मैं और मेरे दो दोस्त सौरभ और गौरव शिमला घूमकर वापस लौट रहे थे। हमारी ट्रेन कालका मेल रात में ११ बजे थी. हम वहां पर शाम को चार बजे ही पहुँच गए. क्यूंकि और कोई काम नही था इसीलिये हमने वहीं बैठकर गप्पे लड़ने का कार्यक्रम बनाया. इसी दौरान हमें पता चला की हमारे फ़ोन की बैट्री पूरी तरह से जा चुकी है. कालका स्टेशन पर ढेर सारे बोर्ड बन्दे हुए थे. तो हमने उसमे अपना चार्जर लगा दिया. पर फ़ोन चार्ज होना नही शुरू हुआ. हमने उस स्टेशन के वेटिंग रूम से लेकर स्टेशन मास्टर तक के कमरे की ख़ाक चान ली लेकिन बिजली होने के बावजूद हमें कोई ऐसा बोर्ड नही मिला जहाँ से हम अपना फ़ोन चार्ज कर सकें. थक हर कर हमने अपनी बात स्टेशन मास्टर तक राखी तो महोदय ने जवाब दिया बेटा हमारा आदमी इसे ठीक कर रहा होगा आप थोड़ा वेट कर लो. हमने एक घंटा इंतज़ार किया लेकिन कुछ भी नही हुआ. तो फिर हम इसकी शिकायत करने कहीं नही गए. वहां टिकेट काट रही एक महिला से हमने कहाँ की हमारा फ़ोन काम नही कर रहा है. इसलिए अगर कोई बोर्ड काम कर रहा हो तो हमारा मोबाइल लगवा दीजिये. उन्होंने हमारी बात सुन ली और अपने ही केबिन में फ़ोन चार्ज होने के लिए लगवा दिया. जब हम अपना फ़ोन वहां लगवा रहे थे तो इस बारे में उनसे पुछा की मैं यहाँ के चार्जिंग बोर्ड काम क्यूँ नही कर रहे हैं. इस पर उन्होंने हमें कहा इसके बारे में आप हमारे स्टेशन मास्टर से बात कीजिए. हमे इस रहस्य के बारे में किसी ने कुछ नही बताया. इसके बाद हम जब खाना खाने गए तो इस बात का हमें पता लगा की वहां का बोर्ड काम क्यूँ नही करता. वहां पर रेस्तराँ के मालिक ने हमें बताया की यहाँ पर पिछले दिनों ऐसे घटनाएँ घटीं जिसके चलते यहाँ के कर्मचारियों का जीना दूभर हो गया था. इसी वजह से यहाँ के सभी बोर्ड के कनेक्शन काट दिए गए हैं. यहाँ पर अक्सर लोग मंहगे फ़ोन चार्ज होने के लिए लगते थे और भूल जाते थे. इस बीच उनका फ़ोन कोई उठाकर ले जाता था. जब उनका फ़ोन गायब होता तो वो लोग पुलिस बुला लेते थे. दो महीने में यहाँ पर इस तरह की इतनी घटनाएँ घटीं की इन बोर्ड का कनेक्शन काटना पड़ा. अब लोग न अपना फ़ोन लगते हैं ना ही यहाँ के स्टाफ को दुखी होना पड़ता है. अगर आप भी कालका स्टेशन जायें तो वहां पर फ़ोन चार्ज करने का अरमान मत रखियेगा. नही तो निराशा ही मिलेगी.
अमित द्विवेदी
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