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29.2.12

आपदा से कम नहीं सडक हादसे



आपदा से कम नहीं सडक हादसे...

बाईक औऱ स्कूटर पर स्टंट करते युवा आपको कहीं ना कहीं जरूर दिख जाएंगे...स्टंट करने में भले ही इन युवाओं को खूब मजा आता हो...लेकिन ये नहीं जानते कि इनका ये मजा ना जाने कब इऩके लिए जीवन भर की सजा बन जाए। बाईक और स्कूटर पर खतरनाक स्टंट करते युवाओँ की टोली आये दिन किसी ना किसी हाईवे पर दिखाई दे जाती है...इन युवाओं को ना तो पुलिस का खौफ होता है...औऱ ना ही मौत का। सडक दुर्घटनाओं में 40 प्रतिशत लोगों की मौत टू व्हीलर औऱ ट्रक की वजह से होती है...जिसमें भी अधिकतर मौत सिर में चोट लगने की वजह से होती हैं...यानि की हेलमेट ना पहनने के कारण भी लाखों लोग हर साल बेमौत मारे जाते हैं। दुनिया भर में हर घंटे तकरीबन 40 लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं जिनकी उम्र 25 साल से कम होती है। भारत में हर साल करीब अस्सी हजार से ज्यादा लोगों की मौत सडक दुर्घटना में होती है...करीब एक करोड से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी होते हैं...और लगभग तीन लाख लोग हमेशा के लिए अपाहिज हो जाते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन के मुताबिक पूरी दुनिया के मुकाबलेभारत सड़क दुर्घटनाओं में अव्वल है...2010 की ही अगर बात करें तो तकरीबन एक लाख 60 हजार लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए थे। नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी) की रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश सड़क दुर्घटना में 12 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा भागीदार है। आंध्र प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर 11 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र है। दुनिया में भारत सडक दुर्घटनाओं में अव्वल है...भारत में इतनी मौतें शायद किसी बडी आपदा के आने से नहीं होती हैं जितनी मौत सडक दुर्घटनाओं में होती है। देखा जाए तो भारत में सडक दुर्घटनाएं आपदा का रूप ले चुकी हैं...और सडक पर चलते – चलते आने वाली ये आपदा कब किसे मौत की नींद सुला दे कोई नहीं जानता। सडक पर आने वाली इस आपदा के शिकार लोगों में टू व्हीलर पर बिना हेलमेट के चलने वाले लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है। ऐसा नहीं है कि हम इस आपदा से बच नहीं सकते...हम इस आपदा से बच सकते हैं अगर हम जरा सी सावधानी बरतें...टू व्हीलर चलाते समय हेलमेट पहनें तो काफी हद तक हम इस आपदा में होने वाली मौत के आंकडे को कम कर सकते हैं। आज की भागदौड भरी जिंदगी में जीवन का पहिया तेजी से दौड रहा है...फैसला आपके हाथ में है...कि आपको दौडते रहना है...या फिर किसी दिन अचानक रूक कर बिखर जाना है।

दीपक तिवारी


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