Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

29.7.11

बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होए ?

संयम रख रे अब मनुज तू आपा काहे खोए
बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ  से होए ?

प्रदुषण की मार को लेकर दिन रात क्यों तू रोता है
गन्दगी फ़ैलाने  वालों में तू सबसे पहले होता है

सरकारी कामों को लेकर दिन में आवाज़  बुलंद करे
रात में तू ही गिट्टी , रेती को चोरी  से घर में बंद करे

पैसे के लालच में घटिया लोगो को संसद में भेज दिया
अब क्यों कहता है नेताओं ने दिन रात का चैन लिया

रिश्वत का पैसा मिले तो बेबस को पूरी तरह से छील लिया
फिर क्यों कहता है भ्रष्टाचारियों ने भारत को पूरा  लील लिया

पाप की घघरी खुद ने भरी अब ईश्वर के आगे रोए
बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ  से होए ?

भूल गया जब पिताजी को घर के बाहर की राह दिखाई थी
अब क्यों दुखी है जब बेटे ने वृद्धाश्रम की बुकिंग कराई है .

poori rachna padhne ke lie click karein
http://meriparwaz.blogspot.com/2011/07/blog-post_29.html

No comments: