गेहूं खरीदी में भाजपा खुद अपनी पीठ थपथपा रही है तो कांग्रेस शिवराज पर किसानों के शोषण का आरोप लगा रही हैं
गेहूं खरीदी को लेकर प्रदेश सरकार और उसके मुखिया शिवराजसिंह चौहान खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहें हैं। उनके द्वारा तय की गयी प्रक्रिया में किसानों को कितनी तकलीफ हुयी इसे बताने के बाद भी ना तो उनकी सरकार और ना ही उनका जिला प्रशासन कोई कार्यवाही करने को तैयार हैं। जिले में भी गेहूं खरीदी को लेकर इंका और भाजपा के बीच बहुत विज्ञप्ति युद्ध चला। वैसे तों कांग्रेसी ये भी आरोप लगाते देखे जा रहें हैं कि प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीदी की तारीख बढ़ाकर जो 31 मई की थी उसके पीछे किसानों की सेवा करने की कोई भावना नहीं थी वरन सरकार पिछले लगभग दो सालों से जो मंड़ी चुनाव टालते आ रही हैं उसे और आगे बढ़ाना चाहती थी। बहुत तामझाम के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने प्रदेश के सहकारिता और पी.एच.ई. मंत्री गौरीशंकर बिसेन को पार्टी की ओर से केवलारी विस क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया था। अपने बयानों को लेकर विवाद में रहने वाले गौरी भाऊ पिछले कुछ महीनों से ना केवल चुप हैं वरन उन्होंने केवलारी की तरफ तो मुह मोड़कर देखना भी बंद कर दिया हैं। प्रदेश भाजपा में यह योजना बनायी जा रही है कि प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिला अध्यक्षों को बदल दिया जाये। लेकिन होने वाले असंतोष को रोकने के लिये यह भी कहा जा रहा है कि इनमें से चार या पांच जिलाध्यक्षों को चुनाव में विधानसभा की टिकिट दी जायेगी। इसके कारण जिला भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के चर्चे दबी छुपी जबान में चल रहें हैं।
गेहूं खरीदी को लेकर इंका भाजपा में खूब चला विज्ञप्ति युद्ध-पहले किसी भी काम का मूल्यांकन इस बात से होता था कि उसकी कितनी प्रशंसा की जा रही हैं और कौन उसकी प्रशंसा कर रहा हैं? लेकिन अब हालात बदल गये हैं और कोई भी इस बात की रास्ता नही देखता है कि उसके कामों की कोई प्रशंसा करें वरन वह खुद ही अपनी पीठ थपथपा कर अपनी ही तारीफ करने लग जाता हैं। ऐसा ही कुछ आलम इन दिनों प्रदेश में देखा जा रहा हैं। गेहूं खरीदी को लेकर प्रदेश सरकार और उसके मुखिया शिवराजसिंह चौहान खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहें हैं। उनके द्वारा तय की गयी प्रक्रिया में किसानों को कितनी तकलीफ हुयी इसे बताने के बाद भी ना तो उनकी सरकार और ना ही उनका जिला प्रशासन कोई कार्यवाही करने को तैयार हैं। जिले में भी गेहूं खरीदी को लेकर इंका और भाजपा के बीच बहुत विज्ञप्ति युद्ध चला। कांग्रेस के इकलौते विधायक हरवंश सिंह ने कुछ खरीदी केन्द्रों के दौरे भी किये। इंका नेता आशुतोष वर्मा ने मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र लिखकर जमीनी हकीकत से अवगत कराया और उसकी एक प्रति कलेक्टर को भेजी। इंका प्रवक्ता ओ.पी.तिवारी और जिला भाजपा प्रवक्ता श्रीकांत अग्रवाल के बीच भी विज्ञप्ति युद्ध चला। जिन सवालों का जवाब नहीं होता थ उसे छोड़कर खेत के सवाल का जवाब खलिहान से देने का चलन सा बन गया था। एक झूठ को सौ बार जोर जोर से बोलो तो उसे सच मान लिया जाता हैं। कुछ इसी तर्ज पर भाजपा अपना राग अलाप रही थी। पिछले आठ सालों से अपनी नाकामी या असफलता की ठीकरा केन्द्र की कांग्रेस सरकार पर फोड़ना भाजपा और शिवराज सिंह का शगल बन गया हैं। कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया हैं कि पांच लाख से अधिक किसानों का गेहूं सरकार अभी तक नहीं खरीद पायी हैं इसलिये खरीदी की तारीख बढ़ायी जाये तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिह ने बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर यह दावा किया है किसानो का एक एक दाना गेहूं खरीद कर सरकार ने अपना वचन निभाया हैं। वैसे तों कांग्रेसी ये भी आरोप लगाते देखे जा रहें हैं कि प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीदी की तारीख बढ़ाकर जो 31 मई की थी उसके पीछे किसानों की सेवा करने की कोई भावना नहीं थी वरन सरकार पिछले लगभग दो सालों से जो मंड़ी चुनाव टालते आ रही हैं उसे और आगे बढ़ाना चाहती थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर सरकार को जून के अंत तक मंड़ी चुनाव कराना था। लेकिन सरकार ने गेहूं खरीदी में समूचे अमले के लगे रहने के कारण चुनाव कराने में असमर्थता बताते हुये सुप्रीम कोर्ट से नवम्बर तक का समय ले लिया हैं। इसलिये अब किसानों का गेहूं ना बिकने के कारण तारीख बढ़ाये जाने की मांग भी मंजूर नहीं की जा रही हैं क्योंकि मंड़ी चुनाव का भूत तो फिलहाल सिर पर मंड़राना बंद हो ही गया हैं।
