कांग्रेस में अपने समर्थकों से कोई किसी को वट वृक्ष तो कोई दूसरे को बेशर्म की झाड़ी बता कर तुलना कर रहें हैं
विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह अपने समर्थकों को यह समझाने में जुटे हुये हैं कि वट वृक्ष के नीचे कोई भी पौधा पनप नहीं सकता हैं और इंका नेता आशुतोष वर्मा वट वृक्ष है इसलिये इनसे बच के रहें। इसके जवाब में आशुतोष वर्मा के साथी यह कहने में कोई संकोच नहीं कर रहें हैं कि वट वृक्ष के नीचे तो कोई पौधा पनप नहीं सकता लेकिन जहां बेशर्म की बेल फैल जाये वहां कोई पौधा पनपना तो दूर ऊग भी नहीं पाता हैं। काम निकलने के बाद हरवंश सिंह किसी भी नेता से ऐसा किनारा करते हैं कि मानो उसे कभी जानते भी ना हों। भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर की अनुशंसा पर भाजपा ने गोमती ठाकुर को महिला, रूपा सेठ को व्यापारी,प्रदीप बैस को विधि एवं शफीक पटेल को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया हैं। एक ऐसी नेता को जो कि जिला भाजपा अध्यक्ष पद की दावेदार रही हो उसे जिला महिला मोर्चे का अध्यक्ष बनाना सियासी हल्कों में चर्चित हैं। एक तरह से यदि भाजपा उन्हें प्रदेश संगठन में कोई जगह देती तो यह जरूर उनका सम्मान होता लेकिन जिले के एक मोर्चे की जवाबदारी देना समझ से परे हैं। कांग्रेस इस बात को लेकर चर्चित है कि इसमें गुमनाम से चेहरों को ये दायित्व सौंपे जा रहें हैं। कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस सेवादल प्रमुख के रूप में डॉ. राजेन्द्र साहू को नियुक्त किया गया। कई सालों बाद अखबारों में कांग्रेस का कोई ऐसा विज्ञापन छपा जिसमें इंका पुरोधा हरवंश सिंह का नाम तो था लेकिन उनकी फोटो नहीं थी।
इंकाइयों में चर्चित हैं वट वृक्ष और बेशर्म की झाड़ी -अब इसे कोई संयोग कहें या चुनावी रणनीति कि हर बार चुनावी साल में कांग्रेस में नेताओं द्वारा उपमा देने का काम चालू हो जाता हैं। इस काम की शुरुआत जिले के इंका महाबली हरवंश सिंह चालू करते हैं।अभी हाल ही में यह चर्चा जोरों पर है कि विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह अपने समर्थकों को यह समझाने में जुटे हुये हैं कि वट वृक्ष के नीचे कोई भी पौधा पनप नहीं सकता हैं और इंका नेता आशुतोष वर्मा वट वृक्ष है इसलिये इनसे बच के रहें। इसके जवाब में आशुतोष वर्मा के साथी यह कहने में कोई संकोच नहीं कर रहें हैं कि वट वृक्ष के नीचे तो कोई पौधा पनप नहीं सकता लेकिन जहां बेशर्म की बेल फैल जाये वहां कोई पौधा पनपना तो दूर ऊग भी नहीं पाता हैं। राजनीति में इसकी बेहतर मिसाल हरवंश सिंह से बढ़कर कहीं और मिल ही नहीं सकती हैं। इंकाई यह कहते भी देखे जा रहें हैं कि वट वृक्ष में कुछ तो ऐसे गुण होते हैं जिनके कारण उसे पूजने की परंपरा रही हैं लेकिन जहां भी बेशर्म की बेल फैल जाती है लोग उससे परेशान हो जाते और उसे जड़ से उखाड़ने की कोशिश तो करते हैं लेकिन उससे मुक्ति पाना कठिन रहता हैं। अब कलयुग में यदि लोग बेशर्मी से बेशर्म की झाड़ी को ही पूजने लगे तो भला कोई क्या कर सकता है? यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि ऐसा ही कुछ पिछले चुनाव के दौरान भी हुआ था जब हरवंश सिंह ने इंका नेता आशुतोष वर्मा को अमर बेल कहना चालू किया था और कांग्रेसियों को यह बताते थे कि अमर बेल जिस पेड़ से लिपटती है उसका रस चूस कर खुद तो हरी भरी रहती हैं लेकिन पेड़ निचुड़ जाता हैं। तो जवाब में कुछ इंकाइयों ने हरवंश सिंह को हींग कहना शुरू कर दिया था जो कि हरे भरे पेड़ को सुखा कर ठ़ूंठ बना देती हैं। उदाहरण के रूप में कई नेताओं के नाम भी गिनाये जाते थे जो कि उनकी संगत में सूख कर ठूंठ हो गये थे। वैसे तो जिले में कांग्रेस का इतिहास इस बात का गवाह कि काम निकलने के बाद हरवंश सिंह किसी भी नेता से ऐसा किनारा करते हैं कि मानो उसे कभी जानते भी ना हों। ऐसा ही कुछ हरवंश सिंह का सियासी इतिहास भी रहा हैं जिस सीढ़ी से चढ़कर उन्होंने मंजिल पायी है उसे लुड़काने में कभी कोई संकोच नहीं किया और अगली मंजिल पाने के लिये एक नयी सीढ़ी की तलाश कर ली। अभी तक तो वे ऐसा सफलता पूर्वक करते रहें हैं और उम्मीद कर रहें कि अगली वैतरणी भी वे ऐसे ही पार कर लेंगें।
