रविश कुमार आपको जेएनयु मुद्दे पर सरकार की करवाई से बहुत पीड़ा पहुंची
है..क्योकि आपके अनुसार सरकार लोगो की आवाज दबा रही है ..अभिव्यक्ति की
आज़ादी पर हमला कर रही है ...आपके अनुसार पाकिस्तान जिंदाबाद ..भारत तेरे
टुकड़े होंगे ..भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ..अफजल जिंदाबाद ..आदि नारे
देश के लोगो की अभिव्यक्ति है | रविश कुमार .. आपने उस वक्त ब्लैकआउट क्यों
नही किया था जब कमलेश तिवारी ने अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक को
इस्तेमाल करते हुए कुछ सच मगर कड़वी बाते की थी ? उसे फांसी देने के लिए
भारत के बीस शहरों में भारी भीड़ ने जमकर दंगे किये .. यूपी की विधानसभा में
उसे फांसी देने की मांग उठी ..उसके सर पर करोड़ो का ईनाम रखा गया .. और
आपके ही टीवी चैनेलो पर कितने लोगो ने उसे मौत की सजा देने की वकालत की ...
रविश कुमार ..भारत में ईश्वर निंदा कानून नही है .. फिर भी कई मुस्लिम
सांसदों और विधायको ने उसे फांसी देने की मांग करते हुए हर टीवी चैनेलो पर
चिल्लाते थे ...तब आपके मुंह से एक बार भी ये क्यों नही निकला की कमलेश
तिवारी को भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है .. और उसके उपर एनएसए लगाना सरकारी
आतंकवाद है ...
रविश कुमार .. आपको ज्यादा पीड़ा दुसरे चैनलों पर
जेएनयु मुद्दे पर कवरेज पर हो रही है ... आप सिर्फ एक बार अपने आर्काइव से
2003, 2007 और 2012 में गुजरात विधानसभा में आपके चैनेल एनडीटीवी पर किये
गये कवरेज को निकालकर देख लीजियेगा ... और अगर आपको लगे की ये सच में
पत्रकारिता है तो मै आपसे माफ़ी मांग लूँगा ... आपके उस वक्त के चीफ एडिटर
विनोद दुआ गुजरात चुनाव के कवरेज पर आये थे .. दिल्ली से फ्लाईट से बड़ोदरा
उतरे ..फिर एक इनोवा से अहमदाबाद आये ..ड्राइवर मुस्लिम था .. विनोद दुआ ने
उससे पूछा आपको गुजरात में डर नही लगता ? और फिर वो ड्राइवर नकली आंसू
रोने लगा ..विनोद दुआ उससे ऐसे ऐसे सवाल पूछ रहे थे जैसे हिन्दू सबसे बड़ा
आतंकी और गुंडा है ..फिर उन्होंने कहा आप ये जो आलिशान एक्सप्रेस हाइवे देख
रहे है उसे केंद्र के पैसे पर बनाया गया है .. हद है पत्रकारिता की ...
बाद में उस ड्राइवर ने बताया की ये पूरा प्रीस्क्रिप्टेड था .. उसे रोने की
एक्टिंग करने को कहा गया था ...
2012 की गुजरात विधानसभा चुनाव में
आप खुद कवरेज के लिए आये थे ...आपने साबरमती रिवरफ्रंट को नही दिखाया ..
आपने गुजरात में हुई इंडस्ट्रियल ग्रोथ को नही दिखाया ...आपने दिखाया भी तो
क्या ? एक झोपडपट्टी ..कहावत है की सयाने कौवे की नजर हमेशा टट्टी पर होती
है .. तो आप वही सयाने कौवे थे ...| रविश जी .. आपको सबसे ज्यादा पीड़ा इस
बात का है की उमर खालिद और कन्हैया को देशद्रोह का दोषी ठहराने वाले ये
मीडिया के एंकर और कुछ जमात के लोग कौन है ? रविश जी .. यही पीड़ा हमे भी तब
होती थी जब नरेंद्र मोदी को बिना किसी जाँच के आप जैसे पत्रकारों ने दंगाई
और अछूत घोषित कर दिया था ...नरेंद्र मोदी को आपके स्टूडियो में बैठकर
शबनम हाश्मी, राणा अय्यूब, आशीष खेतान, जैसे लोगो ने क्या क्या कहा है वो
आप एक बार याद करिये ... आपके स्टूडियो में कितनी बार तुरंत फैसला हो जाता
था आप उसे क्यों भूल गये ?
