अजय कुमार, लखनऊ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आखिरी दो चरणों में 12 और 19 मई को पूर्चांचल की 27 सीटों (छठे में 14 और सातवें चरण 13) पर मतदान होना हैं। पूर्वांचल में इन दिनों पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड व अवध के नेताओं की बाढ़ सी आ गई है। किसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी संसदीय सीट पर भेजा गया है तो कोई अखिलेश यादव के चुनाव क्षेत्र आजमगढ़ के ग्रामीण इलाकों की खाक छान रहा है। यूपी ही नहीं, दूसरे प्रदेशों के नेताओं ने भी पूर्वांचल में डेरा डाल दिया है। योगी के प्रभाव वाली गोरखपुर संसदीय सीट पर भी लोगों की नजर लगी है। कांगे्रस ने प्रियंका वाड्रा को पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी थी,इस चरण में उनकी सियासी ताकत का अंदाजा भी हो जाएगा। आखिरी दो चरण के चुनावों की 27 सीटों में से 24 सीटों पर भाजपा गठबंधन और तीन सीटों पर सपा काबिज है। सपा ने उप-चुनाव में फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट बीजेपी से हथिया ली थी,जबकि आजमगढ़ से 2014 में मुलायम जीते थे।
पूर्वांचल में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी, आजमगढ़ से अखिलेश यादव, चंदौली से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, गाजीपुर से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा उनके सामने अफजाल अंसारी,गोरखपुर से भोजपुरी अभिनेता रवि किशन, सुल्तानपुर से मेनका गांधी बनाम संजय सिंह, इलाहाबाद से डा0 रीता बहुगुणा जोशी, जगदम्बिका पाल, प्रतापगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह, संत कबीरनगर से प्रवीण निषाद समेत कई प्रमुख नेताओं का चुनाव आखिरी दो चरणों में है।
सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का क्षेत्र होने के नाते गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा सीटें भाजपा के लिए खास हैं। योगी व मौर्य के इस्तीफों से रिक्त हुईं गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उप-चुनाव में सपा ने भाजपा से दोनों सीटें छीन ली थीं। पूर्वांचल को जातीय समीकरणों के लिहाज से भी अहम माना जाता है, इसलिए भी क्षेत्रीय जरूरतों के मुताबिक भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन ही नहीं, कांग्रेस ने भी अपने नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी है। आखिरी चरण में बीजेपी गठबंधन के अपना दल(एस) प्रत्याशियों की मिर्जापुर और राबर्टसगंज संसदीय सीट पर परीक्षा होगी। यहां से क्रमशः अनुप्रिया पटेल और पकौड़ी लाल कोल मैदान में हैं।
पश्चिमी यूपी के चुनाव के बाद खाली हुए प्रदेश सरकार के मंत्रियों, विधायकों व चुनाव लड़ चुके सांसदों, प्रत्याशियों व प्रमुख नेताओं को छठे और सातवें चरण में मतदान वाले जिलों में लगाया गया है। प्रमुख मंत्रियों को एक-एक जिले की कमान सौंपी गई है। आजमगढ़ की संवेदनशीलता को देखते हुए भाजपा ने हिंदूवादी छवि के पश्चिमी यूपी के एक फायरब्रांड मंत्री को चुनाव प्रचार बंद होने तक वाराणसी में रहने के लिए कहा है।
सबसे ज्यादा नेताओं की आवक वाराणसी व आजमगढ़ में है। आजमगढ़ में सपा-बसपा गठबंधन के कई युवा नेता आजमगढ़ में डटे हुए हैं। । वाराणसी में तो प्रदेश ही नहीं, देशभर के नेता प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं। वाराणसी को लघु भारत कहा जाता है। यहां देश के अधिकतर राज्यों के लोग रहते हैं। दोनों जिलों में अधिकतर होटल व रिसॉर्ट बुक हो चुके हैं। आजमगढ़ में 12 तो वाराणसी में आखिरी चरण में 19 मई को वोट पड़ेंगे।
पूर्वांचल के समीकरणों को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक-दो दिन वाराणसी में प्रवास भी कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भी मोदी ने इसी तरह काशी में रुककर माहौल बनाया था। उनके प्रवास का असर समूचे पूर्वांचल पर पड़ने का अनुमान है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आखिरी दो चरणों में 12 और 19 मई को पूर्चांचल की 27 सीटों (छठे में 14 और सातवें चरण 13) पर मतदान होना हैं। पूर्वांचल में इन दिनों पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड व अवध के नेताओं की बाढ़ सी आ गई है। किसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी संसदीय सीट पर भेजा गया है तो कोई अखिलेश यादव के चुनाव क्षेत्र आजमगढ़ के ग्रामीण इलाकों की खाक छान रहा है। यूपी ही नहीं, दूसरे प्रदेशों के नेताओं ने भी पूर्वांचल में डेरा डाल दिया है। योगी के प्रभाव वाली गोरखपुर संसदीय सीट पर भी लोगों की नजर लगी है। कांगे्रस ने प्रियंका वाड्रा को पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी थी,इस चरण में उनकी सियासी ताकत का अंदाजा भी हो जाएगा। आखिरी दो चरण के चुनावों की 27 सीटों में से 24 सीटों पर भाजपा गठबंधन और तीन सीटों पर सपा काबिज है। सपा ने उप-चुनाव में फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट बीजेपी से हथिया ली थी,जबकि आजमगढ़ से 2014 में मुलायम जीते थे।
पूर्वांचल में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी, आजमगढ़ से अखिलेश यादव, चंदौली से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, गाजीपुर से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा उनके सामने अफजाल अंसारी,गोरखपुर से भोजपुरी अभिनेता रवि किशन, सुल्तानपुर से मेनका गांधी बनाम संजय सिंह, इलाहाबाद से डा0 रीता बहुगुणा जोशी, जगदम्बिका पाल, प्रतापगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह, संत कबीरनगर से प्रवीण निषाद समेत कई प्रमुख नेताओं का चुनाव आखिरी दो चरणों में है।
सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का क्षेत्र होने के नाते गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा सीटें भाजपा के लिए खास हैं। योगी व मौर्य के इस्तीफों से रिक्त हुईं गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उप-चुनाव में सपा ने भाजपा से दोनों सीटें छीन ली थीं। पूर्वांचल को जातीय समीकरणों के लिहाज से भी अहम माना जाता है, इसलिए भी क्षेत्रीय जरूरतों के मुताबिक भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन ही नहीं, कांग्रेस ने भी अपने नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी है। आखिरी चरण में बीजेपी गठबंधन के अपना दल(एस) प्रत्याशियों की मिर्जापुर और राबर्टसगंज संसदीय सीट पर परीक्षा होगी। यहां से क्रमशः अनुप्रिया पटेल और पकौड़ी लाल कोल मैदान में हैं।
पश्चिमी यूपी के चुनाव के बाद खाली हुए प्रदेश सरकार के मंत्रियों, विधायकों व चुनाव लड़ चुके सांसदों, प्रत्याशियों व प्रमुख नेताओं को छठे और सातवें चरण में मतदान वाले जिलों में लगाया गया है। प्रमुख मंत्रियों को एक-एक जिले की कमान सौंपी गई है। आजमगढ़ की संवेदनशीलता को देखते हुए भाजपा ने हिंदूवादी छवि के पश्चिमी यूपी के एक फायरब्रांड मंत्री को चुनाव प्रचार बंद होने तक वाराणसी में रहने के लिए कहा है।
सबसे ज्यादा नेताओं की आवक वाराणसी व आजमगढ़ में है। आजमगढ़ में सपा-बसपा गठबंधन के कई युवा नेता आजमगढ़ में डटे हुए हैं। । वाराणसी में तो प्रदेश ही नहीं, देशभर के नेता प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं। वाराणसी को लघु भारत कहा जाता है। यहां देश के अधिकतर राज्यों के लोग रहते हैं। दोनों जिलों में अधिकतर होटल व रिसॉर्ट बुक हो चुके हैं। आजमगढ़ में 12 तो वाराणसी में आखिरी चरण में 19 मई को वोट पड़ेंगे।
पूर्वांचल के समीकरणों को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक-दो दिन वाराणसी में प्रवास भी कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भी मोदी ने इसी तरह काशी में रुककर माहौल बनाया था। उनके प्रवास का असर समूचे पूर्वांचल पर पड़ने का अनुमान है।
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