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26.7.11

जिन्हे नाज था हिंद पर वो कहां है

आसिफ़ भाई नुक्कड़ के एक कोने मे गुमसुम उदास से बैठे थे सामने से एक के
बाद एक सुंदरियां गुजरती जा रही थी पर नजरें जमीन की जमीन पर । कारण
पूछा तो डबडबाई आंखो से देख पूछने लगे जिन्हे नाज है हिंद पर वो कहां
है..... भाई किसकी नजर लग गयी हमारे मुल्क को । हमने सिर खुजाया फ़िर पूछा
मियां नाज है वो लोग कहां है या नाज करने लायक हिंद कहां है । सवाल तो एक
ही है और जवाब बेहद पेचीदा मिया तुम भी खामखां शोकसभा लेकर बैठ गये भाई ।
यहां खाओ खुजाओ बत्ती बुझाओ का देश है । मन खराब हो तो नेता है हीं गाली
देने को प्रसन्न हो तो अधिकारी है ही पैसा पहुंचाओ काम करवाओ । लेकिन
आसिफ़ भाई पर हमारी दिलबहलाउ बातों का असर न पड़ा रहे उदास के उदास तभी
शर्मा कांग्रेसी और दीपक भाजपायी एक ही गाड़ी मे शोले के जय वीरू टाईप
गाना गाते आ रहे थे ।

ये दुश्मनी हम नही भूलेंगे ।
भूळेंगे सब मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे ॥

तेरी जीत मेरी हार ।
मेरी जीत तेरी हार ॥

साथ मिलकर खायेंगे ।
हिंदू मुस्लिम चिल्लायेंगे ॥

सामने हो तकरार ।
बना रहे अपना प्यार ................

गाड़ी आकर रुकी दोनो को आसिफ़ भाई का दुख बताया गया । सुनते ही दोनो छिटक
कर दूर हो गये पर दावा एक सा किया हमे नाज है हिंद पर। हमने कहा भाई तुम
लोग तो खा रहे हो मौज उड़ा रहे हो तुमको तो इस हिंद पर नाज होगा ही वो
हिंद कहां है जिस पर आम आदमी नाज कर सके । इस पर दीपक भाजपाई को गुजरात
एमपी याद आया वहीं शर्मा कांग्रेसी को हरियाणा आंध्रा । हमने पूछा दोनो
का हिंद कहां है। दीपक भाजपाई बोले भाई ये सुनो कि कहां नही है यूपी मे
नही है शर्मा जी ने भी हामी भरी । हमने कहा जहा हिंद है वही तुम दोनो को
हिंद नजर नही आ रहा है । दोनो के दोनो पिल पड़े आपको यूपी मे हिंद नजर आ
रहा है आंख के अंधे नाम नयनसुख ।

पूरा पढ़ने के लिये http://aruneshdave.blogspot.com/2011/07/blog-post_24.html

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