अमरीका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में कैपिटॉल हिल और व्हाइट हाउस के बीच स्थित द मॉल पर खड़ा यह काला सा आदमी कुछ अपना सा दिखाई दे रहा है। शायद इस लिए भी कि उसका नाम बराक हुसैन ओबामा है। बराक और ओबामा शायद अमेरिका के लिए होगा हमें तो सिर्फ़ हुसैन ही दिखाई और सुनाई दे रहा है। अमेरिका मै शपथ लेन वाला कोई हुसैन होगा, इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। लेकिन दुनिया बदल रही है और इसके साथ ही अब कल्पनाओं को भी बदलने का समय आ गया है। दुनिया के तथाकथित सर्वशक्तिमान देश का राष्ट्रपति हुसैन बन चुका है। दुनिया का ताकतवर आदमी एक कला आदमी हो गया है। तो कह दो पूरी दुनिया वालों से अब काले लोगों की हुकूमत आ गई है। सुनकर कितना अच्छा लगा। शायद ऐसा मुमकिन होगा।
खैर बात हो रही थी अपनेपन की तो अपने हुसैन से हमें कुछ आस और उम्मीदें भी है। हुसैन सुनकर तो लगता है की जैसे कोई भारतीय ही अमेरिकी रास्त्रपति बन गया हो। शायद यही कारन रहा होगी कि भारतीय मीडिया ने ओबामा को सर आँखों पर बिठाया। ओबामा के खाने लेकर पीने तक की हर ख़बर भारतीय मीडिया ने बताई और दिखाई भी। ओबामा जितने अमेरिका मै हीरो बने है, उससे ज्यादा भारतियों के दिमाग मै छा गए है। मीडिया ने ओबामा से पूरी दुनिया को कुछ आस उम्मीद भी बना दी है। अब हुसैन तो हमारे ठहरे तो कुछ ज्यादा उम्मीदें पाल लेने मै कोई बुरे भी तो नही है। भारतियों ने भी कुछ यही किया है, इस्स्में सायद भारतीय मीडिया का भी अहम् रोल है। जिसने ओबामा को भारतियों बीच का आदमी साबित कराने मै कोई कसार बाकी नही रखी. अब अपने से उम्मीद लगना भी बेमानी नही है, सो भारतियों ने भी ओबामा से कई उम्मीदें सजा रखी है। भारतियों को उम्मीद है की ओबामा पाकिस्तान को आतंकबाद को ख़त्म करने के लिए कहेंगे और उसे मिलने वाली सहायता पर भी कुछ रॉक लायेंगे। कुल मिलकर आतंकबाद से लाकर हर समस्या का समाधान ओबामा के पास होगा, ऐसा भारतियों और ओबामा से उम्मीदें लगाये लोगों का मानना है। पर शायद ऐसा कराने की अमेरिकी राष्ट्रपति की मंशा हो। शब्दों के जादूगर ओबामा ने कुछ उम्मीदें रख छोडी है। लेकिन इन उम्मीदों पर वह कितने पूरे होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अपना सा लगाने वाला यह कितना अपना होगा, अभी तो कहना मुश्किल ही है। उसकी भी वजह साफ़ है, ओबामा ने अभी ऐसा कुछ भी नही किया है की हमें लगे की वह हमारा अपना सा है। फिर भी हमें ओबामा से अपने होने का इंतज़ार रहेगा। आखिरकार हमारे तथाकथित दिग्गजों ने हमें ओबामा से कुछ उम्मीदें जो दिखाई है। अब ये उम्मीदें पूरी होंगी, इसके लिए तो वक्त का ही इंतज़ार करना पड़ेगा।
23.1.09
ये कोई अपना सा कितना अपना है
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