कभी बुआ भतीजावाद का रोना रोने वाले कांग्रेसी अब पिता पुत्रवाद की राग दरबारी पर थिरकते नजर आ रहें हैं
लंबे ऊहा पोह और इंतजार के बाद आखिर जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी की घोषणा हो ही गयी। सिवनी जिले में हमेशा की तरह इस बार भी जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के केवलारी विस चुनाव की बिसात ही बिछते दिख रही हैं। कांग्रेसी हरवंश सिंह को महाबली,दादा ठाकुर या अन्य किसी भी नाम से पुकारते हैं। जिस नेता का पिछले पंद्रह सालों से जिले की कांग्रेसी राजनीति में एक छत्र राज चल रहा हो और जिसे महाबली माना जाता हो उसका इतना निरीह दिखना सियासी हल्कों में चर्चित हैं। जो कांग्रेसी 90 के दशक में बुआ भतीजावाद का रोना रोकर जिले में कांग्रेस के बरबाद होने का आरोप लगाया करते थे वे ही आज पिता पुत्रवाद की राग दरबारी पर थिरकते नजर आ रहें हैं। जिले की भाजपायी राजनीति में एक बार फिर सरगर्मी आ गयी हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व त्रि विभागीय मंत्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को शिवराज सरकार ने प्रदेश के वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया हैं। शिव की सरकार में सिवनी के भाजपा नेता तो पर्याप्त स्थान एवं महत्व पा चुकें हैं लेकिन अब देखना यह है कि चुनाव के पहले शिव की नगरी सिवनी को भी शिव राज में कोई बड़ी उपलब्धि होती है या नहीं? जिले में कांग्रेस की सभी नियुक्तियों के लिये जारी विज्ञप्तियों में इस बात का उल्लेख अवश्य किया गया हैं कि जिले के वरिष्ठ नेता हरवंश सिंह की मंशानुसार ये नियुक्तियां हुयीं हैं।
जिला इंका की जम्बो जेट कार्य.घोषित-लंबे ऊहा पोह और इंतजार के बाद आखिर जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी की घोषणा हो ही गयी। हालांकि आज से लगभग 18 महीने पहले जिले में हुये कांग्रेस के कथित चुनाव के बाद जैसा अखबारों में प्रकाशित हुआ था उससे बहुत कुछ अलग इस घोषित समिति में दिखा। इस घोषित समिति में चुनावी साया स्पष्ट दिखायी दे रहा हैं। वैसे जब कहीं ओर चुनावी साया दिखने की बात होती हैं तो किसी भी जिले के सभी विस क्षेत्रों की बात होती हैं लेकिन सिवनी जिले में हमेशा की तरह इस बार भी जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के केवलारी विस चुनाव की बिसात ही बिछते जिला इंका की घोषणा में दिख रही हैं। इस जम्बो जेट कार्यकारिणी में कांग्रेस संविधान के निर्वाचन के प्रावधानों का पालन नहीं हुआ और मन माफिक संख्या में पदाधिकारियों की नियुक्ति कर दी गयी हैं। जिला इंका में 1कोषाध्यक्ष,9उपाध्यक्ष,11महामंत्री,17 संगठन सचिव,13 कार्य. सदस्य एवं 7 स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाये गये हैं।
बहुत निरीह दिखे महाबली कहलाने वाले हरवंश-कांग्रेसी हरवंश सिंह को महाबली,दादा ठाकुर या अन्य किसी भी नाम से पुकारते हैं। लेकिन यह भी शाश्वत सत्य है कि आदमी खुद अपने आप को सबसे अच्छा और सच्चा पहचानता हैं। यही बात हरवंश सिंह पर भी लागू होती हें। भले ही वे केवलारी विस क्षेत्र से चार चुनाव लगातार जीत चुकें हो लेकिन वे जानते हैं कि ये सब कैसे हुआ हैं? इंकाई हल्कों में कई दिनों से 1/14 का समीकरण चल रहा था। एक इंका नेता को जिला इंका में रोकने के लिये 14 नेताओं ने संयुक्त रूप से दवाब अनाया था कि यदि इसे शामिल किया गया तो हम सभी समूहिक रूप से त्यागपत्र दे देंगें। मजे की बात यह थी कि ये सभी 14 इंका नेता परिसीमन के पहले वाले केवलारी विस क्षेत्र में अपना प्रभाव रखते थे। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में हरवंश सिंह पूरे पुराने केवलारी क्षेत्र से चुनाव हार गये थे लेकिन परिसीमन में जोड़े गये नये क्षेत्रों ने उनकी लाज रख ली थी और वे चुनाव जीत गये थे। लेकिन पांचवी पारी खेलने के लिये डरे हुये हरवंश सिंह ने 14 नेताओं को नाराज करने का जाखिम लेना उचित नहीं समझा और बीच का रास्ता निकाल लिया।जिस इंका नेता का विरोध था उसे छोड़ा तो नहीं लेकिन सिर्फ कार्यकारिणी सदस्य ही बनाया और उन 14 नेताओं में अधिकांश को पदों से नवाज कर खुश करने का प्रयास कर लिया है। जिस नेता का पिछले पंद्रह सालों से जिले की कांग्रेसी राजनीति में एक छत्र राज चल रहा हो और जिसे महाबली माना जाता हो उसका इतना निरीह दिखना सियासी हल्कों में चर्चित हैं।
