2014 के आम चुनाव से देश के दो बड़े
राजनीतिक दलों में चर्चा चुनाव जीतने की नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा
इसको लेकर ज्यादा है। कांग्रेसी एकमत से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर
बैठाना चाहते हैं...मनमोहन सिंह तो राहुल गांधी के लिए कुर्सी छोड़ने को तैयार
बैठे हैं..! लेकिन कांग्रेस के युवराज हैं कि मानने को तैयार ही नहीं हैं। अलग-अलग मंचों पर राहुल गांधी के बयानों से
तो कम से कम यही लगता है। पीएम की उम्मीदवारी के चाटुकारिता भरे सवाल पर कभी वे
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को फटकार लगाते हैं तो कभी पीएम के सवाल को
फिजूल बताते हैं। (जरूर पढ़ें- विजय बहुगुणा कैसे बने मुख्यमंत्री ?)
उपाध्यक्ष की कुर्सी सौंपने के बाद सोनिया
गांधी ने भले ही राहुल को अघोषित तौर पर पीएम प्रोजेक्ट करने के संकेत दिए हों
लेकिन राहुल की तेवर देखकर तो ऐसा लगता है कि वे फिलहाल कांग्रेस के लिए बतौर
पॉलीटिक्ल एक्टिविस्ट ही काम करते रहना चाहते हैं। कुल मिलाकर राहुल का बार-बार
पीएम की कुर्सी के सवाल पर इससे मुहं मोड़ना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है..? जाहिर है ये वेवजह तो नहीं हो सकता तो फिर इसके पीछे कहीं राहुल गांधी
का वो डर तो नहीं जो उन्हें अंदर ही अंदर पीएम की कुर्सी के सवाल पर इससे दूरी
बनाए रखने की ही सलाह देता है। (जरूर पढ़ें- राहुल गांधी का डर !)
एक तरफ कांग्रेस के युवराज राहुल जहां
पीएम की कुर्सी की राह में चुनाव जीतने की स्थिति में भी पार्टी की तरफ से कोई
रोड़ा न होने पर भी कुर्सी से दूरी बनाए रखना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ भारतीय
जनता पार्टी में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी ही पार्टी में पीएम पद
पर उनकी उम्मीदवारी के विरोध में स्वर के बाद भी गुजरात का कर्ज उतारने के बाद अब
देश का कर्ज उतारने की हुंकार भरते हैं। भाजपा ने 2014 के लिए भले ही नरेन्द्र मोदी
को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित न किया हो लेकिन संसदीय बोर्ड में मोदी की एंट्री
सारी कहानी खुद बयां कर रही है।
तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री का ताज
पहनने वाले नरेन्द्र मोदी के पास जहां खोने के लिए कुछ भी नहीं है वहीं कांग्रेस
युवराज राहुल गांधी के लिए 2014 का आम चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है..! (जरूर पढ़ें- अगला पीएम कौन…राहुल, मोदी
या..?)
2014 में अगर एनडीए की सरकार बनने की
स्थिति आती है तो नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की भी संभावना भी प्रबल है..! जाहिर है मोदी किसी राज्य के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री बनते हैं
तो मोदी का कद बढ़ेगा ही लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो मोदी के पास खोने के लिए
तो कुछ है नहीं...बाकी गुजरात तो रहेगा ही मोदी के पास ..!
वहीं दूसरी तरफ यूपीए की सरकार बनने की
स्थिति आती है तो राहुल के पास पाने के
लिए पीएम की कुर्सी भी नहीं है क्योंकि वो तो वैसे भी अघोषित तौर पर राहुल गांधी
के पास है ही..! हां बड़ा सियासी फायदा राहुल गांधी को ये
होगा कि 2014 में कांग्रेस की जीत राहुल गांधी का बायोडाटा जरूर सुधार देगी..!
लेकिन अगर कांग्रेस की हार होती है तो राहुल
गांधी के करियर पर एक और सियासी शिकस्त का दाग लगेगा जो शायद राहुल गांधी कभी नहीं
चाहेंगे इसलिए ही वे पीएम की उम्मीदवारी पर फिलहाल बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि
पीएम की उम्मीदवारी के साथ चुनाव लड़ने पर शिकस्त मिलने का मतलब है कि हार का दाग
कुछ ज्यादा ही गहरा नजर आएगा..!
2014 के चुनावी नतीजे सिर्फ देश की ही
तकदीर तय नहीं करेंगे बल्कि गुजरात के बाद देश की जनता पर जादू चलाने की कोशिश कर रहे
नरेन्द्र मोदी के साथ ही देश की दशा – दिशा बदलने की बात करने वाले कांग्रेस युवराज
राहुल गांधी के सियासी भविष्य का भी फैसला करेंगे..! हम तो नरेन्द्र
मोदी और राहुल गांधी को शुभकामनाएं ही दे सकते हैं बाकी फैसला तो देश की आवाम के
ही हाथ में है।
deepaktiwari555@gmail.com
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