'वो' आए और दो मिनट में चर गए
खूब भींचीं मुट्ठियां, कुछ हुआ नहीं...
किसे पता, वो झुके या हम डर गए।
ठंडा पड़ गया गोला-बारूद पड़े-पड़े...
सीमा पर सैनिक बिना लडे़ ही मर गए।
अमेरिकी स्पर्श का असर तो देखिए...
जरा-सा सहलाया, सारे जख्म भर गए।
जमाना बदला, नहीं बदली उनकी आदत...
जिस थाली में खाया उसी में छेद कर गए।
दिन-रात बोये सदभावना के बीज हमने...
'वो' आए और दो मिनट में चर गए।
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
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