Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

7.2.16

सम्मान पाकर मैं बहुत अभिभूत हूं : किशन कालजयी

पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह संपन्न, संवेद के संपादक कालजयी को दिया गया सम्मान


भोपाल/ पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान 2016 से इस साल ‘संवेद’ पत्रिका के श्री किशन कालजयी को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न और 11000 की नगद धनराशि प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकठा प्रसाद सिंह ने की जबकि मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की। इस मौके पर डॉ. संजीव गुप्ता की पुस्तक श्रुति बुक्स, गाजियाबाद से प्रकाशित पुस्तक ‘मास कम्युनिकेशन का विमोचन किया। पं. बृजलाल द्विवेदी की स्मृति में यह आठवां सम्मान है। स्वागत भाषण मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक श्री संजय द्विवेदी ने किया।


संवेद पत्रिका के संपादक किशन कालजयी ने सम्मान से सम्मानित होने के बाद कहा कि संवेद को प्रारंभ करने के समय जो अनुभूति 25 साल पहले हुई थी वही अनुभूति आज सम्मान पाकर हो रही है। उन्होंने कहा कि सम्मान ने मेरी चुनौती को और बढा दिया है। गौरतलब है कि कालजयी पिछले 25 सालों से संवेद पत्रिका का संपादन कर रहे हैं जबकि वे सबलोग नामक पत्रिका के भी संपादक हैं। उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिनको लिखना अच्छा आता है वही पत्रकार बन सकता है।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने श्री किशन कालजयी एवं मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी को बधाई देते हुए कहा कि विचारों को उत्पन्न करना बड़ा काम है और वह साहित्य के माध्यम से होता है। भले ही वह जीवनी, नाटक, पत्र-पत्रिका कोई भी माध्यम हो। साहित्य विचारों को जन्म देता है। विचारों की उत्पत्ति प्रसव वेदना की तरह है। साहित्य की पत्रकारिता समुद्र मंथन की तरह है जिसमें विष के छीटे भी पड़ते हैं। और अमृत की बूंदें भी मिलती हैं।

आज के समय में सद्भावना से विचार मंथन करने की आवश्यकता है जिससे एक बेहतर समाज की रचना की जा सके। शिक्षा के माध्यम से देश में परिवर्तन आए यह जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करने हेतु यह बात संकटा प्रसाद सिंह ने कही। उन्होंने मीडिया विमर्श पत्रिका के माध्यम से युवाओं को प्रेरणा देने का जो काम किया जा रहा है उसकी बधाई दी। इस मौके पर श्री लाजपत आहूजा, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, श्री गिरीश पंकज, हिमांशु द्विवेदी, श्रीमती इंदिरा दांगी, डॉ. श्रीकांत सिंह, श्री राजन अग्रवाल, डॉ. सुभद्रा राठौर सहित दिल्ली, रायपुर, भोपाल समेत कई शहरों के पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

No comments: