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22.5.19

दिल के बड़े गरीब हैं न्यूज़ चैनल के मालिकान, खा जाते हैं स्ट्रिंगर के हक का पैसा

देश में एक से बढ़कर  न्यूज चैनलों ने दस्तक दी और एक से बढ़कर एक टैग लाइन के साथ मीडिया के क्षेत्र में  प्रवेश किया| लोगों ने बड़ी उम्मीद के साथ नए चैनलों का साथ पकड़ा की उन्हें अपनी मेहनत का पैसा मिलेगा लेकिन यह उम्मीद बस उम्मीद बन कर रह गई|

आपको जानकर हैरानी होगी एक तरफ चैनल के मालिक राजनैतिक दलों से मोटा पैसा कमाते रहे वही अपने स्ट्रिंगर को एक टका रुपया नहीं दिया| ऐसा नहीं यह देश में  पहली बार हुआ पहले भी होता रहा| लेकिन आजतक किसी सरकार ने टीवी चैनल के मालिकों के कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा सके आखिर उन्हें भी टीवी चैनल के मालिकों से डर लगता है| पैसा नहीं देने के मामले में नेशनल चैनल के साथ क्षेत्रीय चैनल भी है| आपको मै अपने अनुभव से कह सकता है कि 100 में से 99 चैनल से ऐसे होंगे तो स्ट्रिंगर से फ्री में या फिर पेमेंट देने के आश्वासन पर काम करा रहे होंगे| अब सवाल इन चैनलों के सम्पादकों का  आखिर वह चैनल में बैठकर क्या कर रहे होंगे|

क्या उन्हें अपने स्ट्रिंगर और चैनल के रीढ़ कहे जाने वाले शख्स की चिंता नहीं है तो आपको बता दे उन्हें किसी की समस्या से क्या मतलब ?संपादक जी को अपनी मेहनत का पैसा मिल रहा है साथ ही साधु संतों की तरह अच्छी बातें करने को मिल रही है और अगर कोई पेमेंट भी मांग रहा है तो  उनके पास बाहर का रास्ता दिखाने का अधिकार भी है जब चाहे तब प्रयोग का लेते है| अब सवाल उन स्ट्रिंगरों का आखिर वह अपने परिवार की जिम्मेदारी कैसे निभाए तो उन्होंने भी इसका थोड़ा सा इंतजाम कर लिया है कहीं से कुछ दाल दलिया मिल गया तो बेहतर बर्ना कही तो उनकी दुकान कही तो सजेगी ही| अब समाज भी यह  बात समझ गया है आखिर  मीडिया को बिकाऊ मीडिया का तमगा क्यों मिला है| मेरी मालिकान से गुजारिश है अपनी लेबर का भुगतान करें, नहीं तो लाखों उन स्ट्रिंगरों की हाय आपको सुनामी की गति से तेज आपको को उड़ाकर ले जाएगी| फिर नहीं बचेगा आपका साम्राज्य|

एक स्ट्रिंगर
बरेली

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