खुश तो बहुत होंगे आडवाणी आज...आखिर भाजपा
नेता विजय गोयल ने आडवाणी को खुशी की वजह जो दे दी। जो बात आडवाणी चाहकर भी अपने
मुंह से नहीं कह सकते थे वो बात भाजपा के स्थापना दिवस के मौके पर विजय गोयल ने कह
दी। पीएम इन वेटिंग का तमगा आडवाणी को यूं ही नहीं मिला..! इसके पीछे की कहानी से कौन नहीं वाकिफ है..? अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उप प्रधानमंत्री
बनने के बाद से लेकर बीते आम चुनाव तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने की आडवाणी
की प्रबल इच्छा थी लेकिन जनता जनार्दन ने एनडीए को सत्ता में वापस न लाकर आडवाणी
का पीएम इन वेटिंग के टिकट को कन्फर्म करने में कोई दरियादिली नहीं दिखाई। नतीजा
आडवाणी पीएम इन वेटिंग ही रह गए..! (जरूर पढ़ें- पीएम इन वेटिंग...बड़ी आत्म
संतुष्टि)
2014 में सत्ता में आने का ख़्वाब संज़ों रही
भाजपा में पीएम की उम्मीदवारी के लिए मोदी की प्रबल दावेदारी के बीच जिस तरह से
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने भाजपा के स्थापना दिवस समारोह में
आडवाणी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कह डाली वो 85 साल के आडवाणी के लिए खुशी
की वजह नहीं तो और क्या है..? (जरूर पढ़ें- क्या सच बोल रहे हैं आडवाणी ?)
गोयल भले ही बाद में अपनी बात पर ये कहकर
सफाई देते दिखाई दिए कि वे पीएम का उम्मीदवार घोषित करने वाले कौन होते हैं लेकिन गोयल
का जुबानी तीर तो मंच से चल ही चुका था वो भी तब जब मंच में भाजपा के तमाम कद्दावर
नेताओं के साथ ही लाल कृष्ण आडवाणी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी
मौजूद थे। वैसे भी नेता चाहे वे किसी भी दल के क्यों न हों उनका अपने बयान से
पलटना ठीक उसी तरह है जैसे खुजली होने पर खुजलाना। अब गोयल भी पलट गए तो क्या
लेकिन बात निकली है तो फिर दूर तलक जाएगी ही..!
खैर गोयल के बयान के बाद चर्चा का दौर भी
शुरु हो ही गया है लेकिन खुद आडवाणी भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि गोयल का
ये बयान उन्हें पलभर की खुशी से ज्यादा और कुछ नहीं दे सकता है..! पीएम के लिए वेटिंग कन्फर्म करना तो दूर की कौड़ी है..! भाजपा में मोदी का लगातार बढ़ता कद और लोकप्रियता के साथ ही भाजपा के वर्तमान
हालात को कम से कम इसी ओर इशारा कर रहे हैं..! (जरूर पढ़ें- भाजपा से क्यों हुआ मोहभंग..?)
लेकिन राजनीति में नेता की किस्मत कब उसे अर्श
से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचा दे कहा नहीं जा सकता...अब पीवी नरसिंह राव,
एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल के साथ ही मनमोहन सिंह ने क्या कभी सोचा होगा
कि वे देश के प्रधानमंत्री बनेंगे..? लेकिन इतिहास हमारे सामने है। आडवाणी तो कम से कम प्रधानमंत्री के लिए वेटिंग की कतार में तो लंबे वक्त
तक रहे ही हैं और एक बार फिर गोयल ने आडवाणी के नाम को हवा दे ही दी है..! (जरूर पढ़ें- मोदी बनाम राहुल- किसका चमकेगा
सितारा..?)
आडवाणी की खुशी के लिए ही सही उम्र के इस
पड़ाव में किसी ने तो उनके नाम का झंडा बुलंद किया। वैसे भी खुश होने का मौका कम
ही लोगों को मिलता है अब आडवाणी को प्रधानमंत्री की कुर्सी की बड़ी खुशी न मिली तो
क्या हुआ इसका एहसास खुश होने के लिए काफी है...कहते भी हैं न कि “बड़ी खुशी के चक्कर में नन्ही न कर बेकार”…इसलिए आडवाणी जी
पीएम की दावेदारी के एहसास से ही काम चलाइए वैसे भी इस बात की क्या गारंटी है कि 2014 में जनता जनार्दन एनडीए को सरकार बनाने
का मौका देगी ही..!
deepaktiwari555@gmail.com
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