हिंदुस्तान की आवाज़ -- आपकी धरोहर: मृत्यु पत्र - अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे
मेरे विचार से हमें कट्टरवादी नहीं होना चाहिए. गाँधी में बहुत अच्छाई थी, मगर इसका अर्थ यह नहीं कि वे बुराइयों से दूर भगवान थे,
यदि उन्होंने तो गलतियाँ की उन्हें मानने में क्या हर्ज .
इसी प्रकार, यदि नाथू राम गोडसे को केवल इसलिए बुरा बताना कि उसने गोली मारी, उसकी सारी अच्छाइयों को खतम नहीं कर देता है.
कोर्ट भी ये देखती है कि मंशा क्या थी. गोडसे की आलोचना की जा सकती है , पर वह एक उच्च कोटि का देश-भक्त था, यह भी सत्य है .
जय श्री राम
15 comments:
सिक्के के दोनों पहलू ही तो नहीं देखना चाहते है। कथित लोग?
aap is desh ko ye sandesh dena chahte hai ki jab kisi ko kisi bat pasand na ho to vo use goli mar de .vaise aap ka ye mahan adami sirf mahatma gandhi se hi nafatar karta tha ya un angrejo se bhi jisase desh lad raha tha aur us ladai me ap ka mahan adami na to gandji ji ke sath tha ,na subhash chandra bose ke sath tha ,na bhagat singh ya kisi bhi aise ke sath tha jo desh ke liye lad rahe the ,jagrook aur desh bhakt log to kisi na kisi roop me desh ke liye lad hi rahe the ,par ye soorma angreji ki banai pistaul aur uski goli se keval bapu ko marane tak hi jagrook tha ,isliye mitra aap vaisa hi hkar rahe hai jaise rawan ko ,kans ko ,ya jadeej ko samaj me sthapit karne ki koshish ki jaye .
किसी के बारे में कोई भी अन्तिम निश्कर्ष निकालने से पूर्व हमें उसके दोनों पक्षों का गहन और निश्पक्ष विवेचन करना चाहिए ।
अपने समय के सच्चे समाज सेवी व सुधारक , यशस्वी संपादक तथा गांधी जी का सम्मान करने वालों की अंग्रिम पंक्ति में रहे वीर नाथूराम गोडसे को आखिर गांधी जी का वध क्यों करना पडा , क्या कारण रहे ?
नाथूराम गोडसे के जीवन चरित्र व उनके द्वारा गांधी जी का वध करने के कारणों को संक्षेप में जानने के लिए कृप्या हिन्दी ब्लॉग www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com पर लिखे गये निम्न लेखों को पढें -
1. अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा वीर नाथूराम गोडसे भाग - एक , दो , तीन
2. वीर महात्मा नाथूराम गोडसे जन्मदिवस के अवसर पर एक नया दृष्टिकोण
3. अंबाला जेल की कालकोठरी से अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे का अपने माता - पिता के नाम अन्तिम पत्र
4. मृत्यु पत्र - अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे ।
किसी के बारे में कोई भी अन्तिम निश्कर्ष निकालने से पूर्व हमें उसके दोनों पक्षों का गहन और निश्पक्ष विवेचन करना चाहिए ।
अपने समय के सच्चे समाज सेवी व सुधारक , यशस्वी संपादक तथा गांधी जी का सम्मान करने वालों की अंग्रिम पंक्ति में रहे वीर नाथूराम गोडसे को आखिर गांधी जी का वध क्यों करना पडा , क्या कारण रहे ?
