मद का प्याला -"अहंकार "
यदि नरक को पास से देखना हो तो अहंकार के विचार अपना लीजिये ,आपको पूरी दुनिया स्वार्थी नजर आने
लगेगी .मद का दुसरा नाम शराब भी है जिसके पान के बाद बुद्धि सुप्त हो जाती है .अहंकार से सभी लौकिक
और परलौकिक कर्म हमें अन्धकार के गर्त में ले जाते हैं .
अहंकार क्या है ?-
जब हम में "मैं" पन जाग जाता है .मैं और मेरेविचार ,मेरी सोच ही हर जगह सही है,बाकी सब गौण या
मूल्यहीन .
अहंकार होने के कारण -
धन - धनवान होने की भावना हमारे पर शासन करने लग जाये.हमारी सोच हमारे धन तक आकर ठहर
जाये.हमारी द्रष्टि अन्य सद्गुणों की जगह सिर्फ धन को देखने लग जाये .
विद्या -वैसे तो विद्या हमें विनय तक ले जाने वाली होती है मगर हम खुद को विद्धवान समझने की भूल कर
देते हैं तब हमें हमारे ज्ञान के अलावा सब फीका लगने लग जाता है.
जवानी- जवानी के जोश में हम अपने को करता-धरता मान बैठते हैं .हमें वृद्ध और पूजनीय लोगो की सलाह
नागवार गुजरती है .यदि जवानी के साथ परमात्मा रूप -रंग भी प्रदान कर देता है तो हम अंधे तो
जाते हैं.
जाते हैं.
कुल- यदि हम उच्चे कुल में जन्म ले लेते हैं तो बाकी के कुल को हम हेय मान बैठते हैं.हम अपने कुल पुरुषो
की थाती के विपरीत कर्म करने लग जाते हैं .
सत्ता -जब भी व्यक्ति के पास अधिकार आ जाते हैं तब वह अपने कर्तव्य को भूलने लग जाता है ,उस पर सत्ता
का मद चढ़ जाता है और मनमर्जी के सिद्धांतो थोप देता है .
सत्ता -जब भी व्यक्ति के पास अधिकार आ जाते हैं तब वह अपने कर्तव्य को भूलने लग जाता है ,उस पर सत्ता
का मद चढ़ जाता है और मनमर्जी के सिद्धांतो थोप देता है .
धर्म - हम जब कोई भी परोपकार के ,मानवता के भले के लिए कर्म करते है तो हम यह शीघ्र भूल जाते है
की हमारे द्वारा किये जा रहे कर्म हमारे कर्तव्य हैं .हम अपने किये जाने वाले या कर चुके शुभ कर्मो
का जोरशोर से ढिंढोरा पीटने लग जाते हैं .बड़ी-बड़ी नाम पट्टिकाए अपने नाम की लगाकर खुश
होते हैं.
कीर्ति - यदि किसी शुभ कर्म के कारण हम लोकप्रिय हो जाते हैं तब हम अपनी कीर्ति का सुख लेने में लग
जाते हैं .हमें लगाता है की नियंता भी हमारे सम्मुख कुछ भी सत्ता नहीं रखता है .हम अपनी यश
गाथा को अपने मुंह से सुनाते हैं और दुनिया से सुनना पसंद करते हैं.
विजय -हमें अपनी छोटी मोटी हर सफलता पर घमंड हो जाता है ,हम यह भूल जाते हैं की सफलता सिर्फ
हमारे अकेले के सुप्रयासो का फल नहीं होती है वरन समय ,प्रकृति ,नियति,परिवार और मित्र वर्ग के
पूर्ण सहयोग से मिलती है.
संतान- यदि हमें सुयोग्य संतान मिल जाती है तो हम उसे अपने कर्म से जोड़ लेते हैं और अपने ही मुख से
संतानों की प्रशंसा सारे जग में करते रहते हैं .
अहंकार के दुष्परिणाम -
१.अहंकार हमें कर्तव्य पथ से दूर ले जाता है.
२. अहंकार हमें मित्रो से विहीन कर देता है.
३.अहंकार हमारी योग्यता को कुंठित कर देता है.
४.अहंकार हमारे इर्दगिर्द भ्रम का निर्माण कर देता है.
५.अहंकार हमारे शुभ कर्मो का क्षरण कर लेता है.
६.अहंकार हमें नित नयी विपत्तियों में डाल देता है.
७.अहंकार हमें असफलता के नजदीक ले जाता है.
८.अहंकार हमारे विवेक का हरण कर लेता है.
९.अहंकार हमें इष्टमित्रो से दूर कर देता है.
१०.अहंकार हमें आलोचना से परिचय करवाता है.
११.अहंकार हमें उद्दंड बना देता है .
१२.अहंकार हमें नकारात्मक बना देता है.
१३.अहंकार से अनचाहे संघर्ष उत्पन्न होते हैं.
१४.अहंकार से असहयोग को जन्म देता है.
१५.अहंकार से दुनिया हमसे नफरत करने लग जाती है.
१६.अहंकार के कारण अनुकूल भी प्रतिकूल में बदल जाता है
१.हमें जो कुछ मिला है वह सामूहिक प्रयत्नों का फल है इसलिए सफलता में कृतज्ञ बने.
२.कर्म के परिणाम अगर अच्छे हैं तो सब में बराबर बाँट दे और बुरे हैं तो स्वयं पर ले ले.
३.हमें अपने कर्तव्यो का ज्ञान रहे परिणामो पर समय व्यतीत नहीं करे ,उत्सव नहीं मनाये.
४.स्वयं को निमित मात्र माने ,यह काम तो होने ही वाला था मगर नियति ने मुझे गोरवान्वित कर दिया
इसलिए नियति की कृतज्ञता प्रगट करे
५. विनयी बने,विवेकशील बने .
६.समस्त कर्मो का फल नियति को समर्पित कर दे .
2 comments:
आदरणीय महोदया
अमृता जी का हौज खास वाला घर बिक गया है। कोई भी जरूरत सांस्कृतिक विरासत से बडी नहीं हो सकती। इसलिये अमृताजी के नाम पर चलने वाली अनेक संस्थाओं तथा इनसे जुडे तथाकथित साहित्यिक लोगों से उम्मीद करूँगा कि वे आगे आकर हौज खास की उस जगह पर बनने वाली बहु मंजिली इमारत का एक तल अमृताजी को समर्पित करते हुये उनकी सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखने के लिये कोई अभियान अवश्य चलायें। पहली पहल करते हुये भारत के राष्ट्रपति को प्रेषित अपने पत्र की प्रति आपको भेज रहा हूँ । उचित होगा कि आप एवं अन्य साहित्यप्रेमी भी इसी प्रकार के मेल भेजे । अवश्य कुछ न कुछ अवश्य होगा इसी शुभकामना के साथ महामहिम का लिंक है
भवदीय
(अशोक कुमार शुक्ला)
महामहिम राष्ट्रपति जी का लिंक यहां है । कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें!!!!
sateek v sarthak prastuti .aabhar
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