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5.9.12

विवादों के बापू बन गए हैं संत आसाराम

वे देश के बड़े अखाड़ेबाज संतों में एक हैं। 71 साल के हो गए हैं। फिर भी वे जब अपने हजारों भक्तों के मजमे के बीच पहुंचते हैं, तो झूमते हुए नाचने और गाने से भी परहेज नहीं करते। पिछले पांच सालों से वे लगातार किसी न किसी विवाद में उलझे रहे हैं। इन विवादों के चलते संत आसाराम इस दौर में विवादों के बापू बन गए हैं। लेकिन ये ऐसे संत हैं जिन्हें विवादों से परहेज नहीं है। वे कहते हैं कि आख्रिर विवाद भी तो चर्चा बढ़ाते हैं। उनका सीधा रिश्ता अपने करोड़ों भक्तों से है। ऐसे में वे मुट्ठीभर आलोचकों से न डरते हैं, न दबते हैं। इसी वजह से मीडिया का एक हिस्सा उन्हें ‘दबंग’ संत करार करने लगा है। वे खुलकर कहते हैं कि उन्हें अपने ईश्वर और भक्तों में अटूट विश्वास है। इसी से वे ऐसे दबंग संत हैं, जोकि न किसी सत्ता के दबाव में आते हैं, न ही स्वार्थी मीडिया के दबाव में। बापू के देशभर में सैकड़ों आश्रम हैं। वे घूम-घूमकर आध्यात्मिक जमावड़ा लगाते रहते हैं। प्रवचन के दौरान संत आसाराम खासी नाटकीय मुद्राओं में दिखाई पड़ते हैं। कभी वे मंच पर रंगीली होली खेल रहे होते हैं, तो कभी मंच से अपनी कोई दूसरी रास लीला दिखा रहे होते हैं। चर्चित योगगुरु बाबा रामदेव की तरह बापू ने भी अपना बड़ा आध्यात्मिक साम्राज्य फैला लिया है। गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों तक संत आसाराम के आश्रमों का विस्तार हो चुका है। विवादों के बीच उनके आश्रमों की ‘खेती’ खूब फली-फूली है। मीडिया और नास्तिक किस्म के बुद्धिजीवी भले इस संत की उपदेश कला को आध्यात्मिक स्वांग करार करें, लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता घटने की बजाए बढ़ रही है। आमतौर पर इनके आध्यात्मिक समागमों में बीस हजार से लेकर एक लाख लोगों की भीड़ जुट जाती है। उनके भक्तगण इन समागमों में अपने गुरु को खासा अमीर बना जाते हैं। इसी के चलते संत के आश्रमों की संपत्ति अरबों रुपए की मानी जाती है। आसाराम यह अच्छी तरह जानते हैं कि लोकप्रियता बढ़ाने के लिए मीडिया का हथियार बहुत कारगर है। ऐसे में उनके हर कार्यक्रम में मीडिया का प्रबंधन जमकर किया जाता है। चर्चा तो यह भी रही है कि इनके आश्रम दो-तीन क्षेत्रीय टीवी चैनलों के लिए पूरे ‘रसद-पानी’ का इंतजाम करते हैं। इसी के चलते इन चैनलों में दिन-रात बाबा के चमत्कारों के गुणगानों के खूब बखान होते हैं। बापू के आध्यात्मिक और आलौकिक चमत्कारों की हकीकत क्या है? यह तो उनके भक्त ही जाने। लेकिन हाल के वर्षों में ये आध्यात्मिक गुरु कई और वजहों से ही चर्चित हुए हैं। ताजा मामला गाजियाबाद का है। पिछले दिनों यहां बापू का एक समागम था। इस सत्संग कार्यक्रम में हजारों भक्त जुटे थे। तमाम चेले बापू का महिमा मंडन कर रहे थे। यह बताने की कोशिश की जा रही थी कि कैसे बापू का संवाद सीधे ‘ऊपरवाले’ से हो जाता है। इसीलिए ‘यमराज’ को भी मायूस होकर लौट जाना पड़ता है। बापू के तंत्र की यह खास बात है कि वह किसी संयोग को भी भुनाना अच्छी तरह जानता है। ठीक कुछ ऐसा ही पिछले दिनों हुआ। बापू एक सत्संग के लिए गोधरा (गुजरात) पहुंचने वाले थे। इसमें हिस्सा लेने के लिए वे वायुमार्ग से एक हेलिकॉप्टर के जरिए जा रहे थे। लैंडिंग