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23.12.09

इंसाफ तो 'कटघरे' में डरकर कांप रहा है.

वर्दी वाले गुंडे का चेहरा जरा गोर से देखीये. कोर्ट के बाहर ये बड़ी अजीब हंसी हंस रहा है. क्या कोई सजा पाने वाला मुजरिम इस तरह हँसता है? नहीं, लेकिन वो हँसता है जिसकी हार में भी जीत हो. यक़ीनन ये जनाब हरियाणा पुलिस के पूर्व डी.जी.पी एस. पी. एस. राठोर है. इन्हे टेनिस खिलाडी रुचिका गिरहोत्रा से १२ अगस्त १९९० में अश्लील हरकतों और आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में ६ महीने की सजा हुई है. रुचिका गिरहोत्रा की उम्र केवल १४ साल थी. परेशान होकर रुचिका गिरहोत्रा ने २९ दिसंबर १९९३ को मोत को गले लगा लिया था. कोई अपनी सांसों की डोर यू ही नहीं नोचता. उसने ये कदम तब उठाया जब राठोर शिकायत वापसी न होने पर गुंडागर्दी पर उतर आये. इस बाला को स्कूल से निकाल दीया गया. उसके पिता को नोकरी से और इकलोते भाई को जेल जाना पड़ा. उसके खिलाफ १ दर्जन मुकदमे दर्ज करा दिए गए. घर भी संगीनों के साये में आ गया. रुचिका इस सब से हार गई और मोत का रास्ता चुन लिया. घटना के वक्त राठोर आई. जी. थे. हरियाणा की ओम प्रकाश चोटाला सरकार का पुलिस विभाग के दामन को दागदार करने वाले राठोर पर दिल कुछ इस तरह आया की उसने राठोर को डी.जी.पी के पद तक पहुंचा दीया. रुचिका की दोस्त अनुराधा और उसका परिवार १९ साल तक इंसाफ का इंतजार करता रहा. पूरे टाइम राठोर खलनायक की भूमिका में रहे. एक तो सफेद्पोसों का चहेता, वर्दी की ताकत, रसूख, कानून तो वैसे ही अँधा था. राठोर ने उसे अपाहिज और कर दीया. १९ साल के बाद अब राठोर को इतनी तगड़ी केवल ६ महीने की सजा हुई की सजा भी सरमा गई. लगा की जेसे इंसाफ का गला ही दबा दीया गया हो. साहब का रसूख था की चंद मिनटों में ही जमानत भी मिल गई. अब सोचो इंसाफ किसको मिला? रुचिका गिरहोत्रा की आत्मा भी कॉप गई होगी. संसद में सी. पी. एम. नेता वेरन्दा करात ने मामला उठाया तो हर किसी को सर्म आ गई. लेकिन एक नाबालिग लड़की पर गन्दी नजरे डालने वाला मुछों पर ताव देकर हंस रहा है. हरियाणा के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चोटाला खामोश है. इंसांनियत को सरम्सार करने वाले इस मामले में १९ साल का वक्त लग गया. मुजरिम हंस रहा है, हातों-हाथ जमानत मिल रही है, पीडित परिवार डरा हुआ है वाह!वाह! क्या इंसाफ है? दरअसल इंसाफ को सूली पर लटकाया जा रहा है. पूरा सिस्टम ही इसका जिम्मेदार है. इंसाफ को भी कटघरे में दाल दीया गया. इस इंसाफ से देश के बाकि मामलों में होने वाले इंसाफ का भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है. *नितिन सबरंगी.

1 comment:

Pradeep raj soni said...

सिर्फ इस बार ही नहीं हमारे देश में हमेशा पैसे वाले लोगो का कुछ नहीं होता चाहे वो फिल्म एक्टर कुछ करे या किसे नेता के बच्चे ही कुछ करे और अब नए साल के जश्न में कितने गरीब रोड पर कुचले जायेंगे पर कुचलने वाले खुले घूमते रहेंगे.........