कहीं यह खंण्डूड़ी की कुंठा तो नहीं !
खंण्डूड़ी के बयान से गिर सकता है कार्यकर्ताओं का मनोबल
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । मुख्यमंत्री निशंक की लोकप्रियता को पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी शायद पचा ही नहीं पा रहे हैं तभी तो जब भी निशंक को किसी सराहनीय कार्य का श्रेय दिया जाता है,खंण्डूड़ी इस पर नकारात्मक टिप्पणी करने से नहीं चूकते। राजनीतिक विश£ेषक उनके इन बयानों को उनकी कुंठा के रूप में देख रहे हैं।
हाल में विकासनगर उप चुनाव में मिली जीत के लिए भले ही भाजपा संगठन और आम जनता ने निशंक को श्रेय दिया हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूड़ी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। अब इसे उनकी कुंठा कहें या भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति से दूर छिटकने का डर। उन्होने अनोखा बयान देकर अपनी कुंठा को सार्वजनिक कर ही दिया। विकासनगर उप चुनाव जीतने पर उनका सार्वजनिक रूप से यह कहना कि विकासनगर की जनता ने भाजपा सरकार के पिछले ढाई सालों के कार्यकाल के आधार पर जनादेश दिया है। उनका यह बयान लोगों की समझ से एकदम परे है। राजनीतिक विश£ेषक उनके इस बयान से हैरत में हैं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर खंण्डूड़ी के इस बयान का औचित्य क्या है। उनका मानना है कि विकासनगर के लोगों ने फैसला सरकार के ढाई सालों के कामकाज के बदले दिया है तो फिर बीते लोकसभा चुनाव के दौरान जब खंण्डूड़ी की सरकार थी तब इस क्षेत्र की जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान क्यों नहीं किया। यहां पर यह बताते चलें कि भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी जसपाल राणा को उस समय १३०८८ मत ही हासिल हो पाये थे जबकि कांग्रेस के विजय बहुगुणा ने २७०३५ मत पाकर भाजपा को बहुत ही पीछे छोड़ दिया था। ऐसे में आंकड़े खुद ही बयां कर रहे हैं कि उस वक्त जब खंण्डूड़ी की सरकार प्रदेश में थी विकासनगर के लोगों में भाजपा के प्रति कितना आक्रोश था।
विकासनगर उप चुनाव में भाजपा ने भले ही ५९६ मतों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की हो लेकिन दो महीनों के भीतर उसने अपने मत प्रतिशत में उसने ९० फीसदी का ईजाफा किया है। अब बदले परिदृश्य में भाजपा द्वारा विकासनगर में ११ हजार मतों की एकाएक बढ़त मिली है जो निश्चित तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री निशंक के करिश्में को प्रदर्शित करता है। जिस तरह निशंक ने इस विधानसभा के विनहार क्षेत्र को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा दिलाया और मैदानी क्षेत्रों के मतदाताओं से स्वयं पर विश्वास करने का वायदा लिया उससे भाजपा यहां जीतने में सफल रही है। उप चुनाव में फिसड्डी समझे जाने वाली भाजपा ने यहां चुनाव ही नहीं जीता बल्कि लोकसभा चुनाव की अपेक्षा ११ हजार मतों की बढ़त लेकर मतदाताओं का दिल भी जीत लिया।
मौजूदा दौर में जब भाजपा संकट के दौर से गुजर रही है ऐसे में विकासनगर उप चुनाव जीतना उनके लिए बेहद राहत भरा है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी का यह बयान सभी को सकते में डालने वाला ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोडऩे वाला भी है। यह पहला मौका नहीं जब खंण्डूड़ी ने इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले भी कपकोट उप चुनाव के बाद उन्होने बेहद ही हास्यास्पद बयान दिया था तब खंण्डूड़ी ने कपकोट की जीत को जांच का विषय बताकर पार्टी में हलचल पैदा कर दी थी इतना ही नहीं उन्होने हाई कमान से यह भी पूछा था कि लोकसभा चुनाव के बाद आखिर कैसे कपकोट में १५ दिन के भीतर ही पार्टी को बढ़त मिल गयी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कपकोट विधान सभा भाजपा के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी क ी लोकप्रियता के चलते भाजपा की ही परम्परागत सीट रही है जबकि इसके उलट विकासनगर विधानसभा में कांग्रेस और मुन्ना चौहान का पहले से ही वर्चस्व रहा है। भाजपा प्रत्याशी के रूप में २००७ के चुनाव में मुन्ना चौहान को अपवाद मान लिया जाय तो कभी भी भाजपा यहां दूसरे स्थान तक भी नही पहुंच पायी थी। ऐसे में विकासनगर में भाजपा का जीतना किसी करिश्में से कम नहीं माना जा सकता।
राजनीतिक विश£षकों का मानना है कि अब खंण्डूड़ी को इस तरह की बयानबाजी से बचकर पार्टी कार्यकर्ताओं क ा मनोबल बढ़ाये जाने की दिशा में काम करना चाहिए जोकि उनके व पार्टी के लिए फायदेमंद होगा।
खंण्डूड़ी के बयान से गिर सकता है कार्यकर्ताओं का मनोबल
