व्यवहार
एक बार किसी ने सूर्यदेव से पूछा -आप बहुत ही तेजस्वी हैं आपके तेज से समस्त लोक
आलोकित होते हैं मगर जब भी आप चंद्रदेव से मिलते और बिछुड़ते हैं तब आप सोम्य
और शीतल क्यों हो जाते हैं ?
सूर्यदेव ने कहा -यही तो जीने की सरल और सुंदर पद्धति है और यही नीति का सार है
यदि सामने वाला सोम्य और शीतलता से मिलता है तब हमे भी सारा ऐश्वर्य ,तेज और
बल भूल कर सोम्य और शीतल व्यवहार करना चाहिए।सज्जन को बल और तेज के
घमंड से मित्र नहीं बनाया जा सकता उसे मित्र बनाना है तो हमे अपना खुद का व्यवहार
सुधार लेना चाहिए और बिना कारण अनुचित समय में अपने बल को दिखाकर खुद को
अहँकारी भी नहीं बनाना चाहिये।
No comments:
Post a Comment