नाथूराम गोडसे के जीवन चरित्र व उनके द्वारा गांधी जी का वध करने के कारणों को संक्षेप में जानने के लिए कृप्या हिन्दी ब्लॉग www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com पर लिखे गये निम्न लेखों को पढें -
1. अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा वीर नाथूराम गोडसे भाग - एक , दो , तीन
2. वीर महात्मा नाथूराम गोडसे जन्मदिवस के अवसर पर एक नया दृष्टिकोण
3. अंबाला जेल की कालकोठरी से अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे का अपने माता - पिता के नाम अन्तिम पत्र
4. मृत्यु पत्र - अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे ।ं पक्षों का गहन और निश्पक्ष विवेचन करना चाहिए ।
अपने समय के सच्चे समाज सेवी व सुधारक , यशस्वी संपादक तथा गांधी जी का सम्मान करने वालों की अंग्रिम पंक्ति में रहे वीर नाथूराम गोडसे को आखिर गांधी जी का वध क्यों करना पडा , क्या कारण रहे ?
नाथूराम गोडसे के जीवन चरित्र व उनके द्वारा गांधी जी का वध करने के कारणों को संक्षेप में जानने के लिए कृप्या हिन्दी ब्लॉग www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com पर लिखे गये निम्न लेखों को पढें -
1. अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा वीर नाथूराम गोडसे भाग - एक , दो , तीन
2. वीर महात्मा नाथूराम गोडसे जन्मदिवस के अवसर पर एक नया दृष्टिकोण
3. अंबाला जेल की कालकोठरी से अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे का अपने माता - पिता के नाम अन्तिम पत्र
4. मृत्यु पत्र - अमर बलिदानी वीर नाथूराम गोडसे ।
agree
श्री जाट देवता जी एवं विश्व जीत सिंह जी,
बार बार कहने के बाद भी कुछ लोग तथाकथित सरकारी समर्थक , व नास्तिक लोग दूसरे पहलु को देखना ही नहीं चाहते,
यदि उल्लू दिन को भी रात कहे तो इसमें उसका दोष नहीं, क्योंकि वह तो दिन में आँख खोल ही नहीं सकता.
सच्ची बात ये है कि मुझे हिंदू धर्म के विरोधियों से, छद्म हिंदुओं से , काफी चिढ़ सी है , चाह कर भी मैं ये छुपा नहीं पाता .
कहीं ऐसा तो नहीं कुछ विधर्मी , हिंदू नाम रख कर हिंदुओं का विरोध करते हों.
तो मुझे जीसस क्राइस्ट के शब्दों में कहना परेगा, भगवान इन्हें माफ करना , ये नहीं जानते ये क्या कह रहे हैं.
इश्वर मुझे भी माफ करे,
आदरणीय डॉ. चन्द्र प्रकाश राय जी
वीर गोडसे गांधी जी के विरोधी बिल्कुल भी नहीं थे , वे गांधी जी के समर्थकों की अग्रीम पंक्ति में थे । लेकिन गांधी जी जब हिन्दुस्तान की जनता को साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से देखने लगे और साम्प्रदायिक तुष्टिकरण की नीतियों को लागू करने लगे तो वह गांधी जी के विरूद्ध हो गये । गोडसे नेताजी सुभाष व वीर सावरकर जैसे क्रान्तिकारियों के प्रबल समर्थक थे ।
विस्तृत जानकारी हेतु पिछली टिप्पणी में लिखे गये गोडसे सम्बन्धी ब्लॉग लेखों के अतिरिक्त निम्न लेख भी पढें -
1. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रति गांधी जी का द्वेषपूर्ण व्यवहार
2. इरविन - गांधी समझौता और भगतसिंह की फाँसी भाग - एक , दो
3. क्रान्तिकारी सुखदेव का गांधी जी के नाम खुला पत्र
4. गांधी जी नेहरू की दृष्टि में
www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com
mujhe lagta hai nathuraam godse ke apne vichaar rahe honge aur ye baat bhi theek hai ki deshbhakt the par kisi ko goli marna theek nahi hai...agar wo kadam unne na uthaya hota to shayad wo bhi desh ke acche logo me gine jate.dusri baat agar unhe lagta tha ki gandhiji ne kuch galat kiya tha aur wo gandhi ji ko na marte to unhe bhi saja nahi hoti aur tab shayad wo us galat ko logo ke samne rakh sakte the tab shayad behtar hone ki sambhawnae badh jati par unne krodh me kadam uthakar sare darwaje band kar diye
प्रिय कनु जी ,
इस नाजुक विषय पर आपने लिखने की कोशिश की यह बहुत परिपक्व बुध्धी की बात है , वर्ना आपकी उम्र में तो लोग पिक्चर , हीरो हिरोइन पर ही लिखते हैं.
