तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय।
नित भोजन के संग में , मुट्ठी अलसी खाय।
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये।।
घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी।
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी।।
धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय।
अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय।।
जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी।
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी।।
अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।
रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय।।
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
President, Flax Awareness Society
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