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काश हम भी मोबाईल होते..! (गीत)
जलते हैं भीतर, काश हम भी मोबाईल होते..!
उनके करीब रह कर हम, कितने वर्सटाईल होते?
(versatile=वर्सटाईल= हरफ़न मौला,सर्वगुणसंपन्न)
अंतरा-१.
जब वो, प्यार से अपलक देखते, दिल के स्क्रीन को..!
ओ..ह, इस अदा पर हम, जहान से भी हॉस्टईल होते..!
जलते हैं भीतर, काश हम भी मोबाईल होते..!
(अपलक देखना= ताकना; Hostile= हॉस्टाईल = आक्रामक,दुश्मन )
अंतरा-२.
उनके निपट पास जाकर हम, गालों को सहलाते..!
ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू से खेल, फिर गुडी-गुडाई फिल होते ।
जलते हैं भीतर, काश हम भी मोबाईल होते..!
(निपट= पूरी तरह से; नाज़= गर्व)
(Goody-Gooday feel= गुडी-गुडाई फिल = मधुर अपनापन का
अहसास)
अंतरा-३.
दिनभर नर्म हाथों पर और रात उनके सिरहनों पर ।
पास रखती तो, अपुन के भी नवाबी ईस्टाईल होते..!
जलते हैं भीतर, काश हम भी मोबाईल होते..!
( style=ईस्टाईल= ढंग, तरीक़ा; सिरहन= तकिये के पास)
अंतरा-४.
दिल का सिम जवान रहता, प्यार का पावर ऑन रहता ।
दुःख है मगर, काश कि हम, इश्क के आईन्स्टाईन होते..!
जलते हैं भीतर, काश हम भी मोबाईल होते..!
(दिल का सिम= SIM CARD; आईन्स्टाईन= निष्णात संशोधक)
http://www.youtube.com/watch?v=IpmTiAS0R3Y&feature=youtu.be
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http://mktvfilms.blogspot.in/2012/09/blog-post.html
मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०१-०९-२०१२.
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