डॉ राकेश पाठक
सोमवार को दिन भर एक कमाल का मेसेज दौड़ता रहा। रतन टाटा की फ़ोटू के साथ।दावा किया गया कि रतन टाटा ने ऐलान किया है कि टाटा की कंपनियों में जे एन यू से निकले छात्रों को नौकरी नहीं दी जायेगी। भाई लोगों ने आँख और दिमाग बंद कर इसे हाथों हाथ देश दुनिया को परोस भी दिया।हद यह है कि रतन टाटा ने अब तक ऐसा कोई ऐलान किया नहीं है और वे ऐसे जीव भी नहीं हैं कि करेंगे।जाहिर है फ़र्ज़ी मेसेज है।( वैसे भी अब वे "महामानव" की रीति नीति से खुश नहीं हैं , कई बार साफ़ कह चुके हैं)
फिर भी रतन टाटा चाहें तो जे एन यू वालों को नौकरी न दें, उनकी मर्ज़ी। लेकिन देशभक्ति फैक्ट्री के कर्ताधर्ता भूल गए कि जेएनयू तो पचास सालों से थोक के भाव ऐसे छात्र निकलता रहा है जो पूरे तंत्र में अफसर बने हैं। आईएएस, आईपीएस, आईआरएस,आईएफएस से लेकर अनगिनत डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और तहसीलदार तक मिलेंगे जो इसी यूनीवर्सिटी से पढ़े हैं।( वैसे खुद कैम्पस के भीतर ऐसा माहौल है कि सिस्टम का हिस्सा बनने को आतुर अफसर बनने वाले छात्रों को कोई बहुत ज्यादा मान नहीं मिलता)
फिर भी अगर भक्त गण गिनने चलेंगे तो देश के पूरे सिस्टम में बहुत बड़ी संख्या जेएनयू वालों की निकलेगी। तो ... अब क्या करेंगे?? नौकरी से निकालेंगे... काला पानी भेजेंगे ..चुन चुन कर मारेंगे..?
बताइये न क्या करेंगे ..? क्या ये सब देशद्रोही कहलायेंगे..? तो लगाईये अपने "डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट" को कि DOPT और सभी राज्यों के कार्मिक प्रशासनिक विभागों से निकलवाए ऐसे लोगों की सूची जो जेएनयू में पढ़े है। देश अभी आपकी "निरंकुशता" को पूरे उत्कर्ष तक देखने को तत्पर है।
Dr.Rakesh Pathak
rakeshpathak0077@gmail.com
16.2.16
JNU वालों को कहाँ कहाँ से निकलोगे भाई..
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