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12.6.12

मोदी : सफल व्यक्तित्व के गुण


मोदी : सफल व्यक्तित्व के गुण 


            नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व में क्या ख़ास है जो एक प्रभावशाली आकर्षण पैदा करता  है ,इसकी
चर्चा इसलिए भी जरुरी है क्योंकि वे 2014 के चुनाव के केंद्र में है .वैसे मेरा उद्देश्य मोदी की प्रशंसा
करना नहीं है और ना ही उनकी आलोचना मेरा लक्ष्य है .मैं तो उनके कृतित्व और व्यक्तित्व के सार
को आपके सामने रख कर जीवन में सफलता प्राप्ति के योग्य तरीके कैसे बनाए जाते हैं उस पर चर्चा
करूंगा .
          लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ना :-यदि हमें उत्तर दिशा की ओर आगे बढना है तो निश्चित रूप
से हमारे कदम उत्तर की और आगे बढ़ने चाहिये ,यह बात छोटी और सरल है मगर हम इस रास्ते पर
चल के दाएँ ,बाएँ या पीछे मुड़ जाते हैं कारण कि हम अधीर हो जाते हैं मंजिल को अपनी बनायी तय
सीमा में नहीं पाकर.सफलता एक दिन के पुरुषार्थ पर नहीं मिलती इसमें काफी समय लगता है और
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती तब तक बिना थके चलना पड़ता है .

         काम कभी छोटा या बड़ा नहीं होता :- यह बिलकुल सत्य है कि काम कभी भी छोटा या बड़ा
नहीं होता है मगर काम का निष्पादन सही तरीके से किया जाए तो वह व्यक्ति को बड़ा बना देता है .
चाहे प्रचारक की मामूली सेवा हो या संगठन की बढ़िया नीव रखने का जबाबदारी पूर्ण कार्य .आदमी को
मिलने वाली जबाबदारी को वह कैसे पूरा करता है यही उसकी सफलता के मापदंड को तय करता है .

        बाज नजर :-बाज जमीन से काफी ऊँचाई पर उड़ता रहता है मगर उसका लक्ष्य मात्र उड़ना नहीं
है.बाज का उद्देश्य मौके का सही चयन करके सटीक वार करना है और यदि मौका नहीं मिल रहा है तो
मौके की खोज में निरंतर गतिशील रहना है क्योंकि गति ही मौके का निर्माण करती है

        आलोचकों की हर बात का प्रत्युत्तर नहीं देना :- आलोचकों का कार्य है टीका -टिप्पणी करना
वे लोग निर्बाध रूप से अपना कार्य करते रहते हैं यदि आलोचना को सही रूप में समझा जाए तो वह
लक्ष्य की ओर आगे ही बढ़ाती है क्योंकि आलोचक "क्या सही हो सकता है" पर काम करता है यदि
कोई खोटी आलोचना भी करता है तो जबाब देने से क्या फायदा क्योंकि असत्य सिर्फ भ्रम फैला सकता
है सत्य को जकड़ नहीं सकता .

        सौ सुनार की एक लुहार की:- बहुत बक-बक करने वाला वाणी विलास में डूब जाता है वह
भूल जाता है कि उसने कब क्या बोला,कहाँ और क्यों बोला .बात बात पर स्टेटमेंट देने वाले की कद्र
भी नहीं होती है .मगर जब भी बोलो तो विषय पर पूरी तैयारी के साथ बोलो .थोथी बातो से कब तक
किसी को मुर्ख बनाया जा सकता है भला .

        सेनापति बनना :- यदि नेतृत्व करना है तो पहले सेना की टुकड़ी को खुद के इशारे पर चलना ही
सिखाना पड़ता है जो रंगरूट अनुशासन से बाहर हो उसे दण्ड की भाषा से समझाया जाता है ,यह हो
सकता है कि दंड बहुत कम होता है या उचित या फिर ज्यादा .एक टुकड़ी के दौ सेनापति कैसे हो सकते
हैं .

     सिर्फ जीत का लक्ष्य :- जीत का ही महत्व होता है हार का नहीं .हम अंतिम गेंद पर हारे या अंतिम
विकेट पर.इसका कोई मूल्य नहीं होता है

     साम दाम दण्ड भेद की नीति :-काम  को युक्ति पूर्वक अंजाम देना ही सफलता है .महत्वपूर्ण कार्य
शांति से,प्रार्थना से,धन से,दण्ड से,भेद से कैसे भी पूरा कर लेने वाला ही विजेता होता है ,सही समय पर
सही नीति का प्रयोग असफलता को पास ही नहीं फटकने देती।

    तूफान के गुजरने का इन्तजार :- तूफान का पूरी ताकत के साथ सामना करने के बजाय उसके
गुजर जाने तक इन्तजार करना ही सही नीति  है .

   हवा कोई भी दिशा की ओर चले मगर पाल सही बांधना चाहिए   :- हवा का काम है बहना .कभी
अनुकूल तो कभी प्रतिकूल मगर दोनों ही परिस्थिति में रुकना नहीं चाहिए बस हवा का रुख देख कर पाल
सही बाँध कर चलते रहना चाहिए


    लूज बॉल पर सिक्सर :- यदि हम पूर्ण सतर्क हैं तो समय का पूरा -पूरा फायदा उठाना चाहिये .जैसे
ही समय अनुकूल मिले बड़ी जोखिम उठा ले यदि प्रतिद्वन्धी भूल कर बैठा है तो लाभ उठा ले .

     बेदाग़ और बिंधास छवि :- छवि बेदाग़ भी हो और बिंधास भी

     बढ़िया शब्द कोष और उच्चारण  :- सुन्दर शब्द हो,व्याकरण सही हो,उच्चारण बढ़िया हो

ये कुछ गुण हैं जो मेने मोदी में देखे हैं यदि इन गुणों पर हम भी अमल करे तो सफल जीवन जी सकते हैं

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