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4.4.12

बापू हैं भारत के सपूत

बापू हैं भारत के सपूत 

राष्ट्रपिता सवाल का जबाब भारत के पास नहीं है .भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा यह तो
सब जानते हैं मगर फिर भी किसी इतिहासकार ने भरत को राष्ट्रपिता नहीं कहा .भगवान् राम और
कृष्ण भी अपनी पवित्र मातृभूमि के पुत्र बनकर ही रहे ,मातृभूमि को उन्होंने अपनी जननी माना
लेकिन मातृभूमि के पिता के रूप में कभी नहीं पूजे गये .
          बड़े-बड़े संत और सत्पुरुष इस जननी की गौद में पले- बढ़े मगर किसी की चाहना यह नहीं
रही कि हम इस जन्मभूमि के पिता बने !!
         महाकवि टेगोर ने माँ भारती के इस लाडले को "महात्मा "जरुर कहा मगर राष्ट्रपिता कहने का
आडम्बर उन्होंने भी नहीं किया ,शायद टेगोर भी जानते थे कि माँ कि कोख से महात्मा का जन्म ही
हो सकता है .
          कक्षा छह की छात्रा ऐश्वर्या पाराशर ने गत 13 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय के जनसूचना
अधिकारी को भेजी गई अर्जी में उस आदेश की फोटो प्रति मांगी थी, जिसके आधार पर महात्मा गांधी 
को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है। इस सवाल ने सरकार के सामने मुश्किल खड़ी कर दी और इस
प्रश्न पर सरकार ने हाथ खड़े कर दिए।
           प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऐश्वर्या की अर्जी को गृह मंत्रालय के पास भेज दिया, जिसने यह कहा 
गया कि इस सवाल का जवाब देना उसकी जिम्मेदारी नहीं है और पत्र को राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास
भेज दिया गया। अभिलेखागार द्वारा आरटीआई दाखिल करने वाली ऐश्वर्या को हाल में भेजे जवाब में 
कहा कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिये जाने के समर्थन में कोई दस्तावेज मौजूद नहीं हैं।


          जो व्यक्ति अपने देश कि गरीब महिलाओं के तन पर पुरे वस्त्र नहीं देख कर इतना संवेदन
शील हो जाता है कि उम्र भर अधनंगा फकीर बनकर ही माँ भारती की सेवा करता रहता है वह
शख्शियत कभी भी जीते जी ऐसे अलंकरण को सहन नहीं कर सकता है तो फिर इस महात्मा को
"राष्ट्रपिता" का अलंकरण किसने दिया!!

            क्या उस समय ऐसे  लोग भी इस महात्मा के इर्द-गिर्द थे जो इनके व्यक्तित्व और कृतित्व
 से  फायदा उठाना चाहते थे ?

           क्या उस समय सत्तालोलुप लोग इस महात्मा की समीपता से राजनैतिक फायदा चाहते थे,
सत्ता सुख चाहते थे ?

           क्या बापू उन लोगों  की मंशा भाँप चुके थे कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल करके देश
को भविष्य में भ्रमित किया जा सकता है ?

         बापू के मन में क्या रहा होगा कि उन्होंने यह कहा कि देश के स्वतंत्र हो जाने के बाद इस
संगठन को विसर्जित कर दिया जाए ?

        बापू इस भारत भूमि की कोख से उत्पन्न ज्योतिपुंज नक्षत्र है जो विश्व मानवता को अहिंसा
और सत्य के प्रयोग का सूत्र देता है ,बापू  मातृभूमि के सपूत हैं और सपूत कभी राष्ट्र का पिता
नहीं बनना चाहता है वह तो सपूत बनकर ही गोरवान्वित होना चाहता है शायद इसीलिए महात्मा
गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिये जाने के समर्थन में कोई दस्तावेज मौजूद नहीं हैं।        

1 comment:

Dr Om Prakash Pandey said...

unhein baapu kahnewaale kahein , par raashtrapita kahanaa vivaad ka vishay rahegaa hee .