर दे ?
केजरीवाल ने कोई गप्प नहीं लगाई है या किसी को भ्रमित नहीं किया है उन्होंने तो उस जनता को
जागरूक करने का प्रयास किया है कि यदि जनता सोच समझ कर फैसला नहीं करती है और मत
का सोच समझ कर उपयोग नहीं करती है तो लोकतंत्र के बुरे परिणाम भी भुगतने के लिए उसे तैयार
रहना पडेगा .
करोडो -अरबों कि राशि का गबन करने वाले सांसदों कि जय जयकार या वाहवाही क्यों चाहते हैं
आज के जनसेवक ? क्यों बुरे सांसदों को बुरा कहने पर भड़कते हैं सफेद कॉलर नेता ? यदि वो लोग
देश और देश के संविधान के प्रति वफादार हैं तो बुरे को बुरा कहने मात्र से क्यों मिर्ची लग जाती है?
क्यों आपराधिक सांसदों के प्रति सहानुभूति रखते हैं स्वच्छ छवि रखने वाले सांसद?
सभी दल के नेता क्यों टिकिट देते हैं आपराधिक छवि वाले लोगों को ? सभी दल बाहुबलियों को
टिकिट देते हैं ,सभी दलों के नेता उन अपराधियों को चुनने के लिए जनता के दरवाजे पर दस्तक देते
फिरते हैं और यही कारण है कि केजरीवाल जैसे देशवासीयों को गाली देने के लिए आज सभी दल
उतारू हैं.
चोर सांसद को चोर कहने से ,हत्यारे सांसद को हत्यारा कहने से ,बलात्कारी सांसद को बलात्कारी
कहने से यदि लोकतंत्र कमजोर होता है तो ऐसा लोकतंत्र ही क्या काम का ? मीडिया को चाहिए कि
वो भी राष्ट्र धर्म का पालन करते हुए केजरीवाल जैसे लोगो के पक्ष में माहोल बनाए क्योंकि आज
मिडिया की ताकत से अनेको राज पर्दाफाश हुए हैं और अपराधी विधायक ,सांसद जेल कि हवा खा
रहे हैं .
सच्चाई है .पूरा देश जानता है की वर्तमान में संसद के मंदिर में १६३ सांसदों के खिलाफ जघन्य अपराध
के मामले चल रहे हैं.
नेताजी को अपना गुनाह भी पुण्य लगता है !जो नेता खुद के गुनाह को गुनाह कबूल करते हैं वे तो
वास्तव में जनसेवक हैं क्योंकि उनमे छोटी सी उम्मीद की किरण दिखाई देती है की वे खुद को सुधारने
के लिए प्रयत्न करेंगे और उनको तो टीम अन्ना के सदस्य केजरीवाल या देशवासी गाली नहीं दे रहे हैं
मगर यदि स्वच्छ छवि के जनसेवक को गुनाहगार सांसदों को दी हुई कडवी सच्ची बात बुरी लगती है तो
फिर वो लोग भी स्वच्छ जनसेवक कैसे हुए ? हमारे लोकतंत्र की यह कमजोरी है की हमारा कानून चुनाव
में उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र भरने की अनुमति आपराधिक लोगों को दे देता है.
अपराधी लोग आज तो १६३ हैं यदि ये बहुमत में आ जाए तो संसद कैसी होगी ?कैसे कानून बनेंगे?
क्या अपराधी लोग जनहित की बात सोचेंगे ?
सवाल यह उठता है की ऐसे लोगों को चुनता कौन है और क्यों चुन कर भेजता है ?
हमारे देश में शिक्षा का अभाव ,जातिगत समीकरण,धन से वोटो की खरीद ,मतदान के प्रति अनुत्साह,
बाहुबल ,मतदान केन्द्रों पर कब्जा आदि कारण हैं जिनके कारण अपराधी तत्व सांसद और विधायक
बन जाते हैं .
किसी अपराधी के सांसद या विधायक चुन लिए जाने मात्र से क्या उसका अपराध ख़त्म हो जाता है ?
क्या कुकर्मी भगवा वस्त्र पहन लेने या हज कर आने से पवित्र हो जाता है ? क्या अपराधी सांसद
या विधायक संसद की गरिमा को बढाते हैं ? क्या किसी अपराधी ने साम ,दाम ,दंड या भेद किसी भी
कारण से चुनाव जीत लिया है तो जनता उसके दोषों को नजर अंदाज कर दे ?
केजरीवाल ने कोई गप्प नहीं लगाई है या किसी को भ्रमित नहीं किया है उन्होंने तो उस जनता को
जागरूक करने का प्रयास किया है कि यदि जनता सोच समझ कर फैसला नहीं करती है और मत
का सोच समझ कर उपयोग नहीं करती है तो लोकतंत्र के बुरे परिणाम भी भुगतने के लिए उसे तैयार
रहना पडेगा .
करोडो -अरबों कि राशि का गबन करने वाले सांसदों कि जय जयकार या वाहवाही क्यों चाहते हैं
आज के जनसेवक ? क्यों बुरे सांसदों को बुरा कहने पर भड़कते हैं सफेद कॉलर नेता ? यदि वो लोग
देश और देश के संविधान के प्रति वफादार हैं तो बुरे को बुरा कहने मात्र से क्यों मिर्ची लग जाती है?
क्यों आपराधिक सांसदों के प्रति सहानुभूति रखते हैं स्वच्छ छवि रखने वाले सांसद?
सभी दल के नेता क्यों टिकिट देते हैं आपराधिक छवि वाले लोगों को ? सभी दल बाहुबलियों को
टिकिट देते हैं ,सभी दलों के नेता उन अपराधियों को चुनने के लिए जनता के दरवाजे पर दस्तक देते
फिरते हैं और यही कारण है कि केजरीवाल जैसे देशवासीयों को गाली देने के लिए आज सभी दल
उतारू हैं.
चोर सांसद को चोर कहने से ,हत्यारे सांसद को हत्यारा कहने से ,बलात्कारी सांसद को बलात्कारी
कहने से यदि लोकतंत्र कमजोर होता है तो ऐसा लोकतंत्र ही क्या काम का ? मीडिया को चाहिए कि
वो भी राष्ट्र धर्म का पालन करते हुए केजरीवाल जैसे लोगो के पक्ष में माहोल बनाए क्योंकि आज
मिडिया की ताकत से अनेको राज पर्दाफाश हुए हैं और अपराधी विधायक ,सांसद जेल कि हवा खा
रहे हैं .
1 comment:
Sansad kuchh bhee hai par janataa , desh aur satya se badee naheen hai . Jaroorat to samvidhaan ko bhee badalane kee hai.
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