पिता पुत्रवाद पर थिरक रहें हैं कांग्रेसी-जो कांग्रेसी 90 के दशक में बुआ भतीजावाद का रोना रोकर जिले में कांग्रेस के बरबाद होने का आरोप लगाया करते थे वे ही आज पिता पुत्रवाद की राग दरबारी पर थिरकते नजर आ रहें हैं। जी हां बात हो रही है जब जिले की वरिष्ठतम कांग्रेस नेत्री कुमारी विमला वर्मा का सक्रिय राजनीति में जलवा में था। उन्हीं की अगुलियां पकड़ कर आज के इंकाई पुरोधा हरवंश सिंह ने राजनीति शुरू की थी। बरघाट के एक कार्यक्रम में हरवंश सिंह पर उनकी उपस्थिति में ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा था तब से विमला वर्मा ने उनसे किनारा कर लिया था और यहीं से हरवंश सिंह ने समानान्तर राजनीति करना शुरू की थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के रहमो करम से वे राजनीति में आगे बढ़ते गये। उस दौरान हरवंश सिंह और उनके संगी साथी विमला वर्मा पर कोई और आरोप ना लगा पाने के कारण भाई भतीजेवाद का आरोप लगाया करते थे।इससमय तकआशुतोष वर्मा भी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो चुके थे और उन्हीं के कारण ये आरोप लगाये जाते थे और कांग्रेस के हाल बेहाल होने की बात कही जाती थी। हालंकि आशुतोष वर्मा छात्र राजनीति से कांग्रेस की राजनीति में आये थे और सन 1977 में उस वक्त कांग्रेस में इंदिरा जी के साथ रहे जब हरवंश सिंह इंदिरा जी को छोड़ कर कांग्रेस अर्स की कमान संभाल रहे थे। आज वो ही कांग्रेसी पिता पुत्रवाद की राजनीति याने हरवंशसिंह और उनके पुत्र रजनीश सिंह की जिला में महामंत्री पद की ताज पोशी पर राग दरबारी पर थिरकते नजर आ रहें हैं। इसे ही तो कहते हैं वक्त के घूमते पहिये का कमाल।
डॉ. बिसेन को भी मिली लाल बत्ती-जिले की भाजपायी राजनीति में एक बार फिर सरगर्मी आ गयी हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व त्रि विभागीय मंत्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को शिवराज सरकार ने प्रदेश के वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया हैं। इसके पहले सरकार ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को मविप्रा का अध्यक्ष नियुक्त कर केबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। इसी तरह जिले के ही इंद्रेश गजभिये भी केबिनेट मेंत्री का दर्जा प्राप्त निगम के अध्यक्ष हैं। सिवनी की अंतिम सांसद रही विधायक नीता पटेरिया पहले ही प्रदेश की महिला मोर्चे की अध्यक्ष बन चुकीं हैं। इस तरह अब शिव की नगरी सिवनी से चार भाजपा नेता ऐसे हो गयें जो प्रदेश स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि डॉ. बिसेन मुख्यमंत्री उमा भारती और बाबूलाल गौर की केबिनेट में कबीना मंत्री थे लेकिन शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें मंत्री नहीं बनाया था। मुख्यमंत्री ने यह सब कवायत करके जिले की भाजपायी राजनीति में गुटीय एवं जातीय संतुजन बनाने का प्रयास तो कर लिया हैं लेकिन अपने किये गये वायदों को पूरा करने में यदि वे कामयाब नहीं हुये तो उसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता हैं। इसीलिये अब राजनैतिक विश्लेषकों की नजरें इस पर टिकी हुयीं हैं कि शिव की सरकार में सिवनी के भाजपा नेता तो पर्याप्त स्थान एवं महत्व पा चुकें हैं लेकिन अब चुनाव के पहले शिव की नगरी सिवनी को भी शिव राज में कोई बड़ी उपलब्धि होती है या नहीं?
सब कुछ मंशानुसार-इस सप्ताह पूरे जिले में कांग्रेस संगठन की जिला और ब्लाक इकाइयों के गठन की घोषणा हो रही हैं। जिले की सभी नियुक्तियों के लिये जारी विज्ञप्तियों में इस बात का उल्लेख अवश्य किया गया हैं कि जिले के वरिष्ठ नेता हरवंश सिंह की मंशानुसार ये नियुक्तियां हुयीं हें। एक विज्ञप्ति में यदि तीन ब्लाकों की घोषणा की गयी है तो तीन बार यही उल्लेख किया गया हैं। प्रदेश कांग्रेस के मिशन 2013 के अनुसार अब देखना यह है कि चुनावी परिणाम कांग्रेस की मंशानुसार आते हैं या हरवंश सिंह की मंशानुसार?
No comments:
Post a Comment