कुछ झूठी कसमें खायेंगे , चीखेंगे , चिल्लायेंगे ;
फिर धीरे -से भेड़ -भेडिये आपस में मिल जायेंगे।
किन्तु अभी हालात अलग हैं, हम में गम है , गुस्सा है ,
जैसी है आलाप हवा में , वैसा गीत सुनायेंगे।
कोहरे में मिल गया धुंआ , आँखों में शबनम उतर गयी ,
मानवता के महामूल्य कब तक आलाव जलाएंगे ?
चीरहरण पर कुरुक्षेत्र जिसके भू पर हो आया था ,
भारत का दिल है दिल्ली , अब कहने में शर्मायेंगे।
आनेवाले आ स्वागत है , किन्तु नहीं हम कह सकते ,
जानेवाले के जख्मों को कबतक हम सहलायेंगे।
फिर धीरे -से भेड़ -भेडिये आपस में मिल जायेंगे।
किन्तु अभी हालात अलग हैं, हम में गम है , गुस्सा है ,
जैसी है आलाप हवा में , वैसा गीत सुनायेंगे।
कोहरे में मिल गया धुंआ , आँखों में शबनम उतर गयी ,
मानवता के महामूल्य कब तक आलाव जलाएंगे ?
चीरहरण पर कुरुक्षेत्र जिसके भू पर हो आया था ,
भारत का दिल है दिल्ली , अब कहने में शर्मायेंगे।
आनेवाले आ स्वागत है , किन्तु नहीं हम कह सकते ,
जानेवाले के जख्मों को कबतक हम सहलायेंगे।
7 comments:
गुस्सा नहीं हर मनुष्य के मन में बदलने की क्रांति चाहिये !
बहुत खूब...एकदम सामयिक ग़ज़ल...
चीरहरण पर कुरुक्षेत्र जिसके भू पर हो आया था ,
भारत का दिल है दिल्ली , अब कहने में शर्मायेंगे।
आनेवाले आ स्वागत है , किन्तु नहीं हम कह सकते ,
जानेवाले के जख्मों को कबतक हम सहलायेंगे।
BEAUTIFUL LINES WITH EMOTIONS AND FEELINGS
प्रासंगिक तंज लिए धार दार प्रस्तुति .
जैसी है आलाप हवा में , वैसा गीत सुनायेंगे..........
हम सुधार की शरुआत खुद से नहीं करना चाहते हैं यह एक बड़ी समस्या है।दोष दर्शन खुद का नहीं कर पाते हैं और जग बुरा है उसका शोर मचा देते हैं
galat samajhe . hawa mein aakrosh ewam dukh hai . main ismein aawaam ke ssath hoon par yahee kaafe naheen .
Dhanyaawaad!sumanji,vanabhattji,ramakantji,sharmaji aur bhutraji. nava varsh kee shubhakaamanaayen.
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