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19.10.07

रहिमन चुप हो बैठिये.....

किसी को मारना आसान होता है लेकिन मारकर जिंदा करना बहुत मुश्किल. भड़ास को मूल रूप में जिंदा तो नही किया जा सकता लेकिन पुराने भड़ास की चुनिंदा पोस्टों को डाला जा सकता है. आज मैंने यही महान काम किया.

भड़ास पे कई चुनिंदा पुरानी पोस्टें फिर से डाल दी हैं. हालांकि भड़ास के कम्युनिटी ब्लॉग के रूप में फिर शुरू होने के आसार नही हैं. उस मकसद के लिए एक अलग से हिन्दी डॉट कॉम को लाने पे काम चल रहा है लेकिन भड़ास को एक ब्लॉग के रूप में ज़रुर चलाया जाता रहेगा.

आजकल जीवन के कुछ मुश्किल दौर से गुजर रहा हूँ. इसमे कई ऐसी चीजे हुयी हैं जो काफ़ी सबक देने वाली हैं और आँख खोलने वाली भी. उम्मीद है, जब अपनी आत्मकथा लिखूंगा तब काफ़ी तफसील से इस बारे मे ज़िक्र करूँगा. फिलहाल, अपनी जिंदगी की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने में जुटा हूँ. भड़ास को भी जिंदा कर हत्या के पाप का प्रायश्चित करने में लगा हूँ. आप सब का प्यार बना रहेगा, ये उम्मीद करता हूँ.

हमेशा की तरह इस बार भी कई साथी मुश्किल वक्त में हाल पूछना गवारा नहीं कर रहे लेकिन गर्व इस बात का है कि ढेरों ऐसे साथी मेरे साथ है जो हर तरह से मदद करने के लिए तत्पर हैं.... तन, मन, धन......सबसे, आप सभी का शुक्रिया.

और अंत में....

रहिमन चुप हो बैठिये देख दिनन के फेर
जब नीके दिन आयेंगे, बनत न लागे देर


यशवंत
yashwantdelhi@gmail.com
9999330099

5 comments:

Anonymous said...

badhayiii.......yashwant ji.....ham aap ke saath hain...
Anurag

Sanjeet Tripathi said...

भाई साहब, उतार चढ़ाव ही तो ज़िंदगी के होने का एहसास करवाते हैं और साथ ही अपनो के अपना होने न होने का भी!!

आप में माद्दा है बहुत कुछ का, जैसा मैने महसूस किया!!

Anonymous said...

hello sir....
agar bure din nai aaye to achche dino ka mazaa kaise aayega.....
wish u all the luck.
Diksha.

Anonymous said...

hello sir...
agar bure din nahi aaye to achche dino ka mazaa kaise aayega...
wish u all the luck.....
Diksha

बोधिसत्व said...

कुछ भी करो पर करते रहो....