150 लाख करोड़ का सवाल ?
भारतीय सरकारी बेंको का १५० लाख करोड़ कर्ज का सवाल .
१२१ करोड़ की आबादी वाले देश में १५० लाख करोड़ का कर्ज वसूल नहीं या अता पता नहीं है .
ये सभी बेंक रिजर्व बेंक के निर्देशन में चलते हैं .कर्ज का ७०% यानी १०५ लाख करोड़ कोर्पोरेट
सेक्टर के पास है यानि ओधोगिक क्षेत्र ने दबा रखा है .जिसकी कोई डीफोल्टर सूची नहीं है ,
कारण ,क्योंकि वे बड़े हाथ हैं .३० % राशि आम भारतीयों के पास है -इस रकम की वसूली का
एक मतलब यह भी हो सकता है की ये राशी वसूल कर हर भारतीय में बाँट दी जाए तो एक लाख करोड़ के करीब हर भारतीय के पास धन आ सकता है या हर गाँव पर खर्च कर दिया जाए तो
विकास की क्रान्ति आ सकती है .मगर ये होगा नहीं !!
ये सभी बेंक रिजर्व बेंक के निर्देशन में चलते हैं .कर्ज का ७०% यानी १०५ लाख करोड़ कोर्पोरेट
सेक्टर के पास है यानि ओधोगिक क्षेत्र ने दबा रखा है .जिसकी कोई डीफोल्टर सूची नहीं है ,
कारण ,क्योंकि वे बड़े हाथ हैं .३० % राशि आम भारतीयों के पास है -इस रकम की वसूली का
एक मतलब यह भी हो सकता है की ये राशी वसूल कर हर भारतीय में बाँट दी जाए तो एक लाख करोड़ के करीब हर भारतीय के पास धन आ सकता है या हर गाँव पर खर्च कर दिया जाए तो
विकास की क्रान्ति आ सकती है .मगर ये होगा नहीं !!
होता ये है की अगर आम आदमी होम लोन की किस्त समय पर नहीं चुका पाया तो उसे दंड
मिलता है उसे डीफोल्टर सूची में डाल दिया जाता है .क्रेडिट कार्ड का भुगतान में आम आदमी
चूक करता है तो पेनल्टी भरनी पड़ती है उसे डीफोल्टर में डाल दिया जाता है क्योंकि समर्थ का
कोई दोष होता ही नहीं है और गरीब की लुगाई (पत्नी )को हर कोई भाभी कह देता है
मिलता है उसे डीफोल्टर सूची में डाल दिया जाता है .क्रेडिट कार्ड का भुगतान में आम आदमी
चूक करता है तो पेनल्टी भरनी पड़ती है उसे डीफोल्टर में डाल दिया जाता है क्योंकि समर्थ का
कोई दोष होता ही नहीं है और गरीब की लुगाई (पत्नी )को हर कोई भाभी कह देता है
बेंको का यह धन जो राष्ट्र की सम्पति है उसे कब वसूल किया जाएगा ?यह सवाल सालो से
अनसुलझा है .सरकारी बेंको के ये दोहरे मापदंड कब तक रहेंगे ?
अनसुलझा है .सरकारी बेंको के ये दोहरे मापदंड कब तक रहेंगे ?
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