लखनऊ — देश की प्रतिष्ठित सार्वजनिक प्रसारण संस्था प्रसार भारती के अंतर्गत संचालित दूरदर्शन केंद्र, लखनऊ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र में एक कैजुअल (अनियमित) कर्मचारी को निदेशक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहा है वो निदेशक को गुमराह करके अपने फायदे निकाल रहा है जो न केवल नियमों की स्पष्ट अवहेलना है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
बताया जा रहा है कि उक्त कर्मचारी जिसका नाम प्रशांत त्रिपाठी है इसकी की नियुक्ति केवल अस्थायी कार्यों के लिए की गई थी, परंतु वर्तमान में वह कार्यवाहक निदेशक के रूप में कार्य कर रहा है। इससे न केवल स्थायी एवं अनुभवी कर्मचारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, बल्कि यह भी आशंका जताई जा रही है कि इससे निर्णय प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर भी असर पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, यह नियुक्ति न तो किसी आधिकारिक अधिसूचना के तहत हुई है, और न ही इसके लिए आवश्यक प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया है। यह घटना प्रसार भारती जैसे संस्थान की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा सकती है, जो कि अपने अनुशासन और नियमबद्ध कार्यप्रणाली के लिए जाना जाता है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्मचारी संगठनों और जनसंचार से जुड़े विशेषज्ञों ने मांग की है कि इस पर तत्काल उच्च स्तरीय जांच बैठाई जाए और दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए।
प्रसार भारती और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यदि समय रहते इस पर संज्ञान नहीं लिया गया, तो यह मामला और भी अधिक विवादास्पद रूप ले सकता है।
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