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15.4.13

मोदी, नीतीश और शिवराज..!




2014 के आम चुनाव से पहले देश के तीन बड़े राज्य सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। देश के अन्य राज्यों के साथ ही इन तीनों राज्यों में विकास भी खूब हुआ है लेकिन इन तीनों राज्यों में से चर्चा सिर्फ एक ही राज्य की ज्यादा हो रही है और वो राज्य है गुजरात..! गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के विकास की बातों के सहारे देश की तकदीर बदलने की बात करते हैं। बकौल मोदी जितना विकास गुजरात में हुआ है...उतनी तरक्की देश के किसी राज्य ने नहीं की है। मोदी गुजरात के विकास मॉडल की तारीफ करते नहीं थकते और गुजरात के विकास मॉडल को सर्वश्रेष्ठ ठहराते हैं। मोदी की नजरें 2014 में पीएम की कुर्सी पर है और इसके लिए मोदी हवा को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।
विकास के मुद्दे पर चर्चा में पीछे छूट रहा हिंदुस्तान का हृद्य प्रदेश मध्य प्रदेश चर्चा में भले ही गुजरात से पीछे हो लेकिन विकास की दौड़ में मध्य प्रदेश वास्तव में पीछे नहीं है लेकिन जितनी बातें गुजरात के विकास की होती हैं उतनी बातें मध्य प्रदेश की नहीं होती..! ये बात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी शायद कचोटती होगी..! गुजरात और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है ऐसे में शिवराज सिंह चाहकर भी गुजरात के विकास के दावों पर सवाल तो नहीं उठा सकते..! शायद इसलिए ही कई मौकों पर विकास के मुद्दे पर गुजरात का जिक्र आने पर शिवराज सिंह मध्य प्रदेश के विकास की कहानियां सुनाने लगते हैं और दोनों ही प्रदेशों की स्थितियों की चर्चा करते हुए मध्य प्रदेश की 19 प्रतिशत की रिकार्ड कृषि विकास दर और 12 प्रतिशत की विकास दर का जिक्र करना नहीं भूलते हैं। प्रधानमंत्री के पद को लेकर मोदी की उम्मीदवारी पर वे किसी के नाम नहीं लेते तो किसी के नाम पर हामी भी नहीं भरते। खुद की उम्मीदवारी पर मन में किसी हसरत के बिना काम करने की बात कहना शिवराज नहीं भूलते हैं।
भाजपा शासित राज्यों मोदी के गुजरात और शिवराज के मध्य प्रदेश के अलावा भाजपा समर्थित नीतीश कुमार का बिहार भी विकास के मुद्दे पर चर्चा में गुजरात के आगे नहीं ठहरता लेकिन इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि नीतीश के राज में बिहार में तरक्की ने रफ्तार पकड़ी है..!
विकास के मुद्दे पर चर्चा में गुजरात से पीछे छूट जाने की तकलीफ तो नीतीश को भी होती होगी..! तभी तो नीतीश बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर कभी दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन करते हुए मोदी की लोकप्रियता को टक्कर देने की कोशिश करते हैं तो कभी सांप्रदायिकता के बहाने ही सही मोदी के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अपनी इस तकलीफ को जाहिर भी करते हैं..! नीतिश भले ही भाजपा से परहेज न करने की बात करते हुए सिर्फ मोदी से परहेज करने की बात करते हों लेकिन इसके पीछे सिर्फ धर्मनिरपेक्षता का ही मुद्दा है ये बात आसानी से हजम नहीं होती क्योंकि एक व्यक्ति विशेष को सांप्रदायिक कहते हुए आप विरोध का झंडा बुलंद करने में देर नहीं करते लेकिन उस व्यक्ति की पार्टी जिस पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगता है उसे आप स्वीकार कर लेते हो..!(जरूर पढ़ें- नरेन्द्र मोदी-नीतिश कुमार...क्यों है तकरार?)
जाहिर है विकास के नाम सिर्फ गुजरात की चर्चा होने पर शिवराज और नीतीश के पेट में भी दर्द होता होगा जो मानव स्वाभाव के अनुसार लाजिमी भी है..! मोदी और शिवराज की पार्टी एक होने के नाते शिवराज का मोदी को नीचा दिखाकर अपनी नाक ऊंचा न कर पाना भले ही उनकी राजनीतिक मजबूरी हो सकती है लेकिन नीतीश कुमार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इससे नीतीश न सिर्फ खुद को सेक्यूलर दिखाकर खुद को अल्पसंख्यकों का सबसे बड़ा हिमायती दिखाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं बल्कि ये भी लोगों को बताने का पूरा जतन कर रहे हैं कि विकास सिर्फ गुजरात में नहीं हुआ है वरन बिहार में भी विकास की गंगा बह रही है..! टोपी पहनने और टीका लगाने के नीतीश के बोल तो कम से कम इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
बहरहाल मोदी की निगाहें पीएम की कुर्सी पर हैं तो नीतीश की कोशिश पीएम की कुर्सी मोदी से दूर रखने की है ऐसे में देखना ये होगा कि नीतीश की कोशिश कामयाब होती है या फिर चलता है मोदी का जादू..? फिलहाल तो 2014 के करीब आने के साथ - साथ ये लड़ाई और भी रोचक होनी की पूरी उम्मीद है..!

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