किसी को मारना निश्चय ही बहुत बुरी बात है, पर यदि किसी की माँ , बहिन का कोई बलात्कार कर रहा हो, तो किसी का भी खून खोल सकता है .
अपनी माँ बहिन बेटी के ऊपर खून खोल जाता है , पर भारत माता पर नहीं खोलता . क्योंकि उसे केवल माँ कहा जाता है , माना नहीं जाता.
गोडसे की गलती थी कि उसने भारत माता को अपनी सच्ची माँ मान लिया, और उसने अपनी बलि दे डाली.
गालियाँ तो सरकार प्रेरित, समर्थित , प्रचारित होती हैं. और हम लोग उनमें भ्रमित हो ही जाते हैं.
यही कृषण ने उपदेश दिया था , कि अपने फायेदे के लिए नहीं , वरन जगत के फायेदे के लिए कुछ भी किया जा सकता है.
समझदार को इशारा काफी होता है .
अशोक गुप्ता
श्री अशोक जी,
आपको क्यों संबोधन दू बस इतना कह सकती हू आपके आशीर्वाद की कामना में...
आपकी बात से पूरी तरह सहमत हू अभी बच्चो की गिनती में आने लायक उम्र है मेरी ,बड़े बड़े मुद्दों पर बातें नहीं करना चाहिए शायद....
मेरी बात को अपने विरोध के विषय में मत लीजिएगा पर आप लोगो ने ही हमें सिखाया है हिंसा गलत है.में नाथूराम गोडसे जी को गलत नहीं मानती उनके अपने तर्क होंगे अपनी वजह होगी इस बात में कोई दौमत नहीं है.
पर गांधीजी देश के लिए लड़ रहे थे(वो सही थे या कही गलत थे ये अपने अपने विचार हो सकते है) और उनकी हत्या बिना कोई कारन बताए करना गलत है उसी समय सच लोगो तक पहुँचाना था विरोध करना था.....
जेसा की आपने बलात्कारी का उदाहरन लिया में भी वाही उदाहरन देना चाहूंगी अगर बलात्कार हुआ और जिसके साथ बलात्कार हुआ उसके बेटे ने बिना किसी को कुछ बताए बलात्कारी को मार डाला और फिर उसे मृत्युदंड मिला और वजह ये दी गई की उसने अपनी सनक के कारन एक आदमी की हत्या कर दी.अब इसके २ नुक्सान होंगे १ वो माँ अपने बेटे के लिए जिंदगी भर तडपेगी दूसरा वो बलात्कारी फिर किसी की इज्जत के साथ खेलने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा.
अब इसी बात को देश के और नाथराम गोडसे और गांधीजी को साथ में लेकर देखे तो जैसा की आपने कहा गांधीजी ने गलत किया (में नहीं कह रही असा क्यूंकि हमारी पीढ़ी को तो असा कुछ पता ही नहीं चला) अब उस समय अगर गोडसे थोडा धेर्य रखकर लोगो के सामने ये सब बातें लाते तो संभावना थी की लोग उनकी बात मानते और देश बेहतर स्थति में होता दुसरे भारत माँ को अपना सपूत (जेसा आपने कहा) न खोना पड़ता .और नई पीढ़ी के लोग भी सच्चाई जान पाते.
ये बात भी सही है की हम भ्रमित हो जाते है क्यूंकि हम आम इंसान है भ्रम होना स्वाभाविक है परन्तु ये भी सत्य है की सच का सामने आना जरुरी होता है अगर उस दिन वो हत्या नहीं होती तो गोडसे वो सत्य सामने लाकर ये भ्रम हटा सकते थे....पर बदकिस्मती की वो सत्य(जेसा आपने कहा की गोडसे के पास उचित कारन था गांधीजी को मरने का में नहीं कह रही) उनके साथ ही चला गया. और हम जेसे लोग भ्रम के शिकार हो गए.
