डायबिटीज में नुकसानदेह नहीं आम
धारणा बदलने की जरूरत, कारबाइड से पकाये आम से करें परहेज
आम का मौसम आते ही डायबिटीज के मरीजों का अपने डॉक्टर से यह प्रश्न होता है कि क्या आम का खाना उनके ब्लड सुगर को बढ.ा देगा? अभी हाल तक धारणा यही रही है कि आम का फल डायबिटीज में खाना मना है. मगर, कुछ शोधों के बाद यह धारणा बदलने लगी है. डायबिटीज के मरीज एक आम तो रोज खा ही सकते है. इस बात पर कोई विवाद न हो, इसके लिए हमें आम का साइंस समझना होगा.
मायो क्लिनिक (अमेरिका) की विशेषज्ञ डॉ मारीया का यह कहना बिल्कुल सही है कि किसी भी पदार्थ को खाने के बाद शरीर में जितना कारबोहाइड्रेड जाता है, वहीं ब्लड सुगर को प्रभावित करता है, न कि उसका स्त्रोत. चाहे वह स्टार्च हो या सुगर. अगर कम काबरेहाइड्रेट और हाइ-काबरेहाइड्रेट खाद्य पदार्थ की जो मात्रा खयी जाये, उससे शरीर में यदि 15 ग्राम काबरेहाइड्रेट हो जाता है, तो ब्लड सुगर समान ढंग से बढे.गा. इस सिद्धांत के अनुसार कम मात्रा में ‘आम’ का खाना डायबिटीज में नुकसानदेह नहीं हैं.
विटामिन सी व ए से भरपूर
आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता. इसमें वे सभी तत्व विद्यमान हैं, जो डायबिटीज में गुणकारी है. सभी महत्वपूर्ण खनिज तत्व-कॉपर, पोटाशियम, मैग्नेशियम, सेलेनियम, कैलशियम, फॉस्फोरस और आयरन इसमें रहते हैं. 100 ग्राम के एक आम में 75 ग्राम कैलोरी होती है. को फल में यह स्टार्च के रूप में रहता है. मगर, पकने पर सुगर में चेंज हो जाता है. आम में इतना फाइबर रहता है कि खाने के बाद सुगर की मात्र को वह तेजी से नहीं बनने देता. आम में विटामिन सी, विटामीन ‘ए’ भरा रहता है. साथ में विटामिन इ,के, ओ और बी भी रहता है. आम का फाइबर इतना गुणकारी है कि कब्ज, बवासीर, स्पाष्टिक कोलन जैसी समस्याओं में ज्यादा लाभकारी है. 100 ग्राम आम में करीब 323 मिलीग्राम पोटाशियम होता है, जो रक्तचाप के मरीजों के लिए बहुत गुणकारी है. आम पाचन शक्ति दुरुस्त करता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है. इसमें संतुलित विटामिन ‘इ’ होता है, जो यौन हारमोनों को सही ढंग से काम करने में मदद करता है. इस तरह यह यौन इच्छा भी बढ.ता है. आम में ‘ग्लुटामीन’ भी होता है, जो दिमागी ताकत और स्मरण शक्ति को बढ.ाता है. इसके अद्भुत ‘एंटी ऑक्सीडेंट’ गुण के कारण इसे ‘एंटी कैंसर’ भी माना गया हैं.
नये रिसर्च की दिशा
सन् 2006 में यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की पीएचडी की छात्रा एंसले विकिनसान ने ऑस्ट्रेलियन हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च कांग्रेस में आम पर किया एक शोध प्रस्तुत किया, जिसमें यह दिखाया कि आम के कुछ विलक्षण तत्व पीपीए आर-रिसेप्टरों को उसी तरह प्रभावित कर सकते हैं, जैसा कि डायबिटीज की दवा पायोग्लीटाजोन और कोलेस्टेरॉल कम करने की दवा स्टेटीन करती है. ऐसे तत्व कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की भी क्षमता रखते हैं. आम में क्वेरसेटीन (जो प्याज में भी पाया जता है), नॉरएथरियोल एवं मैनजीफेटीन जैसे रसायन अब गहन शोध का विषय समझे जा रहे हैं, क्योंकि वे पीपीए आर रिसेप्टरों पर काम करते हैं. हाल में डॉ एडरालीन लुकाज की टीम ने अमेरिका के ऑकहोमा स्टेट यूनिवरसिटी में चूहे को एक प्रजाति पर ‘आम’ का शोध किया. उस टीम ने पाया कि जिन चूहों को आम खिलाया गया, उनमें लेप्टीन हारमोन कम हो गया और एडिपोनेक्टीन बढ. गया. इसके प्रभाव से शरीर में फैट की मात्र काफी कम गयी. आम रॉजिग्लीराजॉन और फिनोफाइबरेट दवा जितनी ही प्रभावकारी पाया गया. आम खाने से मेटाबोलिक सिड्रोम नहीं होगी, शरीर का फैट घटेगा और इंसुलीन ज्यादा संवेदनशील होगा. यह भी इस रिसर्च ने दिखाया गया है. यह शोध चूहों पर किया गया है. अब इसे मनुष्य पर करने की जरूरत है.
