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5.12.09

मीडिया जगत में भ्रष्टाचार

प्रकाश चंडालिया

हाल के लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ बड़े अखबारों पर कुछ नेताओं ने खबर छपने के एवज में पैसा मांगने का संगीन इल्जाम लगाया है। इस पर एक जांच कमिटी का गठन कर दिया गया है। पता नहीं कमिटी कितनी शिद्दत से मीडिया घरानों पर लगे इल्जाम की तफ्तीश कर पायेगी. पर इसमें दो राय नहीं कि मीडिया जगत में भ्रष्टाचार कई रास्तों से आ रहा है. यह खबर ख़ास महत्त्व नहीं रखती की अखबार खबर के एवज में मोटा माल मांग रहे हैं. देश में कौन सा ऐसा बड़ा अखबारी घराना है जो नेताओं या सरकार से परोक्ष-अपरोक्ष रूप में फायदा नहीं ले रहा? जनाब, यही तो ऐसा धंधा है जहाँ नाम और दाम दोनों मिलते हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक -दोनों मीडिया में ऐसे दलाओं की कमी नहीं है. दिल्ली में कई बड़े पत्रकार निजी तौर पर मालामाल हो रहे हैं, तो अखबार या चैनल चलनेवाला मालिक फायदा क्यूँ नहीं लूटेगा?सुना है, एक चैनल को किसी विदेशी ने ब्लाच्क्मैल से बचाने के लिए कई करोड़ भेजे हैं... यह वही चैनल बताया जा रहा है जो हर शाम दुनिया ख़त्म होने की खबर का बेमतलब प्रसारण करना अपना धर्म समझता है. दिल्ली के एक और बड़े टीवी पत्रकार का बेटा सीबीआई के चंगुल में फंसने की दहलीज पर है.बड़े मीडिया घरानों के मालिकों के लिए अखबार मिसन नहीं कमिसन का धंधा है. आखिर अलोक मेहता जैसों को पद्मश्री किस कारण मिल जाती है? कौन सा पहाड़ उन्होंने अपनी कनिष्ठ पर उठा लिया भाई? हिंदुस्तान टाईम्स की मालकिन शोभना भारतीय संसद कैसे पहुंची ? क्या यह सच नहीं है की चुनाव के समय बड़े घरानों के मालिक या उनके प्रतिनिधि विज्ञापनों के लिए हर पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं की चिरौरी करते फिरते हैं? मीडिया में फैला भ्रष्टाचार निरंतर बढ़ रहा है. मालिक और बड़े पत्रकार इसमें जमकर नहा रहे हैं. इस खेल में छोटे-मझौले पत्रकारों का इस्तेमाल किया जाता है.किसी कवि ने ठीक ही कहा है-हर एक का जहाँ में अरमान निकल रहा हैतोपें भी चल रही हैं, जूता भी चल रहा है


3 comments:

Gwaliornama said...

Bahut Sahi Likha Hai. Lage Raho.

preeti pandey said...

आपने बिलकुल सही कहा मीडिया के इस बाजार में आज वही रुक पायेगा जो अपने अखबार या चैनल के लिए लाभ अर्जित करने की शमता रखता हो, और लाभ भी किसी अच्छी खबर लाने भर से नहीं बल्कि पैसो का लाभ.
लेकिन मुझे आपकी एक बात अच्छी नहीं लगी जो की आपने कहा की छोटे और मंझोले पत्रकार, जहा तक मेरा मानना है की एक समाचार पत्र छोटा या बड़ा हो सकता है लेकिन एक पत्रकार कभी भी छोटा या बड़ा नहीं होता है, पत्रकार तो सिर्फ पत्रकार होता है,

Ajit Kumar Mishra said...

नक्कारखाने में तूती की आवाज