आपकी बात एकदम सही है कृष्ण ने गीता में कहा है कि अपने फायेदे के लिए नहीं , वरन जगत के फायेदे के लिए कुछ भी किया जा सकता है और अगर ये बात हम मानते है तो ये भी उतना ही सत्य है की जिसके फायदे के लिए कोई कार्य किया जा रहा है उसे भी पता होना चाहिए की वो कार्य करने के क्या लाभ है अन्यथा वो वापस से उसी राह पर चलेगा जो गलत है जेसा की आज देश के साथ हो रहा है .....हो सकता है मेरी बातें आपके लिए बचकानी हो अगर मेरी बात आपको कुतर्क प्रतीत हो तो क्षमा करें.....पर मेरा कहने का बस यही १ उद्देश्य है की सच तब सामने आता तो ज्यादा बेहतर होता..
प्रिय कनु जी,
मैंने आप को लिखने में कुछ व्यंगात्मक लिख दिया , इस के लिए क्षमा कीजियेगा.
में आपकी भावनाओ कि कद्र करता हूं.
मैन स्वयं भी बहुत होशियार नहीं हूं. पर गोडसे episode में तो सब इन्टरनेट पर उपलब्ध है.
पर मैंने गोडसे की लिखी जीवनी और उसके भाई कि लिखी जीवनी पढ़ई . और भी बहुत से तथ्य, जो अदालत में रखे गए वे पढ़ए .
में गाँधी जी का एक फेन हूं . पर जब देश की बात आयेगी तो में अपने को भी नहीं बक्शूंगा.
में वो सारे तथ्य प्रस्तुत करने में समर्थ नहीं हूं . जो कंप्यूटर चलाना जनता है वो समर्थन व विरोध में सब पढ़ सकता है .
में गोडसे के कार्य से सहमत हो गया, आप अपना डिसीजन खुद लीजिए. कि उस समय क्या हालत थे ,
क्या हालत थे कि भगत सिंघ को पलिअमेंट में प्रदर्शन करके फंसी चढ़ना परा. तिलक मारे गए, सुभाष को देश से भागना परा, और कांग्रेस खिलाफ हो गई वगेरा वगेरा .
आपको आशीर्वाद
अशोक गुप्ता
दिल्ली
आपके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद्, बहुत ख़ुशी हुई आपने आशीर्वाद दिया .क्षमा जेसे शब्द का प्रयोग मत करिए सर. आप मुझसे बहुत बड़े है उम्र में भी ,सोच में भी ,विचारों में भी और सबसे बड़ी बात अनुभवों में भी.विश्वास मानिए में तो समझ भी नहीं पाई थी की आपने व्यंग किया.
धन्यवाद् आपने मुझे बताया की इन्टरनेट पर सब उपलब्ध है.समय मिलते ही में भी सब जरूर पढूंगी.
कनुप्रिया गुप्ता
प्रिय श्री विश्वजीत जी,
में तो केवल इतना ही कह सकता हूं कि , में आपसे पूर्ण सहमत हूं. और आप ये न सोचे कि और लोग भी अपने पूर्वाग्रहों से आगे देख पाएंगे.
आपका एक प्रशंशक
अशोक गुप्ता
दिल्ली
आदरणीय श्री अशोक गुप्ता जी नमस्कार
आपने मुझे प्रिय कहकर अपना आशिर्वाद प्रदान किया इसके लिए आपका आत्मिक आभार ।
वन्दे मातरम्
प्रिय श्री विश्वजीत जी,
आप जिसे दृढनिश्चयी , धर्म एवं सत्य के प्रेमी को प्रिय कह कर , मैंने अपने को ही सम्मानित किया है .
कभी मिलिए, में तो दिल्ली-यू.पी. के दरवाजे पर ही हूं .
आपका एक प्रशंशक
अशोक गुप्ता
विवेक विहार , दिल्ली
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