कारबाइड से रहें सावधान
आजकल ट्रांस्पोर्ट के लिए का आम तोड़ लिया जाता है और उसमें कैलशियम कारबाइड की पोटली डाल दी जाती है. जब आम का फल वृक्ष पर रहता है, तो प्राकृतिक ढंग से उत्पत्र इथलीन गैस के प्रभाव से पकता है. वहीं, कैलशियम कारबाइड के प्रभाव से एसीटीलीन गैस निकलती है, जो आम को पकाती है. यह एक भारी जहर है, जो खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के साथ-साथ पेट की बीमारी और दूरगामी प्रभाव से कैंसर का कारक भी हो सकता है. देश के कई राज्यों में कैलशियम कारबाइड के प्रयोग पर ‘बैन’ लगा दिया गया है. इसके बावजूद आम की सबसे बड़ी मंडी अजादपुर में धड़ल्ले से इसका प्रयोग हो रहा है. हाल में आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में कारबाइड से पके आमों के जब्त किया गया और करोड़ों रुपये के इन आमों को फेंक दिया गया. बेंगलुरु में एक संस्था ने 239 कारबाइड फ्री स्टाल खोले हैं, जहां नेचुरल ढंग से पुवाल में रख कर पकाये गये आमों की बिक्री की जा रही है. इन स्टॉलों पर भारी भीड़ जुट रही है.
आम के वृक्ष का इतिहास चार हजार साल पुराना माना जाता है. यह भारत का राष्ट्रीय फल है. फलों का राजा अब डायबिटीज के मरीजों के लिए वर्जित नहीं है. बस सावधानी बरतिए और कारबाइड मुक्त आम सीमित मात्रा में खाइए. जिन्हें डायबिटीज नहीं है, वे जितनी इच्छा उतना खा सकते है. मगर कारबाइड से सावधान रहिए.
Prabhat khabar/Patna/Dhanbad
धारणा बदलने की जरूरत, कारबाइड से पकाये आम से करें परहेज
आम का मौसम आते ही डायबिटीज के मरीजों का अपने डॉक्टर से यह प्रश्न होता है कि क्या आम का खाना उनके ब्लड सुगर को बढ.ा देगा? अभी हाल तक धारणा यही रही है कि आम का फल डायबिटीज में खाना मना है. मगर, कुछ शोधों के बाद यह धारणा बदलने लगी है. डायबिटीज के मरीज एक आम तो रोज खा ही सकते है. इस बात पर कोई विवाद न हो, इसके लिए हमें आम का साइंस समझना होगा.
मायो क्लिनिक (अमेरिका) की विशेषज्ञ डॉ मारीया का यह कहना बिल्कुल सही है कि किसी भी पदार्थ को खाने के बाद शरीर में जितना कारबोहाइड्रेड जाता है, वहीं ब्लड सुगर को प्रभावित करता है, न कि उसका स्त्रोत. चाहे वह स्टार्च हो या सुगर. अगर कम काबरेहाइड्रेट और हाइ-काबरेहाइड्रेट खाद्य पदार्थ की जो मात्रा खयी जाये, उससे शरीर में यदि 15 ग्राम काबरेहाइड्रेट हो जाता है, तो ब्लड सुगर समान ढंग से बढे.गा. इस सिद्धांत के अनुसार कम मात्रा में ‘आम’ का खाना डायबिटीज में नुकसानदेह नहीं हैं.