रविश जी ... अंत में एक बार अपने दिल पर
हाथ रखकर सोचियेगा की आप जिसे रिपोर्ट करते है वो बरखा दत्त जो आज एनडीटीवी
की चीफ ग्रुप एडिटर है ..क्या उसे पत्रकार कहा जा सकता है ? क्या आपने
बरखा और निरा रादिया का टेप नही सुना ? उस टेपो को सुप्रीम कोर्ट ने जांच
में सही पाया है .. रतन टाटा ने जब उस टेप के प्रसारण पर रोक लगाने की
अर्जी की थी तब उन्होंने कहा था की हाँ ये टेप असली है .. लेकिन इससे मेरी
निजता का हनन होता है .. एक बातचीत में बरखा दत्त निरा से कहती है की तेरे
उपर रतन बुरी तरह फ़िदा है यही वक्त है ....सब काम निकाल ले ..तो नीरा
राडिया बेशर्मी से कहती है हा ..यार कल वो तेल अबीब में था लेकिन मेरे से
बात किये बिना रह ही नही पा रहा था .. एक टेप में बरखा दत्त कहती है मुकेश
अंबानी की चिंता मत करो ..उसे मै मैनेज कर लुंगी .. एक टेप में वो
मंत्रियों के नाम फाइनल करती है ..
कमाल की बात है रविश कुमार ..
आपने एक बार भी बरखा दत्त पर कोई प्राइम टाइम नही किया ... और अंत में ..
आपको याद होगा की जब अन्ना आन्दोलन चल रहा था तब बरखा दत्त कवरेज के लिए
इण्डिया गेट गयी थी .. वहां जेएनयु के विभाग इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मॉस
क्म्न्युनिकेशन के एक दलित छात्र ने बरखा दत्त के खिलाफ नारेबाजी की थी ..
उसने नारा लगाया था दलाल बरखा वापस जाओ .. बाद में एनडीटीवी के इशारे पर उस
दलित छात्र का पूरा कैरियर चौपट कर दिया गया | रविश जी लिखना तो बहुत
चाहता था .. लेकिन लोग बड़े बड़े लेख नही पढ़ते ..उब जाते है ..
सुबोध रानावत
दिल्ली
subodhrnwt53@gmail.com
29.2.16
सच में ये भारतीय मीडिया के लिए ब्लैकआउट करने का वक्त है?
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2 comments:
निजी तौर पर आपको नहीं जानता लेकिन आपकी ब्लैकआउट बोली सुनकर लगा की आप हताश परेशान और निराश आदमी है
गुजरात बिंदु - रविश कुमार ने नहीं दिखाया आपके अनुसार - या थो आपको येह सोचना होगा की वाइब्रेंट गुजरात की बातें कौन करता था आप जैसे लोग , लेकिन गुजरात के गरीब परेशान और हताश है उसको दिखाने की हिम्मत आप जैसे पत्रकारों को नहीं हुई आप लोगो ने अमीरों का गुणगान किया लेकिन किसके डर से उन गरीबो की बात आप नहीं कर पाए येह थो आपका दिल जानता होगा बेहतर तौर पर
बरखा दत्त उस विषय का पता बी नहीं थो उस पर बोलना उचित नहीं समझूंगा , लेकिन क्या आप लोग व्यपामा घोटाले पर बोल पाए , क्या हेमा मालिनी जी को अँधेरी में ज़मीन मिली बोल पाए , बाबा राम देव को दलितों की ज़मीन मिली क्या बोल पाए आप लोगो ने नहीं बोला ना थो ऊँगली मत उठाए ना
रही बात गुजरात के गरीब दिखने की थो आप एक चश्मे से ना देखे , रविश जी बिहार बी गए थे थो सिर्फ दलित समाज गरीबो को दिखाया था , वोह हर मजलूम लोगो को दिखाए है येह नज़र नहीं आया आपको येह आप खुद सोचे किस तरह की सोच आपकी
अब ब्लैकआउट पर - आपसे गुजारिश उस कार्यक्रम को दस बार और आप देखे , उन्होंने पुरे मीडिया जगत को दोषी बनांय है उनका खुद का बी विडियो है सिकता देव जी का बी
आप खुद से सोचे क्या समाज को किसी के प्रति grihna पैदा करना एक उन्माद पैदा कर देना सिर्फ पत्रकार का धर्म है या सवाल खरे करना जवाब लेना येह धर्म है लेकिन सवाल थो छोरो सर जी चापलूसी से वक़्त मिले तब ना आप लोग समाज के लिए सवाल खरे करोगे
कथित बुद्धिजीवी को उसी की शैली में करारा जवाब। लेकिन ये चिकने घड़े है जब तक इनके घरों तक आंच नहीं आएगी तब तक ये अपना छद्दम सेकुलरिज्म का लबादा नहीं उतारेंगे लेकिन तब तक बहुत देर हो जायेगी।
जय हिन्द।
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