के वक्त हेलिकॉप्टर में कोई बड़ी तकनीकी खराबी आ गई थी। इसी के चलते वह आकाश में ही लड़खड़ाने लगा था। लैंडिंग के वक्त हेलिकॉप्टर मुंह के बल जमीन में टकराया था। जोरदार आवाज के साथ उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए थे। इसके बाद भी बापू और उनके साथी सकुशल बच गए। दो-तीन लोगों को मामूली खरोचें भर आईं। इतनी बड़ी दुर्घटना से बाल-बाल बचे संत ने अपना जोरदार उपदेश दिया था। यह बताया था कि कैसे आकाश में ही उनका ‘संवाद’ ऊपर वाले से हो गया था। फिर क्या, पूरी कृपा हो गई। हेलिकॉप्टर टुकड़ों में बदल गया। लेकिन तुम सबका बापू यहां सकुशल खड़ा है। बापू यह बताने के बाद खुशी में ठुमके लगाने से भी नहीं चूके थे। बापू ने नाचना शुरू किया, तो सत्संग में आए हजारों लोग मस्ती में नाचते देखे गए। कुछ इसी तरह का मस्तीभरा आलम होता है, बापू के तमाम सत्संगों में। इस घटना के बाद आसाराम की लोकप्रियता तेजी से बढ़ गई है। प्रचार किया जा रहा है कि बापू पर सीधे तौर पर ईश्वर की कृपा है। इसीलिए ऐसा चमत्कार हो गया। भक्तगण समझ लें कि आलोचनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता। बापू अपने भक्तों को कृपा बांटते रहेंगे और कल्याण करते रहेंगे। उस दिन गाजियाबाद के सत्संग में हेलिकॉप्टर चमत्कार की ही चर्चा थी। हजारों लोग चमत्कारी संत की एक झलक पाने के लिए होड़ लगाए थे। जहां भारी तामझाम और भीड़ हो, वहां टीवी मीडिया के लिए ज्यादा से ज्यादा कवरेज जरूरी हो जाती है। वैसे भी संत आसाराम अपनी खास आध्यात्मिक पुट वाली नाटकीय अदाओं के लिए जाने जाते है। टीवी वालों के तमाम कैमरे तैनात थे। हर अदा कैद कर लेने की होड़ लगी हुई थी। इसी में कुछ शोर-गुल हुआ, तो बापू को गुस्सा आ गया। गुस्सा भी इस कदर आया कि उन्होंने एक बडेÞ टीवी चैनल के कैमरापर्सन को थप्पड़ जड़ दिया। अब यह मामला पुलिस थाने तक पहुंच गया है। यह अलग बात है कि बाबा के चेले कह रहे हैं कि बापू, तो किसी पेड़-पौधे को भी धक्का नहीं देते। ऐसे में भला वे एक युवक को चांटा कैसे मार सकते हैं? टीवी वालों की एक दिक्कत यह है कि वे चांटामार क्षणों को कैमरों में नहीं कैद कर पाए। हालांकि हजारों लोगों ने देखा था कि बापू ने जोरदार चांटा मारा था। अब उनके तमाम भक्त यहां तक कह रहे हैं कि यह तो बापू का चमत्कार ही है कि चांटा मारते हुए बापू कैमरे में कैद नहीं हुए। यानि बापू के सामने तकनीक भी टें बोल जाती है। यदि चांटा मारते हुए वे कैद भी हो जाते, तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि बापू विवादों से ज्यादा घबराते नहीं है। वे कई विवादों में कोर्ट-कचहरी भी कर रहे हैं। कई मामलों में उनके और कुछ चेलों के खिलाफ आपराधिक मामले भी गुजरात में दर्ज हो चुके हैं। 2008 में उनके अहमदाबाद आश्रम में दो किशोर बच्चों की मौत रहस्यमय ढंग से हो गई थी। आरोप लगे थे कि आश्रम के उस्तादों ने इन बच्चों के साथ कुकर्म किया और इन्हें मार डाला। इस मामले को लेकर खासा विवाद खड़ा हुआ था। अहमदाबाद के बाद गुजरात के कई और आश्रम विवादों का केंद्र बन चुके हैं। बापू पर आरोप है कि कई आश्रमों के लिए उन्होंने जमीनों पर अवैध कब्जे किए हैं। इसको लेकर बापू और गुजरात के चर्चित मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं। मोदी की नाराजगी के चलते बापू के