गीत: आज भी रोये वन में -nazrul giti:आज भी रोये वन में कोयलिया
चंपा कुञ्ज में आज गुंजन करे भ्रमरा -कुहके पापिया
प्रेम-कुञ्ज भी सूखा हाय!
प्राण -प्रदीप मेरे निहारो हाय!
कहीं बुझ न जाय विरही आओ लौट कर हाय!
तुम्हारा पथ निहारूं हे प्रिय निशिदिन
माला का फूल हुआ धुल में मलिन
जनम मेरा विफल हुआ
राग-हमीर
ताल-त्रिताल
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