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27.3.13

लक्ष्य को स्पष्ट बनायें


लक्ष्य को स्पष्ट बनायें

आज आप कहाँ पर खड़े हैं इस बात का ज्यादा महत्व नहीं है ,महत्व है तो इस बात
का है कि आपको जाना कहाँ है ?

आप आज क्या हैं इस बात का कोई मुल्य नहीं है ,मुल्य है तो इस बात कि आप क्या
बनना चाहते हैं ?

इस बात का बहुत फर्क नहीं पड़ता कि आप अब तक कितनी बार गिरे,पर फर्क इस
बात से पड़ता है कि आप वापिस कितनी बार उठ खड़े हुये

यह बात कोई मायने नहीं रखती कि आप कितनी ऊँचाई से गिरे ,मगर इस बात का
फर्क पड़ता है कि आप वापस कितने ऊपर उछले

रफ्तार तेज हो या धीमे मगर आपको गन्तव्य स्थान मालुम होना चाहिए

जिन्दगी में चलते तो अरबों प्राणी है मगर कुछ भाग्यशाली ही अपने साथ राडार रखते
हैं और सही दिशा में चलते हैं

पूरी चिड़ियाँ को देखने वाला लक्ष्यवेध नहीं कर पाता,सही निशाने के लिए नजर सिर्फ
आँख पर ही होनी चाहिये

जो पगडण्डी बनाता है वही तो सबसे पहले मंजिल पर पहुँचता है

घाणी का बैल दिन भर चलता है मगर शाम ढलने तक भी कहीं भी नहीं पहुँचता है

अपने हाथ में विकल्प रखने वाला प्राय: लक्ष्य से भटक जाया करता है 
  
लक्ष्य को पाने के लिए दोड़ने को किसने कहा,सिर्फ निरन्तरता ही काफी है

लक्ष्य खुली आँखों से देखा गया सपना ही तो है और सपना देखो तो फिर एकदम छोटा
क्यों देखते हो ?

लक्ष्य के करीबी मोड़ पर पहुचते ही मुसाफिर निराश हो जाता है और चलना छोड़ देता है

उठो,जागो और चल पड़ो क्योंकि विजय श्री आपका इन्तजार कर रही है

बार-बार लक्ष्य बदलने वाला कड़ी मेहनत के बाद भी असफल हो जाता है

आत्म अनुशासन नहीं होने के कारण ही मनुष्य परिस्थियों का दास बन जाता है और
परिस्थियाँ उसे नियंत्रित करके लक्ष्य विहीन कर देती है

अपना लक्ष्य खुद तय करो लोगों को तय मत करने दो,अनुभवी लोगों से सिर्फ इतना
ही जानो कि मार्ग ठीक और सुगम कौनसा है

लक्ष्य यदि बड़ा है तो मार्ग भी पथरीला होगा और ठोकरे भी मिलेगी यदि उठने का
साहस रखते हो  तो निश्चित रूप से फूलों से आपका स्वागत होगा

अन्धे भी मार्ग पार कर लेते हैं फिर क्यों घबराते हो ,ईश्वर ने आपको दौ आँखें जो दी है

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