हैवानियत की शिकार बनी घर के बाहर खेल रही
दिल्ली की पांच साल की मासूम हो या फिर दिल्ली के ही एक सरकारी स्कूल कैंपस में
दूसरी कक्षा की छात्रा के साथ दुष्कर्म की घिनौनी वारदात...दोनों ही घटनाओं ने
विकृत मानसिकता का एक और घिनौना उदाहरण प्रस्तुत किया है कि किस
तरह विकृत मानसिकता से ग्रसित लोग अपनी हवस की भूख मिटाने के लिए अबोध बालिकाओं को
भी निशाना बनाने से नहीं चूक रहे हैं।
इन दोनों ही घटनाओं में दोनों मासूमों का
सामना होश संभालने से पहले ही बेदर्द दुनिया के उन हैवान चेहरों से हुआ जिनके लिए
रिश्ते, मानवता और इंसानियत कोई मायने नहीं रखती। इनके लिए मायने रखती है तो हवस
की भूख जो कभी दिल्ली में किसी अबोध को अपना शिकार बनाती है तो कभी चलती बस में
किसी छात्रा के साथ गैंगरेप जैसी दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम देती है।
हम कहते हैं कि शिक्षा का उजियारा फैल रहा
है...लोग शिक्षित हो रहे हैं...समाज बदल रहा है...लोगों की सोच बदल रही है लेकिन
अगर ये सच है तो फिर क्यों ऐसी घटनाएं हो रही हैं ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है..? (जरूर पढ़ें- 24 घंटे में 66 बलात्कार)
इससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों
अबोध कन्याएं यौन अपराध का शिकार बन रही हैं..? क्या अबोध कन्याएं विकृत मानिसिकता से
ग्रसित लोगों के लिए एक सॉफ्ट टारगेट होती हैं...? इसको लेकर लोगों की
सोच अलग – अलग है। समाज का एक वर्ग मानता है कि कि अबोध कन्याओं के साथ हो रहे यौन
अपराधों के लिए आधुनिक महिलाएं जिम्मेदार हैं तो दूसरा वर्ग इससे इत्तेफाक नहीं
रखता। इनका मानना है कि किसी कारणवश महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध स्थापित न कर
पाने की कुंठा से ग्रसित लोग अबोध बालिकाओं को अपनी हवस की भूख शांत करने का जरिया
बनाते हैं। (जरूर पढ़ें - दिल्ली गैंगरेप- यार ये लड़की ऐसी ही होगी !)
जहां तक बात आधुनिक महिलाओं की है तो इसे
हम इससे नहीं जोड़ सकते कि आधुनिक महिलाओं का पहनावा या चाल चलन अबोध कन्याओं के
साथ हो रहे यौन अपराधों को बढ़ावा दे रहा है क्योंकि आधुनिक महिलाओं का अबोध
कन्याओं से तो कोई मेल नहीं है। अबोध कन्याएं न तो आधुनिक महिलाओं के पहनावे को
समझती हैं न ही उनके चाल चलन से उनका कोई लेना-देना है।
अबोध कन्याओं से यौन अपराध सिर्फ और सिर्फ
विकृत मानसिकता का ही परिणाम है और इसके लिए हमें आधुनिक महिलाओं के पहनावे या फिर
उनके चाल चलन को जिम्मेदार ठहराने की बजाए इन घटनाओं को बढ़ने से रोकने के लिए ऐसे
लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना होगा। (जरूर पढ़ें- क्या लड़की होना उसका कसूर था ?)।
जाहिर है ये घटनाएं नैतिकता के सिद्धांत
को स्वीकार करने वाला हमारे समाज के पुरुषों के नैतिक लक्षण को तो नहीं झलकाती
क्योंकि नैतिकता की बात करने वाले पुरुष कभी ऐसी घटना को अंजाम नहीं देंगे लेकिन
नैतिकता ये भी कहती है कि आपको अपने आस पास के लोगों को भी नैतिकता का पाठ पढ़ाना
चाहिए ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके और इसमें हर व्यक्ति किसी न किसी रूप
में अपनी भागीदारी दे।
ये समाज की ही जिम्मेदारी है कि ऐसी
घटनाओं को रोकने के लिए विकृत मानसिकता से ग्रसित लोगों की सोच में बदलाव के लिए
वे प्रयत्न करें लेकिन अमूमन ऐसा देखने में नहीं मिलता..! विकृत मानसिकता के लोगों की इस हालत के लिए कहीं न कहीं पूरा समाज
जिम्मेदार हैं जिसमे हम सभी लोग आते हैं। अक्सर देखने को मिलता है कि ऐसे लोगों को
समाज में दुत्कार दिया जाता है...उनसे लोग दूरी बनाने का प्रयास करते हैं और उन्हें
हीन समझते हैं जो ऐसे लोगों के मन में समाज के प्रति लोगों के प्रति एक घृणित भाव
पैदा करता है और इसका नतीजा कभी दूसरी में पढ़ने वाली अबोध कन्या के साथ घिनौनी
वारदात के रूप में सामने आता है तो कभी पांचवी में पढ़ने वाली छात्रा के साथ। समाज
के खराब बर्ताव की सजा अबोध कन्याओं को भुगतनी पड़ती हैं जिन्होंने अभी तक इस दुनिया
को ठीक से देखा भी नहीं होता समझना तो दूर की बात है।
समाज के साथ ही पुलिस, प्रशासन और सुरक्षा
तंत्र का लापरवाह रवैया भी कई बार अबोध कन्याओं के साथ यौन अपराधों को बढ़ावा देने
में मददगार साबित होता है। ऐसे मामलों में खासतौर पर पुलिस का पीड़ीत परिवार के
साथ खराब बर्ताव इसका अहम कारण है। जिसके चलते चाहकर भी पीड़ित परिवार अपनी शिकायत
दर्ज नहीं कराता और शिकायत दर्ज कराने से पहले सौ बार सोचता है। अगर शिकायत दर्ज हो
भी जाती है तो पुलिस का मामले में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की बजाए मामले को रफा
दफा करने का प्रयास करना आरोपियों का मनोबल बढ़ाता है और वे ऐसी घटनाओं को दोबारा
अंजाम देने से भी नहीं चूकते। (जरूर पढ़ें- सेक्स एजुकेशन- कितनी कारगर..? )
कुल मिलाकर अबोध कन्याओं के साथ यौन अपराध
के लिए हम किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। समाज के साथ ही हम खुद और पुलिस
प्रशासन सभी कहीं न कहीं इस सब के लिए जिम्मेदार हैं और सभी के संयुक्त प्रयासों
से ही विकृत मानसिकता से ग्रसित लोगों की सोच में बदलाव लाया जा सकता है तभी ऐसी
घटनाओं को रोका जा सकता है। बस जरूरत है किसी को भी दुत्कारने की बजाए, उसे हीन
साबित करने की बजाए उसे समाज में साथ लेकर चलने की।
deepaktiwari555@gmail.com
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