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17.6.08

आज हम अंग्रेजी के गुलाम हैं

हम गुलाम हैं , हाँ हम गुलाम हैं । सब कहते हैं आज हम आजाद हैं । पर मै कहती हूँ की हम कल भी गुलाम थे , आज भी हैं और शायद हमेशा रहेंगे । हमे आदत पड़ चुकी है हमेशा गुलाम रहने की । कभी किसी का तो कभी किसी का । कल तक हम अंग्रेजो के गुलाम थे तो आज अंग्रेजी के गुलाम हैं । कल तक अंग्रेज हम पर हुकूमत करते थे हमे शर्मिंदा करते थे तो आज अंग्रेजी हम पर हुकूमत करती है हमे शर्मिंदा करती है कहीं ऐसा न हो की कुछ सालो बाद हमारे देश का नाम हिन्दुस्तान से बदलकर अन्ग्रेजिस्तान हो जाए । जो लोग बच्चों को पढाते हैं चाहे वो मै हूँ या आप । हमेशा अंग्रेजी सिखाने पर ही तुले रहते है ............ ....बेटा , कॉम हियर....................और जो उनके लिए स्कूल खोलते है उन्हें शिक्षा देते है की हम हिन्दुस्तानी है , हमे अपने देश पर गर्व है और होना चाहिये और पढ़ते हैं की आज हम आजाद है । वही लोग अपने स्कूल का विज्ञापन देते समय यह भूल जाते है की हम हिन्दुस्तानी है और हमारी मात्र भाषा हिन्दी है । वे लिखते है ------फ्लुएंस इन इंग्लिश इज मस्ट फॉर अल पोस्ट्स। यहाँ तक की हिन्दी के टीचरों को भी आज इंग्लिश आनी जरुरी हो गई है । ऐसे मैं कैसे समझ पायेगा हमारा समाज की हम हिन्दुस्तानी है ,सच्चे हिन्दुस्तानी । क्युकी आज केवल हिन्दुस्तानी होने की वजह से कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है और पड़ रहा है की हमे हिन्दी आती है अंग्रेजी नही । बच्चा वही सीखता है जो हम उसे सिखाते है और आज तो हम बच्चे के पैदा होते ही उसे इंग्लिश सिखाने की कोशिश करने लगते हैं । तो कैसे समझ पायेगा वो नन्हा सा बच्चा की हम हिन्दुस्तानी हैं और यही कारण है की आज हर बच्चा बड़ा होकर विदेश जाना चाहता है । क्युकी आज हम उसे अपने देश से ज्यादा विदेश के बारे मैं ही बताते हैं । वहीं के सपने दिखाते हैं । ऐसे मैं कैसे जुड़ पायेगा वो अपने देश से । उसकी मिट्टी से । आज के हीरो हिरोइन को ही ले लीजिये ---हिट - सुपरहिट होते है अपने देश मै । वो भी हिन्दी फिल्मो की वजह से पर सही से हिन्दी बोलना भी नहीं आता । और जब विदेशी फिल्मो मै काम करते है तू वहाँ उनकी टायं - टायं फिस हो जाती है । फिर भी अपने देश की बजाय विदेश जाना ज्यादा पसंद करते है । क्या नही है हिंदुस्तान मै । सबकुछ है फिर भी .....चलो कभी - कभी तू कोई बात नहीं पर हमेशा तू ये ठीक नही है ना । अब नेताओं को ही ले लो इंग्लिश आती है , अपने प्रांत की भाषा आती है पर जो नहीं आती वो है हिन्दी । प्रधानमंत्री , रास्ट्रपति सब बनना चाहते हैं पर हिन्दी नही सीखना चाहते । तू कैसे समझ पाएगी जनता उन्हें या वे जनता को क्युकी आधे से ज्यादा लोग हिन्दी ही जानते है । अगर ऐसा ही होता रहा तू एक दिन कही ऐसा न हो जाए की जिसके लिए हम जाने जाते है पूरे संसार मै वह वजह ही समाप्त हो जाए । हमे कदम बढाना होगा । जिस तरह हमारे नेताओं ने इंकलाब जिंदा बाद का नारा दिया था उसी तरह हमे भी हिंदुस्तान जिंदा बाद और जैसे अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा दिया था ठीक वैसे ही हमे भी अंग्रेजी भारत छोड़ो के नारे को अपनाना होगा । तभी हमारी खोई पहचान हमे श्याद वापस मिल सके । मै ये नहीं कहती की अंग्रेजी मत बोलो बल्कि ये तू बहुत ही अच्छी बात है की हम दूसरे देशों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहे हैं पर दूसरे देश हमारे साथ चलते हुए भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं । वे जहाँ भी रहें , जहाँ भी जाएं अपनी भाषा को नही छोड़ते ,नही भूलते । पर हम हैं की अपनी जड़ों को काटते जा रहे हैं , उनके सामने हमे अपनी भाषा बोलते हुए शर्म आती है ,जबकि वे हमारे सामने अपनों से अपनी भाषा मै ही बात करते हैं । है न कितनी शर्म की बात । जिस तरह हमारे देश मै अंग्रेजी सीखी जा रही है उसी तरह दूसरे देशों मैं भी हिन्दी सीखी जा रही है । पर वो लोग उसे वहीं इस्तेमाल करते हैं जहाँ जरुरत होती है । हमारी तरह नहीं की अंग्रेजी आते ही लगे इतराने । बात - बात पर लगे अंग्रेजी झाड़ने।


3 comments:

Satyawati Mishra said...

apni hindi ki varti shudh kijiye. mai ki jagah me, tu ki jagah to vagairah likhiye.

Satyawati Mishra said...

apni hindi ki varti shudh kijiye. mai ki jagah me, tu ki jagah to vagairah likhiye.

mrit said...

हम अँगेजी ही नहीं काले अँग्रेजों के गुलाम हैं.