संत का नाम लेते ही मन में एक ऐसी छवि
उत्पन्न होती है जो सांसारिक सुख-सुविधाओं से कोसों दूर हो। उसका आचरण ऐसा हो कि
लोग उसे अपने जीवन में अपनाएं। उसका रहन सहन ऐसा हो कि लोग उसकी मिसाल दे। वो
सिर्फ लोगों को उपदेश ही न दे बल्कि अपनी कही बातों को अपने जीवन में भी आत्मसात
करे। वह लोगों को सतमार्ग में चलने की और बुराइयों से दूर रहने की सीख दे।
लेकिन क्या आज के समय में वाकई ऐसे लोग
हैं..? क्या आज के समय में ऐसे लोग हैं जो संत
कहलाने लायक हैं..? जिनका हमें आंख मूंद कर अनुसरण करना चाहिए..? अगर आप इसका जवाब हां में देने की सोच रहे हैं तो पहले आसाराम बापू के
बारे में अपना सामान्य ज्ञान अपडेट कर लीजिए।
आसाराम बापू...नाम तो सुना ही होगा
आपने...कभी टीवी पर प्रवचन देते भी सुना होगा। मन को मोह लेनी वाली बड़ी अच्छी और मधुर
बातें करते हैं आसाराम बापू। लेकिन क्या वाकई में यही आसाराम बापू का वास्तविक चरित्र
है..? क्या आसाराम बापू अपनी कही बातों को अपने
जीवन में आत्मसात करते हैं..? वैसे तो दिल्ली गैंगरेप के मसले पर
आसाराम बापू की बेतुकी टिप्पणी ही काफी थी उनके चरित्र को जानने के लिए लेकिन बापू
के बोल यहीं
नहीं थमे। (जरूर पढ़ें- दिल्ली गैंगरेप-
"राम राम" आसाराम)
होली पर आसाराम खूब पानी बहाते हैं लेकिन पानी
की बर्बादी आसाराम को गलत नहीं लगती..! वे कहते हैं कि पानी किसी के बाप का नहीं
है...जब पानी किसी के बाप का नहीं है तो फिर आपके बाप का भी नहीं है न महाराज..! (पढ़ें- भगवान से है यारी, बारिश
करवा दूंगा: आसाराम)
आसाराम कहते हैं वे जब चाहें बारिश करवा
सकते हैं...तो करवा दो न महाराज बड़ी कृपा होगी आपकी इस देश पर..! कम से कम हिंदुस्तान को आप जैसे संत होने का फायदा तो मिलेगा..! आज तक तो सिर्फ अंधविश्वास ही मिला है..! कम से कम सूखे से परेशान किसान आत्महत्या तो नहीं
करेंगे..!
खुद को संत कहते हैं लेकिन आसाराम का
अभिमान देखिए...इनका आचरण देखिए..! धर्म के नाम पर लोगों की आंखों में
अंधविश्वास की पट्टी बांधकर अपना धंधा चलाना कोई इनसे सीखे..! बात सिर्फ आसाराम बापू की ही नहीं है...हिंदुस्तान में ऐसे संतों की
फेरहिस्त कभी न खत्म होने जितनी लंबी है।
वैसे दोष आसाराम या इनके जैसे दूसरे संतों
का भी नहीं है...जब अंधविश्वास में डूबे लोग आंख मूंदकर ऐसे संतों की जय जयकार
करेंगे तो ऐसा ही होगा। क्यों न ये खुद को भगवान समझेंगे..? क्यों न ये भगवान को अपना यार कहेंगे..? क्यों न ये कहेंगे की मैं जब चाहूं...जहां चाहूं बारिश करवा सकता हूं..!
ये अच्छी तरह जानते हैं कि इनके अंध भक्त
इनकी हर बात पर आंख मूंदकर यकीन कर लेंगे और ये उन्हें मूर्ख बनाते रहेंगे..! और ये सब उस वक्त तक चलता रहेगा जब तक कि इनके अंध भक्तों के आंखों से
अंधविश्वास की पट्टी नहीं खुलेगी और ये लोग ऐसे लोगों को भगवान का दर्जा देना बंद
नहीं करेंगे..! लेकिन हिंदुस्तान में ऐसा कभी होगा इसकी
उम्मीद कम ही है..!
deepaktiwari555@gmail.com
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