कहां गुम हो गये केवलार के प्रभारी गौरी भाऊ?-बहुत तामझाम के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने प्रदेश के सहकारिता और पी.एच.ई. मंत्री गौरीशंकर बिसेन को पार्टी की ओर से केवलारी विस क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया था। गौरी भाऊ ने बड़ी ताम झाम से शुरू शुरू में केवलारी क्षेत्र केकई दौरे किये। क्षेत्रीय इंका विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की उपस्थिति में भी कई कार्यक्रम हुये। इनमें केवलारी से भाजपा की टिकिट पर चुनाव लड़ने वाले डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी मौजूद रहे। इसी बीच गा्रम छींदा में एक कार्यक्रम में शिकायत मिलने पर गौरी भाऊ ने एक आदिवासी युवा पटवारी को कान पकड़कर उठक बैठक लगवा दी थी। इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि कि यह प्रदेश स्तर का एक मामला बन गया। इंका विधायक हरवंश सिंह ने लखनदौन में भारी आंदोलन भी करवाया जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव वी.के.हरिप्रसाद,प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी इसमें शामिल हुये थे। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि प्रदेश भाजपा ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि पिछले चुनाव में जिन विस क्षेत्रों से कांग्रेस चुनाव जीती हैं उन क्षेत्रों में भाजपा को जीतना हैं। ऐसे में पिछले चार बार से केवलारी में हारने वाली भाजपा के टारगेट में यह क्षेत्र भी शामिल हैं। इसलिये हि शायद वरिष्ठ मंत्री बिसेन को प्रभारी बनाया गया था। लेकिन हमेशा अपने बयानों को लेकर विवाद में रहने वाले गौरी भाऊ पिछले कुछ महीनों से ना केवल चुप हैं वरन उन्होंने केवलारी की तरफ तो मुह मोड़कर देखना भी बंद कर दिया हैं। भाजपा ने क्षेत्र को जीतने की रणनीति की तहत ही जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को प्रदेश के वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया हैं जो कि इस क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी थे। वैसे तो कांग्रेस और भाजपा में हरवंश सिंह और गौरीशंकर बिसेन दोनों ही बहुत बड़े सेंटिंगबाज माने जाते हैं अब यहां कौन किससे कितना सेट हुआ हैं? यह एक खोज का विषय बन गया हैं।
क्या जिला भाजपा में होगा नेतृत्व परिवर्तन?-प्रदेश में तीसरी पारी खेलने के लिये संकल्पित भाजपा कोई भी जाखिम उठाने के मूड में नहीं हैं। इसी के चलते यह योजना बनायी जा रही है कि प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिला अध्यक्षों को बदल दिया जाये। लेकिन होने वाले असंतोष को रोकने के लिये यह भी कहा जा रहा है कि इनमें से चार या पांच जिलाध्यक्षों को चुनाव में विधानसभा की टिकिट दी जायेगी। इसके कारण जिला भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के चर्चे दबी छुपी जबान में चल रहें हैं। भाजपा नेताओं में चल रही चर्चा के अनुसार अध्यक्ष सुजीत जैन उम्र में काफी छोटे के कारण वह दवाब और प्रभाव बना पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं जो एक अध्यक्ष को अनुशासन बनाये रखने के लिये जरूरी है। इसलिये ऐसा माना जा रहा हैं कि जिले में भाजपा अध्यक्ष बदल कर कसावट लाना चाह रही हैं। वहीं दूसरी ओर अध्यक्ष समर्थक भाजपा नेताओं का यह कहना है कि एक तो उन्हें बदला नहीं जायेगा और यदि फेर बदल हुयी तो उन्हें सिवनी विधानसभा से पार्टी टिकिट देगी। वैसे जिला भाजपा में चल रही गुटबाजी के अनुसार सुजीत जैन को मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर का समर्थक माना जाता था लेकिन पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच तलवारे खिंचीं सी दिखायी दे रहीं हैं। बताया जाता है कि जबसे सिवनी विस क्षेत्र के दावेदार के रूप में सुजीत का नाम अंदर ही अंदर चलने लगा है तबसे विधायक नीता पटेरिया और पूर्व विधायक नरेश दिवाकर से उनकी पटरी वैसी नहीं बैठ रही हैं जैसी कि पहले थी। यह सब कुछ घटित होगा या सिर्फ सियासी चर्चे ही बन कर रह जायेगें यह तो भविष्य में ही पता चल पायेगा। “मुसाफिर“
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बाले दिनांक 5 जून 2012 से साभार
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