भाजपा में चल रहीं हैं मोर्चों की नियुक्तियां -मिशन 2013 . 2014 के लिये कांग्रेस और भाजपा में बिसात बिछना चालू हो गयी हैं। दोनों ही दलों में इन दिनों मोर्चा संगठनों में नियुक्ति का दौर शुरू हो गया हैं। नव नियुक्त भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर की अनुशंसा पर भाजपा ने गोमती ठाकुर को महिला, रूपा सेठ को व्यापारी,प्रदीप बैस को विधि एवं शफीक पटेल को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया हैं। इनमें से रूपा सेठ और शफीक पटेल पर भाजपा ने दोबारा विश्वास व्यक्त किया हैं। जबकि प्रदीप बैस और गोमती ठाकुर को नया प्रभार दिया गया हैं। विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विनोद सोनी थे और महिला प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी पूर्व नपा अध्यक्ष पार्वती जंघेला के पास थी। उल्ललेखनीय है कि नपा अध्यक्ष रहते हुये पार्वती जंघेला पर तीन लाख रुपये की रिकवरी प्रदेश सरकार द्वारा निकाली गयी थी जो कि आज तक वसूल नहीं की गयी हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली नगरपालिका ने ना कोई कार्यवाही की और ना ही जिला प्रशासन ने सद दिशा में कोई कार्यवाही की हैं। भ्रष्टाचार की शिकायत पर चली लंबी जांच के बाद रिकवरी का यह आदेश सिर्फ कागजों में ही सीमित होकर रह गया हैं। संगठन के महत्वपूर्ण पद में बैठे रहने के कारण उन पर कोई भी हाथ डालने की हिम्मत नहीं कर पाया था। उनके स्थान पर भाजपा की वरिष्ठ महिला नेता गोमती ठाकुर को महिला मोर्चे का प्रभार मिलना भी चर्चित हैं। भाजपायी हल्कों में चर्चा है कि वे जिला भाजपा अध्यक्ष पद के लिये नरेश दिवाकर गुट की प्रबलतम दावेदार थी। तत्कालीन अध्यक्ष सुजीत जैन से नाराज नरेश अब गोमती को अध्यक्ष बनवाना चाह रहें थे। लेकिन राजनैतिक घटनाचक्र कुछ ऐसा घूमा कि सभी दावेदारों को दरकिनार कर नरेश को स्वयं ही अध्यक्ष बनना पड़ा। ऐसे हालात में एक ऐसी नेता को जो कि जिला भाजपा अध्यक्ष पद की दावेदार रही हो उसे जिला महिला मोर्चे का अध्यक्ष बनाना सियासी हल्कों में चर्चित हैं। एक तरह से यदि भाजपा उन्हें प्रदेश संगठन में कोई जगह देती तो यह जरूर उनका सम्मान होता लेकिन जिले के एक मोर्चे की जवाबदारी देना समझ से परे हैं। लेकिन जिला भाजपा अध्यक्ष अभी तक सर्वाधिक महत्वपूर्ण युवा मोर्चे के जिला अध्यक्ष की घोषणा नहीं करा पाये हैं जिसे लेकर यह चर्चा हैं कि वे इस मामले में अपने ही समर्थकों की दावेदारी के कारण असमंजस में हैं।
चर्चित हैं कांग्रेस की गुमनाम नियुक्तियां-वैसे तो कांग्रेस भी अपनी बिसात बिछाने में लगी हैं। जहां एक ओर मोर्चों की नियुक्तियों में भाजपा वरिष्ठ नेताओं को इनमें नियुक्त करने को लेकर चर्चित हैं तो कांग्रेस इस बात को लेकर चर्चित है कि इसमें गुमनाम से चेहरों को ये दायित्व सौंपे जा रहें हैं। कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस सेवादल प्रमुख के रूप में डॉ. राजेन्द्र साहू को नियुक्त किया गया। कई सालों बाद अखबारों में कांग्रेस का कोई ऐसा विज्ञापन छपा जिसमें इंका पुरोधा हरवंश सिंह का नाम तो था लेकिन उनकी फोटो नहीं थी। लेकिन उसमें उनके पुत्र रजनीश सिंह की फोटो जरूर थी। इसके माध्यम से यह संदेश अवश्य गया कि अब कांग्रेसियों को पुत्र प्रसाद भी मिल सकता हैं। वहीं अब जिला महिला कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कविता कहार की नियुक्ति की चर्चा हैं। बताया जा रहा है कि कविता कहार कुरई विकास खंड़ की रहने वाली हैं। इनका महिला कांग्रेस की गतिविधियों में कितना योगदान रहा हैं? इसका खुलाया तो महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं हेमलता जैन ही कर सकतीं हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि इस मामले में ना तो कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी और ना ही कार्यकारी नरेश मरावी को ही कोई जानकारी है। ऐसे गुमनाम चेहरों की ताजपोशी को लकर इंकाइयों में खासी चर्चा है और कांग्रेसी नेता उन कारणों को तलाशने में जुट गयें हैं जिनकी वजह से जिले इंकाई पट्टेदार हरवंश सिंह ने उन्हें इन पदों से नवाजा हैं। “ मुसाफिर“
दर्पण झूठ ना बोले
09 अप्रेल 2013 से साभार
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