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13.6.25

नवभारत टाइम्स मुंबई एडिटोरियल विभाग में आंतरिक कलह, वरिष्ठ पत्रकारो का मोहभंग

चतुर त्रिपाठी के कारण रेल मंत्री का इस्तीफा, निर्जल तिवारी को वापस लाने में जुटा छांगुर 

मुंबई: नवभारत टाइम्स के मुंबई संस्करण में संपादकीय विभाग के भीतर मतभेद और गुटबाजी की खबरें सामने आ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, विभाग फिलहाल तीन गुटों में बंटा हुआ है, जिसका असर संस्थान के कामकाज और कार्य संस्कृति पर पड़ रहा है।इन आंतरिक तनावों के बीच चतुर त्रिपाठी के कारण दामोदर व्यास ने हाल ही में संस्थान से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि व्यास का इस्तीफा विभाग में चल रही आंतरिक राजनीति और गुटबाजी से उपजे असंतोष का परिणाम है।इस बीच चतुर त्रिपाठी के बीमारी का फायदा छांगुर गैंग को हो रहा है जिसके कारण छांगुर गैंग हावी पड़ रहा है। और छांगुर गैंग एक बार फिर विवादित निर्लज तिवारी को लाने की फिराक में है कई अखबारों से निकाले गए निर्लज तिवारी ने कोरोना के दौरान नवभारत टाइम्स के पत्रकारों के साथ ही मुंबई के कई पत्रकारों और अधिकारियों से गूगल पे के माध्यम से पैसे वसूल किए थे।तभी से मुंबई छोड़ दिया था एक बार फिर आने की कोशिश में है जिसे छांगुर मदद कर रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि इससे संस्थान की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।अखबार के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कई अनुभवी और योग्य पत्रकारों ने संस्था में आवेदन दिया था, लेकिन चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।अखबार के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कई अनुभवी और योग्य पत्रकारों ने संस्था में आवेदन दिया था, लेकिन चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

संपादक के रिटायरमेंट से पहले हलचल

सूत्रों के अनुसार, नवभारत टाइम्स के वर्तमान संपादक कैप्टन सुंदरचंद ठाकुर जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उनके उत्तराधिकारी के रूप में दिल्ली से प्रकाशित सांध्य टाइम्स के संपादक ललित वर्मा का नाम चर्चा में है। वर्मा पिछले कुछ महीनों से मुंबई में सक्रिय हैं, जिससे यह अटकलें और तेज़ हो गई हैं कि उन्हें जल्द ही नया कार्यभार सौंपा जा सकता है।

इस बदलाव की संभावनाओं के बीच विभाग में कुछ कर्मचारियों द्वारा ललित वर्मा के करीबी बनने की कोशिशें भी चर्चा में हैं। कर्मचारियों का दावा है कि इस प्रक्रिया में पक्षपात और अंदरूनी लॉबिंग ने माहौल को विषाक्त बना दिया है।

कर्मचारियों में असंतोष

इन घटनाओं से संस्थान के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। दामोदर व्यास के इस्तीफे को लेकर कई पत्रकारों का मानना है कि उनकी जगह भरना आसान नहीं होगा।

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