क्या माँगा था क्या दे गये
माँगा उनसे विकसित भारत,वो मर्ज बढाकर चले गये
जन कल्याण की पोथी से,खुद का कल्याण ही कर चले
समस्या कुछ और बतायी,वो मेख अलग ही ठोक गये
समस्या के समाधान में, कुछ नई समस्याएँ जोड़ गये
माँगा समरथ लोकपाल था,वो लंगड़ा लुला लाद गये
लोकपाल के अधिकारों पर, लक्ष्मण रेखा खींच चले
माँगा सबमें अमन चैन,वो लावा बरसा के निकल गये
जाती धर्म का जहर घोल, केवल दंगे झगडे छोड़ गये
माँगा नारी ने अपना हक,वो खेल उसी से खेल गये
सौलह से है पूर्ण पुष्प,कह नई जलालत छोड़ गये
माँगा उनसे विकसित भारत,वो मर्ज बढाकर चले गये
जन कल्याण की पोथी से,खुद का कल्याण ही कर चले
समस्या कुछ और बतायी,वो मेख अलग ही ठोक गये
समस्या के समाधान में, कुछ नई समस्याएँ जोड़ गये
माँगा समरथ लोकपाल था,वो लंगड़ा लुला लाद गये
लोकपाल के अधिकारों पर, लक्ष्मण रेखा खींच चले
माँगा सबमें अमन चैन,वो लावा बरसा के निकल गये
जाती धर्म का जहर घोल, केवल दंगे झगडे छोड़ गये
माँगा नारी ने अपना हक,वो खेल उसी से खेल गये
सौलह से है पूर्ण पुष्प,कह नई जलालत छोड़ गये
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