विटामिन सी व ए से भरपूर
आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता. इसमें वे सभी तत्व विद्यमान हैं, जो डायबिटीज में गुणकारी है. सभी महत्वपूर्ण खनिज तत्व-कॉपर, पोटाशियम, मैग्नेशियम, सेलेनियम, कैलशियम, फॉस्फोरस और आयरन इसमें रहते हैं. 100 ग्राम के एक आम में 75 ग्राम कैलोरी होती है. को फल में यह स्टार्च के रूप में रहता है. मगर, पकने पर सुगर में चेंज हो जाता है. आम में इतना फाइबर रहता है कि खाने के बाद सुगर की मात्र को वह तेजी से नहीं बनने देता. आम में विटामिन सी, विटामीन ‘ए’ भरा रहता है. साथ में विटामिन इ,के, ओ और बी भी रहता है. आम का फाइबर इतना गुणकारी है कि कब्ज, बवासीर, स्पाष्टिक कोलन जैसी समस्याओं में ज्यादा लाभकारी है. 100 ग्राम आम में करीब 323 मिलीग्राम पोटाशियम होता है, जो रक्तचाप के मरीजों के लिए बहुत गुणकारी है. आम पाचन शक्ति दुरुस्त करता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है. इसमें संतुलित विटामिन ‘इ’ होता है, जो यौन हारमोनों को सही ढंग से काम करने में मदद करता है. इस तरह यह यौन इच्छा भी बढ.ता है. आम में ‘ग्लुटामीन’ भी होता है, जो दिमागी ताकत और स्मरण शक्ति को बढ.ाता है. इसके अद्भुत ‘एंटी ऑक्सीडेंट’ गुण के कारण इसे ‘एंटी कैंसर’ भी माना गया हैं.
नये रिसर्च की दिशा
सन् 2006 में यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की पीएचडी की छात्रा एंसले विकिनसान ने ऑस्ट्रेलियन हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च कांग्रेस में आम पर किया एक शोध प्रस्तुत किया, जिसमें यह दिखाया कि आम के कुछ विलक्षण तत्व पीपीए आर-रिसेप्टरों को उसी तरह प्रभावित कर सकते हैं, जैसा कि डायबिटीज की दवा पायोग्लीटाजोन और कोलेस्टेरॉल कम करने की दवा स्टेटीन करती है. ऐसे तत्व कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की भी क्षमता रखते हैं. आम में क्वेरसेटीन (जो प्याज में भी पाया जता है), नॉरएथरियोल एवं मैनजीफेटीन जैसे रसायन अब गहन शोध का विषय समझे जा रहे हैं, क्योंकि वे पीपीए आर रिसेप्टरों पर काम करते हैं. हाल में डॉ एडरालीन लुकाज की टीम ने अमेरिका के ऑकहोमा स्टेट यूनिवरसिटी में चूहे को एक प्रजाति पर ‘आम’ का शोध किया. उस टीम ने पाया कि जिन चूहों को आम खिलाया गया, उनमें लेप्टीन हारमोन कम हो गया और एडिपोनेक्टीन बढ. गया. इसके प्रभाव से शरीर में फैट की मात्र काफी कम गयी. आम रॉजिग्लीराजॉन और फिनोफाइबरेट दवा जितनी ही प्रभावकारी पाया गया. आम खाने से मेटाबोलिक सिड्रोम नहीं होगी, शरीर का फैट घटेगा और इंसुलीन ज्यादा संवेदनशील होगा. यह भी इस रिसर्च ने दिखाया गया है. यह शोध चूहों पर किया गया है. अब इसे मनुष्य पर करने की जरूरत है.
कारबाइड से रहें सावधान
आजकल ट्रांस्पोर्ट के लिए का आम तोड़ लिया जाता है और उसमें कैलशियम कारबाइड की पोटली डाल दी जाती है. जब आम का फल वृक्ष पर रहता है, तो प्राकृतिक ढंग से उत्पत्र इथलीन गैस के प्रभाव से पकता है. वहीं, कैलशियम कारबाइड के प्रभाव से एसीटीलीन गैस निकलती है, जो आम को पकाती है. यह एक भारी जहर है, जो खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के साथ-साथ पेट की बीमारी और दूरगामी प्रभाव से कैंसर का कारक भी हो सकता है. देश के कई राज्यों में कैलशियम कारबाइड के प्रयोग पर ‘बैन’ लगा दिया गया है. इसके बावजूद आम की सबसे बड़ी मंडी अजादपुर में धड़ल्ले से इसका प्रयोग हो रहा है. हाल में आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में कारबाइड से पके आमों के जब्त किया गया और करोड़ों रुपये के इन आमों को फेंक दिया गया. बेंगलुरु में एक संस्था ने 239 कारबाइड फ्री स्टाल खोले हैं, जहां नेचुरल ढंग से पुवाल में रख कर पकाये गये आमों की बिक्री की जा रही है. इन स्टॉलों पर भारी भीड़ जुट रही है.
आम के वृक्ष का इतिहास चार हजार साल पुराना माना जाता है. यह भारत का राष्ट्रीय फल है. फलों का राजा अब डायबिटीज के मरीजों के लिए वर्जित नहीं है. बस सावधानी बरतिए और कारबाइड मुक्त आम सीमित मात्रा में खाइए. जिन्हें डायबिटीज नहीं है, वे जितनी इच्छा उतना खा सकते है. मगर कारबाइड से सावधान रहिए.
Prabhat khabar/Patna/Dhanbad
2 comments:
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
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