कई आश्रमों के अवैध कब्जे हटा दिए गए हैं। इसको लेकर भारी विवाद रहा है। बापू पारिवारिक इंसान हैं। सो, उनकी एक चर्चित ‘संत’ संतान भी है। उनका यह पुत्र भी आध्यात्मिक दुनिया का एक विवादित किरदार है। आरोप है कि बापू के ये साहब जादे, अपनी तांत्रिक साधना के लिए पता नहीं क्या-क्या करते रहते हैं? आरोप लग चुका है कि तांत्रिक साधना के लिए ही बापू के आश्रमों में कई मासूम बच्चों की बलि दी गई है। हालांकि इन मामलों के पुख्ता प्रमाण पुलिस अदालतों को नहीं दे पाई है। कई मामले अभी अदालतों में लंबित हैं। अपने सत्संग में बापू नरेंद्र मोदी को ललकारते रहते हैं। एक ताजा विवाद सौराष्टÑ के एक प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर हो गया है। बापू सौराष्टÑ में एक बड़ा सत्संग करना चाहते हैं। लेकिन इसकी अनुमति मोदी सरकार ने नहीं दी। सरकार की तरफ से कहा गया है कि बापू के जमावडेÞ को लेकर एक समुदाय में नाराजगी है। इसी से शांति व्यवस्था को देखते हुए कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा रही है। लेकिन बापू मानते हैं कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता से मोदी जैसों को जलन होने लगी है। ऐसे में वे बाधा डाल रहे हैं। जैसे कि सतयुग में राक्षस टोली, संतों के यज्ञ कार्यक्रम बाधित करते थे। कुछ इसी तरह का काम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। बापू ने नाराज होकर मोदी को ‘श्राप’ दिया है कि यदि उन्होंने उनके सत्संगों में राक्षसपन दिखाया, तो चुनाव के दौरान उनकी सत्ता की नैया पूरी तरह से डूबी जाएगी। संत आसाराम का जन्म अप्रैल 1941 में भारत-पाक बंटवारे के पूर्व सिंध के नवाबशाह जिले में हुआ था। उनके गांव का नाम बेराणी है। आसाराम का मूल नाम आसुमल सिरुमलानी था। उनके पिता एक मालदार व्यापारी थे। लेकिन किशोरावस्था में ही उनका ध्यान संत महात्माओं के प्रवचनों की तरफ हो गया था। युवावस्था में ही एक दिन वे अपने गांव से वृंदावन भाग आए थे। यहीं पर वे संत लीलाशाह जी के आश्रम में रहे थे। उन्होंने कोशिश की थी कि लीलाशाह जी महाराज उन्हें दीक्षा दे दें। लेकिन अपने इस भक्त की महाराज ने कड़ी परीक्षा ली थी। इसी के बाद उन्हें अपनी ‘कृपा’ दी थी। दावा किया जा रहा है कि स्वामी लीलाशाह जी के निर्देश पर ही वे लौट गए थे। क्योंकि उन्होंने कहा था कि अपने घर में ही आध्यात्म और योग के प्रयोग करो। लेकिन आसुमल अपने घर लौटने के बजाए, गुजरात के मोटीकोरल में एक स्थानीय संत लालजी महाराज के पास पहुंच गए थे। सालों की ‘तपस्या’ के बाद आसुमल, आसाराम बापू के रूप में बदल गए थे। यानि, उनका आध्यात्मिक जन्म हो गया था। हालांकि यहां पर उनकी पत्नी और मां गांव वापस चलने के लिए मनुहार करने आए थे। लेकिन आध्यात्मिक चोला धारण करने के बाद आसाराम गुजरात में ही परिजनों के साथ बस गए। यहीं से उनकी आध्यात्मिक दुनिया का विस्तार होता गया। यह जरूर है कि बापू अपने आध्यात्मिक गुणों से कम, लेकिन तरह-तरह के विवादों की वजह से ज्यादा जाने जाते हैं। लाखों आस्थावान भक्तों के उमड़ते प्यार ने बापू को आध्यात्मिक दुनिया का नया ‘दबंग’ बना दिया है। इसी के चलते वे मोदी जैसे दबंग नेता को ठेंगा दिखाने की जुर्ररत कर लेते हैं। साभारः- डीएलए अखबार

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