कुछ झूठी कसमें खायेंगे , चीखेंगे , चिल्लायेंगे ;
फिर धीरे -से भेड़ -भेडिये आपस में मिल जायेंगे।
किन्तु अभी हालात अलग हैं, हम में गम है , गुस्सा है ,
जैसी है आलाप हवा में , वैसा गीत सुनायेंगे।
कोहरे में मिल गया धुंआ , आँखों में शबनम उतर गयी ,
मानवता के महामूल्य कब तक आलाव जलाएंगे ?
चीरहरण पर कुरुक्षेत्र जिसके भू पर हो आया था ,
भारत का दिल है दिल्ली , अब कहने में शर्मायेंगे।
आनेवाले आ स्वागत है , किन्तु नहीं हम कह सकते ,
जानेवाले के जख्मों को कबतक हम सहलायेंगे।
फिर धीरे -से भेड़ -भेडिये आपस में मिल जायेंगे।
किन्तु अभी हालात अलग हैं, हम में गम है , गुस्सा है ,
जैसी है आलाप हवा में , वैसा गीत सुनायेंगे।
कोहरे में मिल गया धुंआ , आँखों में शबनम उतर गयी ,
मानवता के महामूल्य कब तक आलाव जलाएंगे ?
चीरहरण पर कुरुक्षेत्र जिसके भू पर हो आया था ,
भारत का दिल है दिल्ली , अब कहने में शर्मायेंगे।
आनेवाले आ स्वागत है , किन्तु नहीं हम कह सकते ,
जानेवाले के जख्मों को कबतक हम सहलायेंगे।
6 comments:
गुस्सा नहीं हर मनुष्य के मन में बदलने की क्रांति चाहिये !
बहुत खूब...एकदम सामयिक ग़ज़ल...
चीरहरण पर कुरुक्षेत्र जिसके भू पर हो आया था ,
भारत का दिल है दिल्ली , अब कहने में शर्मायेंगे।
आनेवाले आ स्वागत है , किन्तु नहीं हम कह सकते ,
जानेवाले के जख्मों को कबतक हम सहलायेंगे।
BEAUTIFUL LINES WITH EMOTIONS AND FEELINGS
प्रासंगिक तंज लिए धार दार प्रस्तुति .
galat samajhe . hawa mein aakrosh ewam dukh hai . main ismein aawaam ke ssath hoon par yahee kaafe naheen .
Dhanyaawaad!sumanji,vanabhattji,ramakantji,sharmaji aur bhutraji. nava varsh kee shubhakaamanaayen.
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