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । मुख्यमंत्री निशंक की लोकप्रियता को पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी शायद पचा ही नहीं पा रहे हैं तभी तो जब भी निशंक को किसी सराहनीय कार्य का श्रेय दिया जाता है,खंण्डूड़ी इस पर नकारात्मक टिप्पणी करने से नहीं चूकते। राजनीतिक विश£ेषक उनके इन बयानों को उनकी कुंठा के रूप में देख रहे हैं।
हाल में विकासनगर उप चुनाव में मिली जीत के लिए भले ही भाजपा संगठन और आम जनता ने निशंक को श्रेय दिया हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूड़ी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। अब इसे उनकी कुंठा कहें या भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति से दूर छिटकने का डर। उन्होने अनोखा बयान देकर अपनी कुंठा को सार्वजनिक कर ही दिया। विकासनगर उप चुनाव जीतने पर उनका सार्वजनिक रूप से यह कहना कि विकासनगर की जनता ने भाजपा सरकार के पिछले ढाई सालों के कार्यकाल के आधार पर जनादेश दिया है। उनका यह बयान लोगों की समझ से एकदम परे है। राजनीतिक विश£ेषक उनके इस बयान से हैरत में हैं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर खंण्डूड़ी के इस बयान का औचित्य क्या है। उनका मानना है कि विकासनगर के लोगों ने फैसला सरकार के ढाई सालों के कामकाज के बदले दिया है तो फिर बीते लोकसभा चुनाव के दौरान जब खंण्डूड़ी की सरकार थी तब इस क्षेत्र की जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान क्यों नहीं किया। यहां पर यह बताते चलें कि भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी जसपाल राणा को उस समय १३०८८ मत ही हासिल हो पाये थे जबकि कांग्रेस के विजय बहुगुणा ने २७०३५ मत पाकर भाजपा को बहुत ही पीछे छोड़ दिया था। ऐसे में आंकड़े खुद ही बयां कर रहे हैं कि उस वक्त जब खंण्डूड़ी की सरकार प्रदेश में थी विकासनगर के लोगों में भाजपा के प्रति कितना आक्रोश था।
विकासनगर उप चुनाव में भाजपा ने भले ही ५९६ मतों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की हो लेकिन दो महीनों के भीतर उसने अपने मत प्रतिशत में उसने ९० फीसदी का ईजाफा किया है। अब बदले परिदृश्य में भाजपा द्वारा विकासनगर में ११ हजार मतों की एकाएक बढ़त मिली है जो निश्चित तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री निशंक के करिश्में को प्रदर्शित करता है। जिस तरह निशंक ने इस विधानसभा के विनहार क्षेत्र को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा दिलाया और मैदानी क्षेत्रों के मतदाताओं से स्वयं पर विश्वास करने का वायदा लिया उससे भाजपा यहां जीतने में सफल रही है। उप चुनाव में फिसड्डी समझे जाने वाली भाजपा ने यहां चुनाव ही नहीं जीता बल्कि लोकसभा चुनाव की अपेक्षा ११ हजार मतों की बढ़त लेकर मतदाताओं का दिल भी जीत लिया।
मौजूदा दौर में जब भाजपा संकट के दौर से गुजर रही है ऐसे में विकासनगर उप चुनाव जीतना उनके लिए बेहद राहत भरा है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी का यह बयान सभी को सकते में डालने वाला ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोडऩे वाला भी है। यह पहला मौका नहीं जब खंण्डूड़ी ने इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले भी कपकोट उप चुनाव के बाद उन्होने बेहद ही हास्यास्पद बयान दिया था तब खंण्डूड़ी ने कपकोट की जीत को जांच का विषय बताकर पार्टी में हलचल पैदा कर दी थी इतना ही नहीं उन्होने हाई कमान से यह भी पूछा था कि लोकसभा चुनाव के बाद आखिर कैसे कपकोट में १५ दिन के भीतर ही पार्टी को बढ़त मिल गयी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कपकोट विधान सभा भाजपा के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी क ी लोकप्रियता के चलते भाजपा की ही परम्परागत सीट रही है जबकि इसके उलट विकासनगर विधानसभा में कांग्रेस और मुन्ना चौहान का पहले से ही वर्चस्व रहा है। भाजपा प्रत्याशी के रूप में २००७ के चुनाव में मुन्ना चौहान को अपवाद मान लिया जाय तो कभी भी भाजपा यहां दूसरे स्थान तक भी नही पहुंच पायी थी। ऐसे में विकासनगर में भाजपा का जीतना किसी करिश्में से कम नहीं माना जा सकता।
राजनीतिक विश£षकों का मानना है कि अब खंण्डूड़ी को इस तरह की बयानबाजी से बचकर पार्टी कार्यकर्ताओं क ा मनोबल बढ़ाये जाने की दिशा में काम करना चाहिए जोकि उनके व पार्टी के लिए फायदेमंद होगा।
1 comment:
joshi ji likh to thik par bjp kay karaktroo ka manbal aap nahi tod saktay hai.. is tarah kay samchar sirf gandi soch ka parichak hai aur kuch nahi
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