फिर मुंबई हो गयी आतंक की शिकार
सड़कों पर सन्नाटा
लोगों में दहशत
शहर के शिलालेख पर फिर
खिंच गयीं खौफ की लकीरें
सहम गया इस शहर का आसमान
डर गयी धरती..
कानाफूसी करने लगीं हवाएं
मीडिया के लिए ब्रेकिंग न्यूज़
सियासी दलों के लिए
नया मुद्दा...
आतंक से अघाए लोग
जब मजबूरन
दर्दों की गाँठ पीठ पर लादकर
भूखे पेट में लगी आग
को बुझाने निकल पड़े
पानी (रोजी कमाने) की तलाश में
सत्ता के नेताओं ने
फिर से किया
मुम्बईकरों के
जज्बे को सलाम...
ठीक वैसे ही
जब इससे पहले
आतंक के शेर ने नोचा था मांस
और उसी हाल में हम निकल पड़े थे
पेट की भूख लिए...
अब अगला धमाका कहाँ होगा,
...जहाँ भी होगा!
वो होगा हमारे ही देश का
होगा दिनरात दौड़ने वाला कोई शहर
बच्चे, बूढ़े, नौजवान होंगे
बेगुनाही के शिकार..
उनके परिवारों में
बच जायेंगे जो लोग
हमारे माननीय उन्हें
सांत्वना के साथ
लाखों का मुआवजा भी दे जायेंगे...
लेकिन आतंकियों को
पकड़ने के बावजूद
कसाब की तरह रखेंगे उन्हें सुरक्षित
...रो पड़ेंगा नन्हा आजाद
ये कहकर...
ओये काके...चल अपना काम कर
यहाँ तो होते रहेंगे
धमाके........!
14.7.11
सड़क खामोश है और दहशत में हैं हवाएं
Labels: atul kushwah
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
हर-हर बम-बम
बम-बम धम-धम |
थम-थम, गम-गम,
हम-हम, नम-नम|
शठ-शम शठ-शम
व्यर्थम - व्यर्थम |
दम-ख़म, बम-बम,
तम-कम, हर-दम |
समदन सम-सम,
समरथ सब हम | समदन = युद्ध
अनरथ कर कम
चट-पट भर दम |
भकभक जल यम
मरदन मरहम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
bahut acche
Post a Comment