30.7.11
जब किसी इंसान को कुछ पाने की लालसा होती है तब वो उसे पूरी इमानदारी के साथ हांसिल करने की कोशिश करता है फिर लक्ष्य उसका कुछ भी हो....इसी तरह मेरे जीवन का भी एक लक्ष्य है जो की है एक प्रसिद्ध एंकर बनना...करीब १० साल की उम्र से ही ये सपना लिए हुए...हालाँकि मुझे यह पता नहीं था की एक एंकर बन्ने के लिए क्या करना पड़ता है बस बचपन मैं यही सोचती थी की टी।वी.पर माइक लेकर मैं भी आऊं एक दिन... मुझे भी बोलना है औरों की तरह...उसके बाद समय बीतता गया मैंने स्कूली पदाई ख़त्म करके कॉलिज मैं दाखिला लिया और बी.सी.ए.करने का निर्णय लिया...उसी दौरान मेरे एक टीचर ने जिनका नाम श्री केशव है यह बताया की मेरे अन्दर एंकर बन्ने के गुण हैं इसलिए मैं जेर्न्लिस्म का कोर्स करूँ... बस तभी से मैंने ठान ली की अब तो बी.सी.ए.ख़त्म करने के बाद एम .जे.एम .सी.की ही डिग्री करनी है...फिर थोडा और समय बीता तो मुझे अपने घर की आर्थिक स्थिति खराब होते हुए दिखी तब मैंने दिल्ली की एक कंम्पनी मैं जॉब करने का मन बनाया यह सोचकर की माँ -बाप को थोड़ा तो रिलेक्स मिले...फिर मैंने दो साल तक दिल्ली में ही जॉब की॥दिल्ली मैं एम.जे.एम.सी. का इतना स्कोप देखा तो मैंने वहीँ पर गुरु जभेश्वर यूनिवर्सिटी मैं डिस्टेंस कोर्स के साथ दाखिला ले लिया लेकिन पहले दिन की क्लास मैं ही मुझे एक टीचर के दुआरा पता चला की एम.जे.एम.सी. तो ग्वालियर मैं भी है वो भी रेगुलर कोर्स तब मैंने वहाँ से जॉब छोडी और बिना कुछ सोचे समझे ग्वालियर आ गयी...और आज मैं जीवाजी यूनिवर्सिटी मैं सेकेण्ड सेमेस्टर की छात्रा हूँ...
Labels: नम्रता की बात
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