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24.2.16

दबंग दुनिया प्रबंधन सवालों के घेरे में

पिछले दिनों मुंबई के एक तेजी से बढ़ते दैनिक समाचार पत्र दबंग दुनिया के 8 पत्रकारों के नौकरी छोड़ने की घटना ने मुंबई के पत्रकारिता जगत के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इनमे सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अब तक के घटनाक्रम को लेकर किसी भी पत्रकार संगठन ने  वैसी प्रतिक्रिया नहीं दी है जैसी दी जानी चाहिए थी। इत्तेफाक से दबंग दुनिया को बाय - बाय कहने वालों में से कई लोगों के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है। न्यूज एडिटर अमित, प्रवीण वर्मा, एकाउंटेंट हितेंद्र झा, चीफ रिपोर्टर ओपी तिवारी, रिपोर्टर ब्रजेश चंद्रा, प्रदीप पाठक, समीर तिवारी और अन्य कई लोगों ने एक साथ दबंग दुनिया को छोड़ दिया।


दबंग दुनिया को सिर्फ इन्हीं लोगों ने नहीं एक चिरपरिचित नाम श्रीनारायण तिवारी ने भी कुछ दिनों पूर्व बाय बाय कह कर दबंग प्रबंध तंत्र पर सवालिया निशान लगाए हैं। वे इसके पूर्व लोकमत जैसे प्रतिष्ठित मराठी दैनिक में रहते हुए खासी लोकप्रियता और सम्मान बटोर चुके हैं। ऐसे में एक साथ इतने लोगों के दबंग दुनिया को छोड़ देना लोगों के आश्चर्य का विषय है। इसकी वजह जानने के लिए लोगों ने चिंतन मनन जरूर किया होगा। लोगों में इस बात की चर्चा जारी है कि दबंग दुनिया में आखिर ऐसा क्या है जो इन लोकप्रिय लोगों को स्वीकार नहीं किया जा सका और उन्हें अपने आप को अलग करना पड़ा?

हाल ही में यह मुद्दा लोगों के बीच काफी जोरशोर से उठाया गया कि क्या गुटखा किंग और दबंग दुनिया का मालिक किशोर वाधवानी अपनी काली कमाई दबंग दुनिया में लगा कर उसे व्हाइट मनी बना रहा है। लंबे समय से दबंग दुनिया के इंदौर एडिशन से जुड़े एक पूर्व कर्मचारी ने तो यह दावा भी किया है कि दबंग दुनिया ग्रुप में यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम का करोडो रुपया लगा है। इन सब बातों की जांच संबंधित एजेंसियों को करना चाहिए। इन बातों में कितनी सच्चाई है यह एक अलग विषय है लेकिन जिस तरह से कुछ दिनों पूर्व दबंग दुनिया के कार्यालय में महाराष्ट्र सरकार के कई मंत्रियों ने हाजिरी लगाईं उनसे भी सवाल पूछे जाने चाहिए कि क्या उक्त बातें पता थी कि दबंग दुनिया के पीछे कौन हैं? क्या इस काली कमाई में महाराष्ट्र के लोग भी हिस्सेदार हैं? यहां इस बात का उल्लेख किया जाना जरूरी है कि वर्तमान संपादक नीलकंठ पारटकर को लगभग एक साल पहले मुंबई के दबंग दुनिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पारटकर और दबंग प्रबंधन के बीच हुई एक डील के तहत उन्हें फिर से संपादक बना दिया गया। क्या यह डील दबंग दुनिया में लगाईं जा रही काली कमाई का राज अपने तक रखने को लेकर हुई है?

बहरहाल मुद्दा यह नहीं है। हर समाचार पत्र के मालिक को यह अधिकार है कि वह सरकार द्वारा तय मानकों को ध्यान में रख कर जिसे चाहे रखे, ट्रांसफर करे या हटाये लेकिन पत्रकारिता को अपमानित होने से बचाना भी उसका कर्तव्य है। इसका पालन दबंग दुनिया को भी करना चाहिए और यही पत्रकारिता के हित में होगा।

re wesd
kumar2004_29@yahoo.com

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