आपको आपकी और आप ही के द्वारा संपादित की गई अलसी महिमा की एक और सफलता के बारे में बतलाना चाहता हूँ और पुनः बधाई भी देता हूँ। यह पुस्तक पूरे भारत वर्ष में धूम मचा रही है और सफलता की नई इबारत लिख रही है। पिछले दिनों उदयुर के आर.एन.टी. मेडीकल कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय स्वर्णोत्सव समारोह Gold Fest में लगभग 2000 चिकित्सकों ने शिरकत की थी। इस अवसर पर मैंने सभी को आपकी अलसी महिमा की प्रति भैंट की थी। इस अवसर पर एक स्मारिका भी तैयार की गई थी, जिसमें अलसी पर मेरा लेख (अंग्रेजी में) और अलसी गीत (महका जीवन चहका यौवन नयनों से प्रेम रस छलकाना, गोरा चेहरा रेशम सी लट का राज़ तेरा अलसी खाना) भी प्रकाशित हुआ था। जगह जगह लोग अलसी महिमा की फोटो कॉपियां करवा कर बांट रहे हैं। पिछले दिनों लुधियाना के एक योग कैंद्र ने अलसी के 10,000 ब्रोचर छपवा कर बांटे हैं। आपके इन्दौर के प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. जगदीश जोशी ने महान चिंतक और आदरणीय प्रोफेसर ... को इस पुस्तक की प्रति भेट की थी। शायद आप उन्हें जानते ही होंगे। पिछले सप्ताह कोटा शहर में एक बड़े समारोह में बी.जे.पी. के नेता श्री गोविंदाचार्य जी ने इन प्रोफेसर साहब का पैर छू कर स्वागत किया था और आशीर्वाद लिया था। इस समारोह के बाद प्रोफेसर साहब इस पुस्तक की फोटो कॉपी लेकर मुझसे मिलने आये और कहने लगे कि वे मुझसे मिलने और दर्शन करने आये हैं तथा बार बार हेट्स ऑफ टू यू कह रहे थे। वे मुझसे बहुत बड़े और आदरणीय व्यक्ति हैं, उनके मुंह से ऐसे शब्द सुनना मुझे बहुत असहज लग रहा था। मैं स्तब्ध था और उनके चरण स्पर्श करते हुए उन्हे बार बार यही कह रहा था कि बाबूजी आप तो मुझे दर्शन देने आये हैं। उन्हें भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब ने भी मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन, दिल्ली भी बुलाया था। मैंने उन्हे अलसी चेतना की मूल प्रति, ओम-वाणी और अन्य सामग्री भैंट की। उसी दिन हमने पहली बार कंचन हिम बनाया था, जिसे मैंने उन्हें खिलाया। उन्हें कंचन हिम बहुत ही मजे लेकर खाया और उसकी भूरि भूरि प्रशंसा की। उनके साथ बिताई हुई यह मुलाकात मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा।
मेरे प्रिय अग्रज भ्राता श्रेष्ठ, आपकी अलसी महिमा की ऐसी महिमा के लिए आपको एक बार पुनः बधाई देता हूँ। मेरे खयाल से अब हमें इसके नये संस्करण पर काम करना चाहिये। इस विषय पर मैं आपसे फोन पर बात करता हूँ।
डॉ. ओम वर्मा
ओम वाणी की स्निग्ध प्रति प्राप्त करने हेतु चटका करें।http://dl.dropbox.com/u/36450880/Om%20Vani.pdf
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