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4.6.08

आज का इनसान

cआज का इनसान
सलवटोंवाला बिछौना आज का इनसान
वासना का है खिलोना आज का इनसान
क्यों किसी शैतान की तीखी नजर लगती
हो गया काला डिठोना आज का इनसान
धमनियों में है तपिश चढ़ती जवानी की
ढूंढता है कोई कोना आज का इनसान
ओढ़ली जबसे शरारत बेचकर ईमान
दूर से लगता सलौना आज का इनसान
नाचती है अब सियासत देश में नंगी
है मिनिस्टर-सा घिनौना आज का इनसान
पूरे आदमकद हुए हैं पाप के पुतले
और होगा कितना बौना आज का इनसान
आ गया नीरव चलन में कैसा तिरछापन
हो गया बिल्कुल तिकोनाआज का इनसान।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६

5 comments:

Maqbool said...

Panditji
bhai wah,kya baat hai.Ghinaune-pan ko aapne nai paribhasha de di.Badaa chubhataa hua haashya hai is ghazal main.
Badastoor jaaree rahiye.
Mrigendra Maqbool.

satyandra yadav said...

kya kahoon aaplogon ki lekhani aur soch padhakar gali deno ko man kar rha hai ..... aap log bharam me ji rhen hain .... aap jo likhen hai .. sab aap par lagu hota hai.... aap jaise log aise hi kahate rahate hain ... aarop pratyarop lagate rahate hain.....

log do din patrakarita sejud jate hain to apne aap ko think tank manane lagate hain......

agar koi byakti insan hai to wah ghinauna nahi ho sakata... ghinaunz byakti insan nahi ho sakata.....

आलोक सिंह रघुंवंशी said...

वाकई पंडित जी आज का इंसान का रूप कुछ इसी तरह का हो गया है। कुछ लोग खुद को महान समझने की भूल कर बैठते हैं, लेकिन वह सिर्फ ढोंग है, दिखावा है।

भागीरथ said...

gazal ke madhyam se insan ko parat dar parat ughar kar rakh diya neerav ji. bilkul nanga kar diya aadmi ko. bahut gehri aur gambhir gazal ke kiye badhai.

Anonymous said...

पन्डित जी प्रणाम,

आज का ईन्सान, भगोने का आलू हुआ
जिधर देखा उधर सडा बदबू हुआ,
ना कलुआ ना अविनाश कुत्ते की पुछ हुआ इनसान।

सच में आपकी इन्सानों कि वयाख्या अद्भुत है। आपको बधाई संग ही एक तुकबनदी भी।

जय जय भडास